VVPAT पर्चियों की पूरी गिनती की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को दिया नोटिस

By UltaChashmaUC | April 2, 2024

मोदी सरकार के ईवीएम वाले खेल पर सुप्रीम कोर्ट ने शिकंजा कस दिया है। जी हैं, चंद्रचूड़ की अदालत ने इलेक्शन कमीशन और मोदी सरकार को नोटिस जारी कर हर एक वोटर की जानकारी को लेकर इनसे जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि आपको वीवीपैट मशीन में जाने वाली हर पर्ची की जानकारी को बताना होगा।
जैसे एक कहानी में एक राजा की जान एक तोते में बसती थी, वैसे ही अब, मोदी की जान ईवीएम मशीन में बसती है। ऐसा लोग और विपक्ष के नेता कहते हैं। वो इसलिए कहते हैं क्योंकि जिस राज्य में एग्जिट पोल में बीजेपी दूर-दूर तक नजर नहीं आती है, उसमें वो भारी मतों से जीत हासिल कर लेती है। इन्ही सब को लेकर चुनाव में EVM के सभी वोटों की गिनती वीवीपैट मशीन की पर्चियों से कराने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिले
दरअसल, एक्टिविस्ट और एडवोकेट अरुण कुमार अग्रवाल की ओर से अगस्त 2023 में लगाई गई याचिका में मांग की गई थी कि EVM में पड़े सभी वोटों का मिलान वीवीपैट की पर्चियों से करना चाहिए, जो फिलहाल निर्वाचन क्षेत्र के रैंडम 5 EVM का ही VVPAT से मिलान होता है। साथ ही याचिका में कहा गया है कि वोटर्स को VVPAT की पर्ची फिजिकली वेरीफाई करने का मौका दिया जाना चाहिए। ताकि वोटर्स को खुद बैलेट बॉक्स में पर्ची डालने की सुविधा मिल सकें और वो जान सकें आखिर उनका वोट किसे पड़ा है। जिससे चुनाव में गड़बड़ी की आशंका बिल्कुल ही खत्म हो जाएगी।

VVPAT वेरिफिकेशन के लिए अधिकारियों को तैनात किया जाया
उस याचिका में ये भी कहा गया कि विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अधिक संख्या में अधिकारियों को तैनात किया गया, तो पूरा वीवीपैट verification केवल पांच से छह घंटे में किया जा सकता है। और सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग 5,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो मौजूदा समय में केवल लगभग 20,000 वीवीपैट की पर्चियां ही वेरिफाइड हैं। साथ ही इस याचिका में यह भी कहा गया कि 'चुनाव न केवल निष्पक्ष होना चाहिए बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिए क्योंकि सूचना के अधिकार को भारत के संविधान के आर्टिकल 19(1) (ए) और 21 के संदर्भ में भाषण और देश के नागरिक के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हिस्सा माना गया है। और इन्हीं सब बातों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और इलेक्शन कमीशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है, हालांकि इस पर अगली सुनवाई जो है वो  17 मई को होगी। पर वैसे आपको क्या लगता है, क्या इन्ही कारणों से बीजेपी अब तक जीत हासिल कर पा रही थी। अपना जवाब हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर दें।

PUBLISHED BY-ARUN CHAURASIYA

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