ED इनकम टैक्स की छापेमारी के बाद इन कंपनियों ने खरीदा चुनावी बॉन्ड

By UltaChashmaUC | March 15, 2024

क्या ED के डर से बीजेपी को इतना चंदा मिला? क्या छापेमारी से बचने के लिए पार्टी को फंडिंग की गई? क्या सरकारी टेंडर को पाने के लिए कंपनियों ने पार्टीज को फंडिंग दी? इन सब सवालों के जवाब इस आर्टिकल में आपको मिलेगा।


भारतीय स्टेट बैंक यानी SBI की ओर से चुनाव आयोग को दी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी में सामने आया कि करोड़ों रुपये की कीमत के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन पर ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाई हो चुकी है। इनमें से कुछ कंपनियों पर 2019 में भी ईडी की छापेमारी की कार्रवाई हुई है और इस दौरान इन्होंने 5 साल में अलग-अलग समय पर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। इनमें 1300 करोड़ से भी ज्यादा रकम के सबसे महंगे चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विस प्राइवेट लिमिटेड का भी नाम है। जिनका बेटा खुद बीजेपी का सदस्य है।

22 कंपनियां ने 100 करोड़ से ज्यादा का चंदा दिया
चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई लिस्ट में 22 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को 100 करोड़ से ज्यादा का चंदा दिया है। 2019 से 2024 के बीच सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली 30 कंपनियों में से 14 ऐसी हैं, जिन पर छापेमारी हो चुकी है। तो आइए जानते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले डोनर्स की लिस्ट में वो कौन सी कंपनियां हैं, जिन पर ईडी और इनकम टैक्स ने छापेमारी की।

छापे के बाद इन कंपनियों ने खरीदा बॉन्ड
1. फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
इस कंपनी का नाम इसलिए सबसे ऊपर है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की जो लिस्ट जारी हुई है, उसमें सबसे ज्यादा कीमत के बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट इनका नाम सबसे ऊपर है। इस कंपनी ने 2019 से अब तक 1,368 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। आपको बता दें कि ये कंपनी  लॉटरी इंडस्ट्री से ताल्लुक रखती है, और सेंटियागो मार्टिन नाम के शख्स ने साल 1991 में यह कंपनी बनाई थी। वहीं, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी 10 साल से ED और IT डिपार्टमेंट की रडार पर है। साल 2019 में IT ने मार्टिन के देशभर के 70 ठिकानों पर छापा भी मारा था। इसके बाद साल 2022 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में कंपनी पर छापेमारी की और 409 करोड़ की संपत्ति जब्त की। इस कंपनी पर आरोप था कि साल 2014 से 2017 के बीच कंपनी ने लॉटरी टिकट के जरिए गैरकानूनी तरीके से 400 करोड़ रुपये कमाए। और जब 2 अप्रैल, 2022 को छापेमारी हुई तो इसके बाद 7 अप्रैल को कंपनी ने 100 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे। तो ऐसे में सवाल उठना तो लाजमी है कि क्या छापे और ईडी के डर से इस कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।

2. मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
इस कंपनी की चुनावी बॉन्ड खरीदने की भी लंबी लिस्ट है। कंपनी ने 966 करोड़ की कीमत के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं। 12 अप्रैल, 2019 से 12 अक्टूबर, 2023 तक कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने शुरू किए और एक दिन में ही एक करोड़ की कीमत वाले कई बॉन्ड खरीदे। अब आपको जानकर हैरानी होगी कि इस कंपनी पर साल अक्टूबर, 2019 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रेड मारी थी। इस कार्रवाई में हैदराबाद इनके कई ठिकानों पर कंपनी से जुड़े कई कार्यालयों पर छापेमारी की गई थी।

3. जिंदल स्टील एंड पावर
इस कंपनी ने 7 अक्टूबर 2022 को 22 करोड़ रुपए का चंदा दिया। ठीक 3 दिन बाद 10 अक्टूबर को गियर पाल्मा कोल माइन कंपनी को मिल गई। शिर्डी साई इलेक्ट्रिकल्स पर दिसंबर 2023 में छापा पड़ा था।  इसके बाद जनवरी 2024 में कंपनी ने 40 करोड़ का डोनेशन दे दिया।

