अचानक मुख्तार के घर क्यों जा रहे अखिलेश? समझिए पूरा राजनीतिक गणित

By UltaChashmaUC | April 6, 2024

अखिलेश यादव 2024 की जंग में मैदान में उतरने जा रहे हैं, तारीख है 7 अप्रैल और जगह होगी गाजीपुर का कालीबाग कब्रिस्तान। वही कब्रिस्तान जहां मुख्तार अंसारी दफन है। मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अखिलेश पहली बार उनके परिवार के लोगों से मुलाकात करेंगे। मुख्तार की कब्र पर फूल चढ़ाने के बाद वो गाजीपुर के यूसुफपुर गांव में बड़ा फाटक जाएंगे। बड़ा फाटक यानी अंसारी फैमिली का घर।
मुख्तार की मौत के बाद अखिलेश ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने बिना नाम लिए मुख्तार की मौत पर सवाल खड़े किए थे। लोगों ने कहा कि सपा को मुस्लिमों के वोट तो चाहिए लेकिन मुख्तार अंसारी का नाम तक लिखने में अखिलेश यादव संकोच कर रहे हैं। ऐसे ही आरोप अखिलेश पर लगे कि वो मुस्लिमों की आवाज नहीं उठाते, हालांकि मुख्तार की मौत के बाद अखिलेश ने उमर अंसारी और मन्नू अंसारी दोनों से फोन पर बात की थी। और अब मुख्तार की मौत के करीब एक हफ्ते बाद अखिलेश ने मुख्तार अंसारी के घर जाकर परिजनों से मिलने का फैसला किया है। हालांकि इससे पहले पूर्व सांसद धर्मेन्द्र यादव मुख्तार के परिजनों से मिल चुके हैं।

आखिर मुख्तार फैमिली क्यों जरूरी है?
मुख्तार के बड़े भाई अफजाल अंसारी गाजीपुर के सांसद हैं और इस चुनाव में गाजीपुर से सपा के सिंबल पर चुनाव भी लड़ रहे हैं। मुख्तार के दूसरे भाई सिबगतुल्लाह अंसारी के बेटे सुहैब उर्फ मन्नू अंसारी भी सपा के विधायक हैं। आखिर मुख्तार फैमिली क्यों जरूरी है। वो भी समझ लीजिए। मुख्तार अंसारी और उसके परिवार की सियासी पकड़ भले मऊ, गाजीपुर, आजमगढ़ सहित पूर्वांचल के कुछ जिलों तक रही हो, लेकिन ये परिवार पूरे प्रदेश से किसी न किसी तौर पर जुड़ा रहा है। मुख्तार के दादा कांग्रेस के अध्यक्ष थे और पिता सुभानउल्लाह अंसारी कम्युनिस्ट के नेता थे। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी ने सियासी पारी की शुरुआत कम्युनिस्ट पार्टी से की। दरअसल, मुख्तार फैमिली ने सोशल इंजीनियरिंग से पब्लिक के बीच पैठ बनाई। यही वजह है कि गाजीपुर में सिर्फ 10% मुस्लिम आबादी होने के बाद भी अफजाल पहले विधायक और फिर सांसद चुने जाते रहे हैं।

एक के बाद एक ये नेता पहुंचे मुख्तार के घर
सपा के थिंक टैंक को ये पता है कि मुख्तार का आसपास की 5 लोकसभा सीटों पर अच्छा खासा प्रभाव रहता है। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी के पास M-Y समीकरण होने के बावजूद पार्टी को मुख्तार के सिंपैथी वोट की दरकार है। मुख्तार के परिवार का सियासी रसूख ही है कि स्वामी प्रसाद मौर्य और ओवैसी भी मुख्तार की मौत के बाद परिजनों से मुलाकात कर चुके हैं।
अगर सपा की बात करें तो धर्मेन्द्र यादव, राम गोविंद चौधरी, अतरौलिया के विधायक संग्राम यादव, मछलीशहर सीट से विधायक रागिनी सोनकर और आजमगढ़ के नेता MLC बलराम यादव भी मुख्तार के घर पहुंचकर अपनी सांत्वना दे चुके हैं और अब खुद अखिलेश यादव जा रहे हैं। पूरी कोशिश मुस्लिम वोटर्स को लामबंद करने की है। वहीं बीजेपी भी इस बात को समझ रही है कि अंसारी फैमिली के साथ सिम्पैथी वोट रहने वाला है। इसलिए बीजेपी गाजीपुर में प्रत्याशी का फैसला करने में असमंजस में फंसी है। यहां तीन नामों पर मंथन चल रहा है मनोज सिन्हा, पूर्व विधायक अल्का राय और सैयदराजा के बीजेपी विधायक सुशील सिंह।

गाजीपुर में साढ़े चार लाख यादव और डेढ़ से पौने दो लाख मुस्लिम वोटर्स
गाजीपुर में 2019 में अफजाल सांसद बने और ये अंसारी फैमिली का ही रसूख था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में यहां किसी भी सीट पर बीजेपी की जीत नहीं हुई। अगर गाजीपुर के समीकरण की बात करें तो यहां साढ़े चार लाख यादव और डेढ़ से पौने दो लाख मुस्लिम वोटर्स हैं। जबकि ठाकुर वोटर्स भी 2 लाख के आस पास हैं और दलित वोटर्स साढ़े चार लाख हैं।
मनोज सिन्हा इस सीट से 3 बार सांसद रहे हैं। जबकि अफजाल अंसारी 2 बार। लेकिन इस बार बीजेपी ये तय नहीं कर पा रही है कि टिकट किसे दिया जाए। उधर अखिलेश यादव इस परिवार से मुलाकात करके पूरे यूपी के मुस्लिम समाज को मैसेज देने की कोशिश करेंगे। अब देखना होगा कि अखिलेश का ये दांव मुस्लिम वोटर्स के बीच उनकी पैठ को कितना मजबूत करता है।

PUBLISHED BY-ARUN CHAURASIYA

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