सपा से नाता तोड़ जयंत चौधरी मंत्री के लालच में जा रहे बीजेपी के साथ?

By UltaChashmaUC | February 7, 2024

उत्तर प्रदेश की विपक्षी गठबंधन इंडिया में एक बार फिर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते है। ऐसा कहा जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल की बीजेपी के साथ करीबी बढ़ रही है। आने वाले दिनों में भाजपा के साथ राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन हो सकता है, इस बात से मानो उत्तर प्रदेश की राजनीति में तूफान आ गया है। पिछले कुछ दिनों पहले समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात हुई। इसके बाद अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी के साथ लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर गठबंधन का ऐलान किया। कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने सीटों के मुद्दे पर जयंत चौधरी को कोई तसल्ली नहीं दी है। जयंत चौधरी विपक्षी गठबंधन इंडिया से कम से कम 12 सीटों की मांग कर रहे है, लेकिन समाजवादी पार्टी 4 से 5 सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल के उम्मीदवार खड़ा करने को कह रही है। सूत्रों का दावा है कि समाजवादी पार्टी ने रालोद का ऑफर दिया है कि वह अपने जिताऊ उम्मीदवारों को समाजवादी पार्टी के सिंबल पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं। लेकिन जयंत चौधरी इसके लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं।

बीजेपी के साथ जाने पर फायदे
भारतीय जनता पार्टी भी जयंत चौधरी को 4 से 5 सीटों को देने का आश्वासन दिला रही है। इसके बाद से ही जयंत चौधरी और भाजपा के बीच कुछ ज्यादा ही करीबी देखने को मिल रही हैं। 12 फरवरी को जयंत चौधरी की बागपत की रैली के स्थगित किए जाने का कारण भी यही माना जा रहा है। लोकसभा चुनाव  में भाजपा और रालोद एक साथ उतर सकते हैं। जाट वोट बैंक का एक बड़ा वर्ग पिछले दिनों जयंत चौधरी के साथ जाता दिखा है। भारतीय जनता पार्टी 2014 के बाद पहली बार पश्चिम उत्तर प्रदेश सीटों के मामले में मजबूत नजर नहीं आ रही है। पार्टी यूपी में मिशन 80 के साथ आगे बढ़ रही है। कहा जा रहा है कि अगर जयंत चौधरी एनडीए में शामिल होते हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ- साथ राजस्थान और हरियाणा में भी भाजपा की स्थिति मजबूत होगी। ऐसे में इंडिया को आने वाले समय में एक और झटके का सांमना करना पड़ सकता है। वहीं, भाजपा के साथ जब पिछली बार 2009 में रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा था तो 7 में से 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं। उसके बाद से ही लोकसभा चुनाव में पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया है।

अखिलेश अब क्या करने वाले हैं
अखिलेश यादव के लिए सबसे बड़ी परेशानी तो यही कि वह जब भी किसी नए दल को अपने साथ जोड़ते है तो, उनके पुराने साथी उनसे नाराजगी जाहिर करते है। 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को अपने साथ जोड़ा था, लेकिन 2019 आते- आते गठबंधन टूट गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा के साथ गठबंधन किया, लेकिन चुनाव का परिणाम जारी होने के बाद गठबंधन मिट्टी में मिल गया। लोकसभा चुनाव 2024 में अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन करते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी की न्याय यात्रा के दौरान अखिलेश यादव उनके साथ रायबरेली या अमेठी में दिख सकते हैं।

PUBLISHED BY- SWATI PANDEY

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