4. टोरेंट पावर
टोरेंट पावर नाम की कंपनी ने 86.5 करोड़ का चंदा दिया और इसके बदले में गुजरात में 47 हज़ार करोड़ की सरकारी डील हासिल कर ली। हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड पर 2020 में CBI की रेड पड़ी थी और इस कंपनी ने 377 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेट किए।

5. हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड
हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड कंपनी ने 377 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेट किए हैं। कंपनी पर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन की कार्रवाई हुई थी। साल 2020 में कंपनी पर यह कार्रवाई हुई थी।

6. वेदांता लिमिटेड
वेदांता ग्रुप कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड पर साल 2022 में ईडी ने छापेमारी की थी। यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई थी। चुनाव आयोग की ओर से भेजी गई लिस्ट में बताया गया कि कंपनी ने 400 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं।

7. यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओर से 162 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए पॉलिटिकल पार्टी को चंदा दिया है। कंपनी पर भी इनकम टैक्स की छापेमारी हो चुकी है। यह छापेमारी साल 2020 में हुई थी और कंपनी ने 2021 में चुनावी बॉन्ड खरीदे।

8. डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड
डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड पर साल 2019 में सीबीआई की ओर से जमीन आवंटन में अनियमितता के मामले में कार्रवाई की गई थी। इसके बाद 2023 में ईडी ने कंपनी के गुरुग्राम में कार्यालयों पर भी छापेमारी की थी। यह छापेमारी रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक से जुड़े एक मामले में जांच के दौरान हुई थी। कंपनी ने 130 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।

9. सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया
अदार पूनावाला सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के CEO हैं। कोविड काल में इनकी कंपनी को भारत सरकार की ओर से कोविड की वैक्सीन का बहुत भारी ऑर्डर मिला था। इसके बाद अदार ने 18 अगस्त 2022 को 52 करोड़ से ज्यादा रुपए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेट किए। और 23 अगस्त 2022 को मोदी जी से मुलाकात भी हुई। अब आप समझ सकते हैं कि अदार का पैसा कहां गया होगा।

10. ब्राइट स्टार इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड
इस कंपनी ने 8 मई 2019 को 10 करोड़ के बॉन्ड खरीदे। नवंबर 2022 में असम की हिमंता सरकार ने इस कंपनी के साथ मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए MOU साइन किया।

11. नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड
ये कंपनी अडानी की कंपनी के साथ मिलकर विजयवाड़ा एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी। और आपको याद होगा उत्तराखंड में उत्तरकाशी टनल में जो 41 मजदूर फंसे थे। वो टनल बनाने का काम भी इसी नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी के पास था। तारीख थी 12 नवंबर 2023। लेकिन इस कंपनी पर कोई एक्शन नहीं हुआ। क्यों? क्योंकि 18 अप्रैल 2019 को इस कंपनी ने 30 करोड़ के बॉन्ड खरीदे और फिर 10 अक्टूबर 2022 को 10 करोड़ के बॉन्ड खरीदे।

अब आप समझ गए होंगे कि सारा खेल है क्या, चंदा क्यों देना पड़ा और उसके ईनाम में क्या क्या मिला।
SBI ने जो अधूरा डेटा दिया है। उस पर भी सवाल उठने लगे हैं। ADR के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि SBI ने वो यूनिक कोड नहीं बताया, जिससे पता चलता कि किसने-किसे चंदा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी SBI को फटकार लगाई है कि आपने यूनिक कोड क्यों नहीं दिया ?
उधर RBI ने भी इलेक्टोरल बॉन्ड में मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका जताई थी।  पूरे खेल में इस बात को भी डिनाई नहीं किया जा सकता कि फेक और शेल कंपनियों को सिर्फ पैसा डोनेट करने के लिए बनाया गया हो।

PUBLISHED BY- ARUN CHAURASIYA

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