धनंजय सिंह की पत्नी के टिकट कटने की INSIDE STORY, ठाकुर समाज को साथ लाने के लिए बीजेपी का बड़ा दांव

By UltaChashmaUC | May 7, 2024

यूपी बीजेपी ने दिल्ली आलाकमान को इस बार के चुनावी गणित को समझने के लिए भेजी थी। पूर्वांचल में भाजपा के लिए 7 सीटों पर मुश्किल बताई गई, ये सीटें हैं- जौनपुर, मछलीशहर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, चंदौली और आजमगढ़। पूर्वांचल में धनंजय सिंह का 10 से 12 सीटों पर सीधा असर है। ठाकुर बिरादरी में अच्छी पैठ है। इसीलिए धनंजय सिंह को चुनाव से अलग करने की स्ट्रेटजी बनी। अंदर-अंदर ये तय हुआ कि धनंजय सिंह चुनावी मैदान से बाहर रहकर साइलेंट तरीके से भाजपा को सपोर्ट करें, ताकि क्षत्रिय वोटरों की नाराजगी को दूर किया जा सके, लेकिन ये हो कैसे। इसके लिए शुरू हुई धनंजय सिंह पर दबाव बनाने की रणनीति।

निर्दलीय के कारण हुआ जेल
इसी रिपोर्ट के बाद अमित शाह 2 दिन के दौरे पर लखनऊ आए, बेंगलुरु में राजा भैया से मुलाकात हुई और फिर लिखी गई जौनपुर में एक नई स्क्रिप्ट। स्क्रिप्ट धनंजय सिंह को चुनावी मैदान से आउट करने की। जो शुरू होती है थोड़ा पहले से, धनंजय सिंह जौनपुर से चुनाव लड़ना चाहते थे, कहीं से टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय उतरने का मन बनाया। सपा से बात शुरू हुई ही थी कि धनंजय सिंह को एक पुराने मामले में 7 साल की सजा सुनाकर सलाखों के पीछे भेज दिया गया। बीजेपी को लगा कि अब ठीक है, कृपा शंकर सिंह चुनाव जीत जाएंगे।  लेकिन 16 अप्रैल को मायावती ने श्रीकला सिंह यानी धनंजय सिंह की पत्नी को लोकसभा का टिकट दे दिया। जिसके कारण बीजेपी की मुसीबत और बढ़ गई। इसी बीच 24 अप्रैल को अमित शाह वाराणसी पहुंचे, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। यहां जौनपुर के नेताओं ने उनसे मुलाकात की और कहा कि धनंजय सिंह जेल के अंदर से चुनाव की प्लानिंग कर रहे हैं। इसके बाद 27 अप्रैल की सुबह धनंजय सिंह को बरेली जेल शिफ्ट करने का आदेश आ गया।

भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए बीजेपी का दांव
धनंजय जौनपुर से बरेली के रास्ते में ही थे, इलाहाबाद हाईकोर्ट से उनकी जमानत के आदेश हो गए। 1 मई को धनंजय बरेली जेल से बाहर निकले। उसी दिन श्रीकला रेड्डी ने बसपा से नामांकन भी दाखिल कर दिया। लेकिन 5 और 6 मई की रात करीब एक बजे मायावती ने श्याम सिंह यादव को प्रत्याशी बना दिया। अब आपको बताते हैं कि आखिर धनंजय सिंह पर दबाव कैसे बढ़ा। तो बता दें कि धनंजय सिंह की पत्नी जिला पंचायत की अध्यक्ष भी हैं। वो 2021 में निर्दलीय जिला पंचायत अध्यक्ष बनी थीं। 30 जुलाई, 2023 को कृपा शंकर यादव नाम के शिकायतकर्ता ने सीएम योगी को पत्र भेज कर जिला पंचायत में भ्रष्टाचार की शिकायत की। कृपा शंकर यादव ने आरोप लगाया था कि जिला पंचायत के ठेके धनंजय सिंह के इशारे पर दिए जा रहे हैं। जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है। इसी मामले में अगस्त, 2023 में शाहगंज के विधायक रमेश सिंह ने विधानसभा में सवाल भी लगाया।

