Revanth Reddy: कौन हैं कांग्रेस के नए खेवैया रेवंत रेड्डी?

By UltaChashmaUC | December 7, 2023

आज तेलंगाना को अपना सीएम मिल गया है। हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव में तेलंगाना से कांग्रेस की तरफ से रेवंत रेड्डी ने बीआरएस को मात देकर ऐताहासीक जीत हासिल की। ऐसे में आज हम आपको युवा नेता रेवंत रेड्डी के बारे में बताएंगे। दोस्तों रेवंत रेड्डी का राजनीतिक यात्रा बेहद दिलचस्प रही है। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से लेकर तेलगू देशम पार्टी तक में रह चुके हैं। दोस्तों, तेलंगाना में इन दिनों एक ही नाम की गूंज है, वह नाम है रेवंत रेड्डी का। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में उन्होंने ऐसा कमाल किया है, जैसा कोई कर नहीं सकता है। दक्षिणी राज्य में कांग्रेस को मजबूत बढ़त दिलाने वाले रेवंत रेड्डी आज तेलंगाना के मुख्यमंत्री बन गए हैं। साल 2017 तक वह तेलगू देशम पार्टी में रहे। जब उन्हें पता चला कि इस पार्टी की जमीनी पकड़ खत्म हो रही है, तब उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया। रेवंत रेड्डी ने पार्टी छोड़ने से पहले कहा कि वे अपने राजनीतिक भविष्य के लिए टीडीपी छोड़ रहे हैं। वे बिना किसी मनमुटाव के पार्टी छोड़कर चले गए। रेवंत रेड्डी चुनावी मौसम के जिम्मेदार हैं। वे हर विधायक की कमजोरी और मजबूती जानते हैं।

30 साल की उम्र में राजनीति में रखा कदम
रेवंत रेड्डी जब एक युवा नेता के तौर पर उभर कर निकल रहे थे उस वक्त उनकी उम्र 30 साल की थी, तो वे जुबली हिल्स हाउसिंग सोसाइटी के अध्यक्ष बने। यह वह सोसाइटी है जहां सबसे अमीर और प्रभावशाली हस्तियां रहती हैं। 2007 में, उन्होंने स्थानीय निकाय चुनावों में एक स्वतंत्र एमएलसी के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इससे ठीक एक साल पहले उन्होंने जिला परिषद के सदस्य के रूप में जीत हासिल की थी। दोस्तों, रेवंत रेड्डी एक कुशल रणनीतिकार रहे हैं जिसे हमने इस बार के चुनाव में देखा। इस बार के चुनाव में उन्होंने अधिकांश सदस्यों को अपना नामांकन वापस लेने के लिए मना लिया और अपना रास्ता साफ कर लिया जिससे 10 सालों से तेलंगाना में राज कर रही केसीआर को सत्ता से बेदखल कर दिया।

हर पार्टी का सदस्य रह चुके हैं रेड्डी
रेवंत रेड्डी तेलंगाना की सभी प्रमुख पार्टियों में रह चुके हैं, जिससे उन्हे राजनीति के बारे में अच्छी समझ हो गई। वह एक ऐसे नेता हैं जिनकी दोस्ती हर पार्टी के राजनेता से है। आपको बता दें कि रेवंत रेड्डी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारत राष्ट्र समिति, टीडीपी से लेकर कांग्रेस तक में शामिल रहे हैं। इतने घाटों का पानी पीने के बाद उन्हें असली पहचान कांग्रेस में ही मिली। साल 2009 में, उन्होंने ग्रामीण सीट कोडंगल में टीडीपी के टिकट पर जीत हासिल की और 2014 में भी इसे दोहराया। इसके बाद यह लोगों के बीच इतने लोकप्रिय हो गए कि आज मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं। रेड्डी साल 2017 में कांग्रेस में शामिल हुए। महज छह साल में कांग्रेस ने उन पर ऐसा भरोसा जताया कि उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया। वे सिद्धारमैया की तरह ही भाग्यशाली रहे हैं, जो जनता दल (सेक्युलर) कांग्रेस जाकर छोटे से कार्यकाल में ही साल 2013 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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