MP Election 2023: अमित शाह के मनाने पर भी नहीं माने बागी नेता, इन सीटों पर हो बढ़ सकती है मुसीबत

By UltaChashmaUC | November 4, 2023

 

मध्य प्रदेश ( Madhya Pradesh ) में पहले से भारतीय जनता पार्टी की हालत पतली है । ऊसपर अब भाजपा बागियों से भी परेशान हैं।  केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव मैदान में उतारने के बावजूद बीजेपी को मध्य प्रदेश में बागियों से जूझना पड़ रहा है। हालात ये हैं कि ग्रह मंत्री अमित शाह ( Amit Shah )  के मानाने पर भी ये नेता माने को तैयार नहीं हैं ,यानि mp ( Madhya Pradesh ) चुनाव में बीजेपी ने 3 केंद्रीय मंत्रियों और 7 सांसदों को विधानसभा का टिकट देकर जो एक्सपेरिमेंट किया है वो बीजेपी पर ही पड़ी पड़ता दिख रहा है । मध्य प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र देकर अमित शाह MP से लौट तो आए हैं लेकिन उनके इस दौरे से नेताओं की बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी सामने आ गई है ।

 

टिकट न मिलने से नाराज़ नेता 

टिकट न मिलने से नाराज नेता लगभग दर्जन भर सीटों पर पार्टी के समीकरण पर असर डाल रहे हैं  । कुछ दिन पहले पांचवीं लिस्ट में भी नाम ना आने से नाराज होकर बीजेपी के कुछ नेताओं और उनके समर्थकों ने मध्य प्रदेश बीजेपी के जबलपुर दफ्तर में हंगामा किया किया था । इसमें से कुछ तो ऐसे हैं जो दूसरी पार्टियों में शामिल भी हो गए हैंभाजपा नें प्रदेश में अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को भी चुनाव मैदान में उतारा था ये सोच कर कि इसे उनकी जीत सुनिश्चित होगी । हालाँकि इसी फैसले की वजह से कई सीटों पर पार्टी को अपने ही बागियों का सामना करना पड़ रहा है।

 

अमित शाह भी नहीं मना पाए 

अमित शाह ( Amit Shah ) ने बागी नेताओं से सीधे बात भी की है । उन्होंने नेताओं से कहा था कि जादा परवाह न करें  । वैसे तो ये आश्वस्त भी दिया गया है कि जिन्हें टिकट नहीं मिल पाया है उन नेताओं को सरकार बनने पर उनकी वरिष्ठता और योग्यता के आधार कोई न कोई पद दिया जाएगा लेकिन कल किसने देखा है ? जिनके आज का कोई बरोसा नहीं वो कल पर कैसे बरोसा करलें । बाकियों का तेवर देख कर कुछ ठीक नहीं लग रहा है लेकिन ऐसे मुश्किल हालात में भी वो बीजेपी कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि बागी नेताओं की बहुत परवाह करने की । मतलब साफ़ है कि पार्टी किसी न किसी तरह बागियों को मानना चाहती है। राज्य और केंद्र के नेताओं ने बागी नेताओं को समझाने बुझाने की काफी कोशिश की, लेकिन कुछ नेताओं ने निर्दलीय और कुछ ने दूसरे दलों का दामन थाम कर चुनाव लड़ने का फैसला लेकर भाजपा की चिंता और बढ़ा दी।

 

इन सीटों पर हो सकती है दिक्कत 

जिन सीटों पर उसे बागी नेता दिक्कत पहुंचा सकते हैं उनमें बुरहानपुर, निवाड़ी, जबलपुर उत्तर मध्य टीकमगढ़, मुरैना, लहार, बड़वारा, सीधी व भिंड शामिल हैं।

बुरहानपुर सीट पर भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह बागवत करके चुनाव मैदान में है। पार्टी ने यहां पर पिछली बार चुनाव हारी, अर्चना चिटनीस को ही फिर से टिकट दिया है। निवाड़ी सीट पर पार्टी टिकट न मिलने से नंदराम कुशवाहा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पार्टी प्रत्याशी अनिल जैन की दिक्कतें बढ़ी हैं। जबलपुर उत्तर मध्य में कमलेश अग्रवाल बागवत कर चुनाव लड़ रहे हैं। टीकमगढ़ सीट पर पूर्व विधायक के के श्रीवास्तव इस्तीफा देकर चुनाव मैदान में उतर गए हैं। मुरैना सीट पर पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के बेटे राजेश सिंह पार्टी का टिकट न मिलने से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रुस्तम सिंह ने भी बेटे के लिए बसपा का दामन थाम लिया है। लहार सीट पर पिछली बार चुनाव लड़े रसाल सिंह इस बार बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी ने यहां पर उनकी जगह अंबरीष शर्मा को टिकट दिया है। अब इन सीटों को लेकर पार्टी काफी सावधान है ।

 

माना जाता है कि 2018 में भी नेताओं की बगावत और कार्यकर्ताओं की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ी थी, बीजेपी को हार का मुह देखना पड़ा था, देखा जाये तो पांच साल बाद भी हालात बहुत बदले हुए नहीं लग रहे हैं । पिछली बार जोड़ तोड़ कर भाजपा ने सत्ता हासिल कर ही ली थी लेकिन हर बार एक जैसी किस्मत काम कर जाए ये भी ज़रूरी नहीं है

 

PUBLISHED BY - FARHEEN ANSARI 

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