स्मृति ईरानी के खिलाफ लड़ेंगे राहुल गांधी ? कांग्रेस ने बीजेपी के प्लान को फेल करने के लिए चली ये चाल

By UltaChashmaUC | April 6, 2024

स्मृति ईरानी 26 अप्रैल की तारीख से डरी हुई हैं। हालांकि, स्मृति ईरानी अभी तक अमेठी को लेकर ओवर कॉन्फिडेंस में थीं। वो अति आत्मविश्वास में डूबकर कहती थीं कि राहुल गांधी मुझसे डरते हैं। लेकिन अब स्मृति ईरानी ऐसी बातें नहीं कर रही हैं। छटपटाहट इतनी ज्यादा है कि अमेठी की चुनावी लड़ाई को छोड़कर वो वायनाड में राहुल गांधी को घेरने पहुंच गई हैं। स्मृति ईरानी क्यों डरी हुई हैं पता है आपको। क्योंकि 26 अप्रैल को दूसरे चरण का चुनाव खत्म हो जाएगा। जिसका सीधा सा मतलब है कि उस दिन तक वायनाड में वोटिंग पूरी हो चुकी होगी। पर वहीं अमेठी में वोटिंग कब है, ये आपको पता है। अमेठी में वोटिंग है 20 मई को और पांचवें चरण के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है 3 मई। स्मृति ईरानी अबतक खुश थीं कि कांग्रेस अमेठी में फंस गई है, वो वहां प्रत्याशी का ऐलान नहीं कर पा रही है लेकिन सोची समझी रणनीति के तहत कांग्रेस ने अमेठी और रायबरेली को फिलहाल छोड़ रखा है। ये बात बीजेपी और स्मृति ईरानी को समझ नहीं आ रही है। जिसको लेकर अब ख़बरें आ रही हैं कि वायनाड की जंग खत्म होने के बाद राहुल गांधी सीधे अमेठी पहुंचेंगे और नामांकन करेंगे।

रॉबर्ट वाड्रा ने पहले ही संकेत दे दिए
वहीं कुछ दिन पहले अगर आपको याद होगा तो रॉबर्ट वाड्रा ने अमेठी से लड़ने के संकेत दिए थे। ये भी गांधी परिवार की रणनीति का ही हिस्सा बताया जा रहा है। ताकि अमेठी रायबरेली के लोगों तक ये मैसेज पहुंच जाए कि गांधी परिवार इन दोनों सीटों को नहीं छोड़ेगा। दरअसल, यूपी में रायबरेली, अमेठी, सुल्तानपुर, प्रयागराज और फूलपुर को गांधी परिवार की पारंपरिक और पारिवारिक सीटें माना जाता है। संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने लोकसभा में अमेठी का प्रतिनिधित्व किया है। तो रायबरेली की सीट से सोनिया गांधी और उनकी सास इंदिरा गांधी के अलावा सोनिया के ससुर फिरोज गांधी भी सांसद रह चुके हैं। साथ ही फूलपुर की सीट से जवाहर लाल नेहरू सांसद रहे हैं। जिससे कह सकते हैं कि अमेठी और रायबरेली की जनता सीधे गांधी परिवार से जुड़ी है। इसलिए गांधी परिवार इन सीटों को छोड़ देगा, इस बात में कोई दम नहीं है।

स्मृति को घेरने के लिए ये रणनीति बनाई
वहीं, अंदर की बात ये है कि अगर राहुल गांधी पहले से ही वायनाड और अमेठी दोनों सीटों से लड़ने का ऐलान करते तो बीजेपी 2019 वाला नैरेटिव सेट करने की कोशिश करती कि राहुल गांधी डरे हुए हैं, राहुल गांधी अमेठी को छोड़ रहे हैं। इसलिए इस बार कांग्रेस ने ये रणनीति बनाई कि पहले वायनाड की चुनावी जंग को खत्म किया जाए। उसके बाद पूरी तरह से राहुल गांधी अमेठी में जुटेंगे। यही वजह है कि स्मृति घबराई हुई हैं। स्मृति को लगता था कि अगर राहुल गांधी इस बार अमेठी से नहीं लड़ेंगे तो उनके लिए अमेठी बिल्कुल आसान हो जाएगी। लेकिन कांग्रेस ने स्मृति को घेरने के लिए ही ये रणनीति बनाई है। साथ ही आपको बता दें कि राहुल गांधी 3 बार अमेठी से चुनाव जीते हैं लेकिन 2019 के चुनाव में वो स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए थे। पर इस बार इस सीट पर कुछ उलट होने की संभावना है।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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