कांशीराम के नारे को मायावती ने बदला, बसपा की धुआंधार रैली के साथ पोस्टर पर दिखेगा ये नया नारा?

By UltaChashmaUC | April 11, 2024

यूपी की सियासत से अभी तक मायावती को दूर देखा जा रहा था, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब लोकसभा चुनाव में हाथी का छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह से कमर कस लिया है। जिसको देखते हुए उन्होंने एक बड़ा ऐलान किया है, मायावती ने अपनी पार्टी के नारे को बदल दिया है। इसके साथ- साथ बसपा के पुराने अस्तित्व को वापस लाने के लिए मायावती धुंआधार रैलियां करने के लिए आज से निकल पड़ी हैं। वो गुरुवार के दिन नागपुर से अपनी रैली की शुरुआत कर रही हैं। इसके अलावा वो यूपी में 14 से 23 अप्रैल तक 12 लोकसभा सीटों पर 10 रैलियां करेंगी। साथ ही जिन सीटों पर मायावती रैलियां करेंगी वहां पर पहले और दूसरे चरणों में मतदान होने हैं। रैली और पार्टी के नए नारे के साथ मायावती बसपा को एक नई ऊंचाई और अपने पुराने वाले दबदबे में वापस लाने की पूरी कोशिश कर रहीं हैं।

"सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" की जगह "बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय" होगा
2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने कांशीराम के द्वारा दिए गए नारे को बदल दिया है। पार्टी ने गुरुवार के दिन प्रेस नोट जारी कर "सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय" नारे की जगह नए नारे का ऐलान किया है। ये नारा पार्टी के गठबंधन को देखते हुए साल 2007 में दिया गया था जो पिछले चुनावों तक बसपा के पोस्टरों और प्रचार में देखा जाता था। लेकिन अब मायावती ने इसे बदल दिया है।  पार्टी ने बताया कि अब उनका नया नारा "बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय" होगा। इसके पीछे पार्टी की नई सोच बताई जा रही है।

स्लोगन बदलने के पीछे की गणित
इस नए स्लोगन के पीछे बसपा की एक नई रणनीति है। दरअसल, बसपा शुरुआत से ही दलित, पिछड़ों, दलितों की बात करती रही है। जिसके बल पर और इन वर्गों को साथ लाकर ही कांशीराम ने पार्टी का गठन किया था। उसके बाद 2007 में सवर्णों को भी अपने पक्ष में लेने के लिए पार्टी को नया स्लोगन दिया गया, जो सर्वजन के रूप में देश के सामने आया। इसके आने के बाद ही बसपा की पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में सरकार बनी। लेकिन साल 2012 के बाद बसपा का राजनीतिक ग्राफ लगातार गिरता गया। जिसका परिणाम सपा एक दमदार पार्टी के तौर पर निकली। वहीं, बसपा का राजनीतिक इंपैक्ट इतना नीचे चला गया कि पिछले 2022 के विधानसभा चुनाव में इनकी सबसे खराब स्थिति हो गई और इस चुनाव में बसपा को मात्र 13 प्रतिशत ही वोट मिले। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव में बसपा ने सपा से बेहतर प्रदर्शन कर यूपी में 10 सीटें जीती।
वहीं यूपी के 2022 के चुनाव के बाद बसपा को लगा कि उनका दलित वोट बैंक उनसे दूर जा रहा है, जिसको देखते हुए बसपा अपने दलिच वोट बैंत को सहेजने में जुट गई है। इसलिए मायावती को चार दशक पुराना 'वोट हमारा, राज तुम्हारा...' नारा याद आया। जिसको देखते हुए अब सर्वजन की जगह फिर बहुजन की बात हो रही है।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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