Israel Palestine war updates: इज़राइल पर लगा आरोप, गाजा पट्टी मे गिराया सफे़द फॉस्फोरस बम

By UltaChashmaUC | October 12, 2023

 

 

इज़रायली सेना पर गाजा पट्टी की घनी आबादी वाले इलाकों में सफेद फॉस्फोरस बम गिराने के आरोप लग रहे हैं  ये सफ़ेद फोस्फोरस इतना खतरनाक है कि इसे पूरी दुनिया में बैन कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद इसराइल फिलिस्तीन के खिलाफ इसका इस्तेमाल कर रहा है, ऐसी कई तस्वीरे सामने आई है जिसमे बिल्डिंगों से धुआं उठता हुआ दिखाई दे रहा है कई तस्वीरों में तो चिंगारियां उठती हुई भी दिख रही है, दावा है कि ऐसा सफ़ेद फॉस्फोरस की वजह से हो रहा है ! इन तमाम आरोपों के बावजूद पूरी दुनिया चुप है, ना तो इज़राइल का समर्थन करने वाले देश कुछ बोल रहे हैं  ना ही UN की तरफ से इसपर अब तक कुछ कहा गया!  ऐसे में ये जानना बहुत ज़रूरी है कि आखिर ये सफ़ेद फॉस्फोरस क्या होता है। क्या सच में ये इतना खतरनाक है कि पूरी दुनिया में इसके इस्तेमाल पर पाबन्दी लगानी पड़ी ? आखिर क्यों सफ़ेद फॉस्फोरस को पूरी दुनिया में बैन करना पड़ा।

फॉस्फोरस आखिर होता क्या है?

फॉस्फोरस कई तरफ के होते है, आम तौर पर दो ही ज्यादा सामान्य है। एक है लाल फॉस्फोरस और दूसरा है सफेद फॉस्फोरस ! इससे सड़े हुए लहसुन की जैसी बू आती है। सफेद फॉस्फोरस जब भी हवा के संपर्क में आता है तो ये तेज़ी से आग पकड़ लेता है, इसलिए इसका इस्तेमाल आग लगाने, रौशनी करने और धुआं पैदा करने वाले विस्फोटक की तरह होता है, सेना में अक्सर इसका इस्तेमाल दुश्मन से छुपने के लिए किया जाता है,  वही अगर वाइट फोस्फोरस बम की बात करे, जिसके इस्तेमाल का आरोप इजराइल पर लग रहा है, उसे सफ़ेद फोस्फोरस और रबर को मिला कर बनाया जाता है ! इसे आम भाषा में WP, विली पीट या विली पीटर कहा जाता है।  इस रासायनिक पदार्थ की खूबी ये है कि यह ऑक्सीजन के संपर्क में आते भी आग पकड़ लेता है, और फिर ये पानी से भी बुझाया नहीं जा सकता, बल्कि धुंए का गुब्बार बन के ये और बदकने लगता है! ये तब तक जलता रहता है जब तक पूरी तरह से ख़तम न हो जाए और अपने साथ सब कुछ ख़तम न कर दे इसी लिए ये इतना खतरनाक मना जाता है ।
इसकी एक और खतरनाक खूबी ये है कि ऑक्सीजन के लिए रिएक्टिव होने की वजह से जहां भी सफ़ेद फोस्फोरस बम गिरता है, उस जगह की सारी ऑक्सीजन तेजी से सोखने लगता है, ऐसे में जो लोग इसकी आग से नहीं जलते, वो दम घुटने से मर जाते हैं।

कितनी तबाही मचाता है फास्फोरस बम?

फॉस्फोरस बम चूंकि 13 सौ डिग्री सेल्सियस तक जल सकता है इसलिए ये आग से कहीं ज्यादा जलन और जख्म देता है। यहां तक ये हड्डियों तक को गला सकता है। कुल मिलाकर इसके संपर्क में आने पर अगर इंसान जिंदा भी बच गया तो किसी काम का नहीं रह जाएगा। लगातार गंभीर संक्रमण का शिकार होता रहेगा।  कई बार ये त्वचा से होते हुए खून में पहुंच जाता है, इससे हार्ट, लिवर और किडनी सबको नुकसान पहुंचता है, और मरीज में मल्टी-ऑर्गन फेल्योर हो सकता है, ऐसे समझ लीजिए कि ये हमला किसी परमाणु हमले की तरह ही होता है !

फॉस्फोरस बम पर लगा हुआ है बैन

साल 1980 में इसपर रोक लगा दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र(United Nations) में हथियारों के इस्तेमाल को लेकर Certain Conventional Weapons (CCW) कन्वेंशन हुआ था!  इसमें अमेरिका, फ़्रांस, यूक्रेन जैसे 115 देश शामिल हैं! कन्वेंशन के प्रोटोकॉल में जो नियम बताए गए हैं, उसमे केमिकल हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की बात शामिल थी। किसी भी परिस्थिति में किसी देश के आम नागरिकों या उनकी संपत्ति पर सफेद फॉस्फोरस जैसे आग लगाने वाले हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है. अगर दुश्मन सेना का कोई अड्डा आम नागरिकों की आबादी के बीच है, तो भी उसे निशाना बनाने पर रोक है!  इसके अलावा Rome Statute of the International Criminal Court(Rome Statute) भी युद्ध अपराधों की एक परिभाषा देता है, ये क़ानून साल 2002 से प्रभावी है जो कहता है कि अगर युद्ध में दुश्मन के खिलाफ कार्रवाई में जिस प्रॉपर्टी को क्षति पहुंचाने की जरूरत नहीं है, उसे निशाना बनाने पर रोक है. ये भी कहा गया है कि नागरिक आबादी या नागरिकों की संपत्ति को निशाना न बनाया जाए! हालांकि ये भयंकर रूप से जलाने के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है, और कई युद्धों में किया भी गया है, लेकिन इसके बावजूद वाइट फॉस्फोरस को केमिकल वेपन्स की तरह इस्तेमाल करने पर सख्त पाबन्दी है !

इज़राइल पर लगा फॉस्फोरस बम के इस्तेमाल का आरोप

इज़राइल पर इसके इस्तेमाल का आरोप लग रहा है, गाजा पट्टी इज़राइल के हमले में कम से कम 950 लोगों की मौत की खबर है, लेकिन इज़राइल ने इस सभी आरोपों को गलत ठहरा दिया है ! दरअसल यह कोई पहला मौका नहीं, जब इजरायल पर इस तरह का आरोप लगा है, इससे पहले साल 2008 और 2009 में भी इजरायल पर गाजा पट्टी के रिहायशी इलाके में सफेद फॉस्फोरस के जरिये हमला करने का आरोप लगा था। कई मानवाधिकार रिपोर्ट्स में भी ऐसा ही दावा किया गया था।  टाइम्स ऑफ लंदन(The Times)की साल 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा स्थित नसेर हॉस्पिटल में 50 से भी ज्यादा लोग सफेद फॉस्फोरस की वजह से जलने के बाद भर्ती किए गए थे। अब एक बार फिर वही आरोप दोहराए जा रहे हैं।

Published by :- Shikha Pandey

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