ठाकुरों को साधने के लिए धनंजय की रिहाई
वहीं, ये भी दावा किया जा रहा है कि जब धनंजय सिंह जमानत पर बाहर आए तो उन पर इसी मामले में दबाव बनाया गया। इस बीच यूपी के 2 बड़े ठाकुर नेताओं ने बीजेपी आलाकमान को बताया कि यूपी में ठाकुर बहुत नाराज हैं। ऐसे में धनंजय सिंह पर और कार्रवाई हुई तो नुकसान बहुत बड़ा होगा। कार्रवाई से क्षत्रियों में नाराजगी बढ़ सकती है। इसके बाद इन्हीं दोनों ठाकुर नेताओं को बीच का रास्ता निकालने को कहा गया। रास्ता कुछ ऐसे निकला कि एक मई को धनंजय सिंह बाहर आए, जौनपुर आए और यहां से सीधे दिल्ली निकल गए। धनंजय सिंह की 5 मई को यूपी के दो कद्दावर ठाकुर नेताओं से बातचीत हुई। ये दोनों नेता धनंजय सिंह के शुभचिंतक, बहुत करीबी हैं। इन नेताओं ने ही समझौते को लेकर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का संदेश धनंजय तक पहुंचाया। दोनों नेताओं ने बताया कि अगर आप चुनाव लड़ते हैं, तो पत्नी के भ्रष्टाचार के मामले में एक्शन हो सकता है।

धनंजय सिंह ने खुद फोन करके टिकट लौटाया
यूपी में बीजेपी के कुछ नेताओं से भी धनंजय सिंह ने बात की। धनंजय अभी सोच ही रहे थे कि इस बीच मायावती को इस पूरे मामले की भनक लगी और उन्होंने धनंजय सिंह की पत्नी का टिकट काट दिया ऐसी खबरें आ गईं। लेकिन बीएसपी के वाराणसी मंडल के कोऑर्डिनेटर घनश्याम चंद्र खरवार का कहना है कि टिकट काटा नहीं गया, बल्कि धनंजय सिंह ने खुद फोन करके टिकट लौटाया है। ये कहानी तो धनंजय सिंह की पत्नी के चुनाव लड़ने और न लड़ने की है। लेकिन धनंजय सिंह और उनकी पत्नी के चुनाव समर से दूर होने से फायदा किसको है। जाहिर सी बात है बीजेपी क्योंकि जौनपुर में ठाकुर वोटर्स किंगमेकर हैं और यहां बीजेपी के प्रत्याशी हैं कृपा शंकर सिंह। जो अमित शाह के खास लोगों में शामिल हैं।

18 सीटों पर ठाकुर वोट 1 लाख से ज्यादा
खबर है कि धनंजय सिंह इस चुनाव में साइलेंट होकर क्षत्रिय वोटर्स को बीजेपी के पाले में लाने का काम करेंगे। उन ठाकुरों को मनाएंगे जो बीजेपी से नाराज हैं। पूर्वांचल में 25 लोकसभा सीटें हैं। इनमें से 18 सीटों पर ठाकुर वोट 1 लाख से ज्यादा हैं, यूपी के ठाकुर नेताओं को साधकर भाजपा इन सीटों पर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। जहां तक धनंजय सिंह की बात है, ठाकुर मतदाताओं में धनंजय सिंह का असर पूर्वांचल की 12 सीटों पर है। इनमें जौनपुर, मछलीशहर, घोसी, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़, लालगंज, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और भदोही की सीट है। अब तो राजा भैया भी बीजेपी के पाले में खड़े नजर आ रहे हैं। अमित शाह से मिलकर उनकी नाराजगी दूर हो चुकी है। ऐसे में प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज और फूलपुर सीट पर राजा भैया का सपोर्ट भाजपा को मिल सकता है। यानि ठाकुरों की नाराजगी से घबराई हुई बीजेपी अब इन दोनों ठाकुर नेताओं की शरण में हैं और जौनपुर की सीट जीतना अमित शाह के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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