यूपी के चौथे चरण में बीजेपी की साख दांव पर लगी, अजय मिश्र टेनी पर अटकीं हैं सबकी निगाहें

By UltaChashmaUC | May 10, 2024

लोकसभा के तीन चरणों का मतदान हो चुका है। अब बारी है चौथे चरण के रण की। इस चरण में यूपी की 13 सीटों पर मतदान होना है। अवध, तराई और सेंट्रल यूपी के 13 जिलों में होने वाले चुनाव में भाजपा और सपा-कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई देखने को मिल रही है। वहीं बात मायावती की करें तो बीएसपी ने मुकाबला त्रिकोणीय बनाने की पूरी कोशिश की है। हर एक पार्टी जातीय गणित बैठाकर अपनी नैया पार लगाने की जुगत में लगा हुआ है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इन सभी 13 सीटों पर बीजेपी ने ही जीत हासिल की थी। इसलिए कहा जा रहा है कि इन सीटों पर बीजेपी की साख दांव पर लगी है। यानी इन सीटों पर बीजेपी के पास खोने के लिए बहुत कुछ है।

इन 13 सीटों पर होगा चुनाव
चौथे चरण में शाहजहांपुर, खीरी, धौरहरा, सीतापुर, हरदोई, मिश्रिख, उन्नाव, फर्रुखाबाद, इटावा, कन्नौज, कानपुर, अकबरपुर और बहराइच सीटें शामिल हैं। साल 2014 की बात करें तो इस चुनाव में कन्नौज सीट पर सपा का कब्जा था। बाकी की बची 12 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। फिर आया साल 2019 का लोकसभा चुनाव। इस चुनाव में बीजेपी ने सभी 13 सीटों पर जीत हासिल कर ली थी। 13 मई को इन 13 सीटों पर मतदान होना है। लेकिन सबसे पहले हम बात करेंगे खीरी लोकसभा सीट की। आखिर क्या है गणित इस सीट का। कौन कौन चुनावी मैदान में हैं और सबसे अहम बात कौन सी पार्टी किस समीकरण के सहारे आगे बढ़ रही है।

अजय मिश्र टेनी पर सबकी निगाहें
कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय होता दिखाई दे रहा है। लेकिन इस चरण में अगर सबसे ज्यादा किसी सीट पर सबकी निगाहें टिकी हैं तो वो है खीरी लोकसभा सीट। इस सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी मैदान में हैं। वहीं समाजवादी पार्टी ने उत्कर्ष वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है और मायावती की बात करें तो अंशय कालरा पर भरोसा जताया गया है। वैसे, तो खीरी सीट पर कुल 11 प्रत्याशी ने अपना नामांकन कराया है, लेकिन मेन मुकाबला बीजेपी, सपा, बसपा के बीच देखने को मिल रहा है। अजय मिश्र टेनी की बात करें तो लगातार दो बार जीत कर केंद्र मैं मंत्री रहे हैं और इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है।

जीप वाले कांड पर बीजेपी को घेरने की कोशिश
जीप से कुचलकर हुई किसानों की मौत के बाद टेनी पहली बार जनता की अदालत में जा रहें हैं। ये चुनाव इसलिए भी खास है क्योंकि इस बार के चुनाव में ये भी तय हो जाएगा कि क्या खीरी की जनता उन्हें उस घटना के लिए जिम्मेदार मानती है या नहीं। अगर टेनी चुनाव जीतते हैं तो केंद्र सरकार के पास ये कहने का मौका जरूर होगा कि अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बाहर ना करने का फैसला सही था। आपको याद होगा किसान आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन में थार जीप से कुचलकर किसानों की मौत हो गई थी। किसानों के ऊपर थार चढ़ाने के मामले में टेनी के बेटे आशीष मिश्रा आरोपी हैं। विपक्ष इस मुद्दे को हाथ नहीं जाने देना चाहता। विपक्ष ने जोर-शोर से टेनी की उम्मीदवारी को किसान बेल्ट में मुद्दा बनाया हुआ है।
वहीं अजय मिश्र टेनी के लिए एक और मुसीबत दिखाई दे रही है, वो है पार्टी के अंतर्कलह की। दरअसल, खीरी सीट में पांच विधानसभाएं आती हैं। इसमें, सदर, गोला, पलिया, श्रीनगर, निघासन सीट है। जिनमें से पलिया के विधायक रोमी साहनी, गोला गोकर्णनाथ के विधायक अमन गिरी, निघासन के विधायक शशांक वर्मा नाराज बताए जा रहें हैं। ये भी कहा जा रहा है कि बड़ी रैलियों में इनका न मौजूद रहना अपने आप में बड़े संकेत दे रहा है। ये अजय मिश्र टेनी के लिए आने वाले वक्त में घातक साबित हो सकता है।

सपा ने कुर्मी समाज के नेता को दिया टिकट
वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी ने भी इस बार नए चेहरे उत्कर्ष वर्मा को टिकट दिया है। उत्कर्ष वर्मा की कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसके साथ ही साथ मुस्लिम समाज का भी उत्कर्ष वर्मा को अच्छा समर्थन मिला हुआ है।उत्कर्ष भी लगातार अपने क्षेत्र की जनता के बीच जा रहें हैं और अपने पक्ष में वोट देने की अपील कर रहें हैं। तिकुनिया हिंसा कांड की याद सिख समुदाय को दिला रहें हैं। एक तरफ बीजेपी के अंदर से नाराजगी सामने आ रही है तो वहीं सपा भी इससे अछूती नहीं है। सपा उम्मीदवार के लिए दिक्कत खड़ी हो रही है रवि वर्मा की नाराजगी से। समाजवादी पार्टी के नेता रहे रवि प्रकाश वर्मा को यहा की जनता ने लगातार तीन बार संसद जाने का मौका दिया। लेकिन 2024 में रवि वर्मा अपनी बेटी पूर्वी वर्मा को टिकट दिलाने के लिए समाजवादी पार्टी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि, ये सीट गठबंधन में सपा के खाते में चली गई।और रवि वर्मा ने भी रैलियों से दूरी बना ली। कहा जाता है कि रवि वर्मा कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ रखते हैं।

बसपा ने अंशय कालरा को बनाया उम्मीदवार
अब बात करते हैं मायावती के उम्मीदवार की। बीएसपी ने इस सीट से अंशय कालरा को उम्मीदवार बनाया है। जो कि पंजाबी समाज से आते हैं और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इनका व्यवसाय है।  अंशय कालरा भी लोकसभा का पहला चुनाव लड़ रहे हैं। उनकी जनसभा में भी काफी भीड़ देखने को मिल रही है। पिछली बार के चुनाव की बात करें तो खीरी लोकसभा सीट पर बीएसपी का वोटर खिसक कर बीजेपी में शिफ्ट हो गया था। इस बार अंशय कालरा के सामने अपने वोट बैंक को एकजुट रखने की चुनौती है। वहीं, इस सीट पर लगभग 27 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता हैं, ओबीसी मतदाताओं की बात करें, तो यहां लगभग 28 फीसद ओबीसी मतदाता निर्णायक साबित होते हैं। लगभग 20 फीसद मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि करीब 18 प्रतिशत सवर्ण आबादी बताई जाती है। वहीं, लगभग ढाई फीसद सिख आबादी भी है।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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