5 राज्यों में युवाओं का करिश्मा, 2019 चुनाव में गेम चेंज हो सकता है आंकड़े देखिए…
- 2019 में सत्ता देश के युवा तय करेंगे
- 5 राज्यों के चुनाव में युवाओं ने करिश्मा किया है
- युवा वोटर्स को साधने के लिए लगाए जा रहे हैं जुगाड़
- युवा जिधर सत्ता की चाबी उधर, कैसे युवा चुनावों में गेम चेंजर साबित हो रहे हैं. कैसे पहली बार वोट करने वाले युवा सत्ता पलट रहे हैं जनने के लिए नीचे पढ़िए..तभी पता चलेगा..ऐसे नहीं जान पाएंगे..
तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत और बीजेपी की हार का दोनों पार्टियों के पास कई वजहें होंगी. जो गिनाई जा सके. लेकिन सत्ता के सेमीफाइनल में बीजेपी की हार ने ये तय कर दिया कि देश का युवा जिसके साथ है. राज उसी का रहेगा. जिसके साथ होंगे जवान. उसी का दिल्ली के तख्त पर होगा राज. लिहाजा हरेक पार्टी युवा वोटर्स को रिझाने की पूरजोर कोशिश में लगी है. क्योंकि इन युवाओं में से ही एक वो वर्ग भी है. जो पहली बार आम चुनाव 2019 में वोट करेगा. और वो वोटर्स हैं फर्स्ट टाइम वोटर्स. वोट बैंक में यही है आज का मुद्दा.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में 2014 जैसे नतीजे दोहराने के लिए कोशिश में जुटी बीजेपी ‘नेशन विद नमो’ और ‘पहला वोट मोदी के नाम’ अभियान के जरिये युवाओं और पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं को साधेगी. 2014 के लोकसभा चुनावों में करीब 10 करोड़ युवा मतों के सहारे बीजेपी केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी. इसीलिए केंद्र और राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी ने युवा मतदाताओं को लक्ष्य बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर ही योजना तैयार की है.
दूसरी ओर कांग्रेस ये मान रही है कि तीन राज्यों में अगर पार्टी किसान और नौजवान के मुद्दों पर और आक्रामक होती तो ये जीत बड़ी हो सकती थी. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने युवा और किसानों का मुद्दा उछाला और पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया.
किसान और युवा जनादेश तय कर रहे हैं. वे अपने हिसाब से मुद्दे भी निर्धारित कर रहे हैं. गुजरात और कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भी यही ट्रेंड सामने आया था. ये दोनों वर्ग चुनाव की दिशा तय करने वाला सबसे निर्णायक फैक्टर बन गया है. ऐसे में सभी दलों को संकेत मिल चुका है कि उन्हें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में किस तरह उतरना है. और इसके लिए ज़रूरी है युवा वोट बैंक को रिझाना. क्योंकि अबकी बार
- 2019 में युवाओं का होगा बोल-बाला
- 90 करोड़ वोटर्स में से 25 करोड़ वोटर 24 साल से कम उम्र के होंगे
- 4 साल में साढ़े 4 करोड़ करोड़ नए वोटर जोड़े गए हैं
- 2014 के चुनाव में 5 साल में 11.7 करोड़ नए वोटर जुड़े थे
दरअसल तीन राज्यों की हार ने बीजेपी को संकेत दिया है कि केवल भावनात्मक मुद्दे उछालने से जीत नहीं होने वाली. पूरे चुनाव कैंपेन में योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचार रहे. तीनों राज्यों में योगी आदित्यनाथ ने 70 रैलियों का रिकॉर्ड बना दिया. बीजेपी ने हिंदुत्व कार्ड भी खूब उछला. लेकिन कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी और युवाओं को बेरोजगारी भत्ता का कार्ड खेला. कांग्रेस का ये आइडिया क्लिक कर गया. और नतीजा सामने है. आम चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस ने हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों पर कब्जा कर लिया. जिसके तहत 65 लोकसभा सीटें हैं.
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में युवाओं का चला जादू
- राजस्थान चुनाव में कुल 4.74 करोड मतदाताओं ने मतदान किया
- करीब ढाई प्रतिशत यानी करीब दस लाख वोटर ऐसे थे जिनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच थी
- 10 लाख वोटर्स ने पहली बार वोट दिया था.
- 5 करोड़ मतदाताओं में पहली बार वोट करने वाले 18-19 साल के मतदाताओं की संख्या 16 लाख से ज्यादा रही
- पहली बार वोट डालने का हक पाने वाले लगभग 12 लाख मतदाताओं ने वोट डाले
- छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 1.0072 करोड़ मतदाता युवा हैं
- 61 फीसदी वोटरों की उम्र 40 साल से कम है
- 32 फीसदी मतदाता 30 साल से कम के हैं
बीजेपी जानती है कि अगर युवा वोटर्स उनके हाथ से निकल गए तो संसद में बीजेपी की जगह विपक्ष में होगी. लेकिन युवा वोट को साधना बीजेपी के लिए इतना आसान भी नहीं होगा.
पंजाब से लेकर छत्तीसगढ़ तक में कांग्रेस ने बेरोजगारी को लेकर खूब वादे किए हैं. पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हर परिवार से 18 से 35 के बीच के एक युवा को नौकरी देने का वादा किया था. हर महीने 2,500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने की भी बात कही थी. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस ने हर महीने 2,500 रुपये का बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया. राजस्थान के चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस बेरोजगार युवाओं को 3500 रुपए भत्ता देने का वादा किया है.
बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में बेरोजगारों को 5000 रुपए भत्ता देने का वादा किया था. और कांग्रेस की तरह ही उसने भी छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता देने की बात की.
कांग्रेस के वादे पर जनता से ज़्यादा एतबार किया. तीनों राज्यों में किसानों और नौजवानों का हाथ को मजबूत साथ मिला. कांग्रेस की यूपी में भी युवाओं को साधने की रणनीति है. पार्टी का टारगेट पहली बार वोट डालने जा रहे युवाओं पर है. बेहतर भारत प्लान के तहत सूबे में छात्र कुंभ किए जाऐंगे. हर कुंभ में कम से कम एक एक हजार छात्र लीडर शामिल होंगे। उनके सामने नोटबंदी, जीएसटी जैसे मोदी शासन के फैसलों को लागू करने पर मंथन होगा.
युवा वोटर्स को साधने के लिए बेरोजगारी की पेंच सुलझाए बिना किसी भी पार्टी को वोट नहीं मिलने वाले. कांग्रेस के पास वो जुमला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. दूसरी ओर बीजेपी के पास बेरोजगारी दूर करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र है. और इन दोनों के बीच है देश के युवा. ख़ासकर वो जो पहली बार देश की सत्ता चलाने वाले सियासतदानों की किस्मत तय करने वाले हैं. ये किधर जाएंगे. ये अपनी मुश्किलें सुलझाने के लिए किस पार्टी पर ज़्यादा भरोसा करेंगे.