सरकार को कुंभ से 1200 अरब रुपये की आमदनी…
प्रयागराज में कुंभ मेले से उत्तर प्रदेश सरकार को 1,200 अरब रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद जताई गई है. और ये मनुमान उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने लगाया है.

इस बार के कुंभ मेले के लिए योगी सरकार ने 4,200 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. और ये मेला 50 दिन तक चलेगा. सभी सुविधाओं से लैस कुंभ देश के साथ-साथ विदेशों में भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. और विदेशों से भी लोग इस आस्था के कुंभ में पहुंच रहे हैं. मकरसंक्रांति के पहले शाही स्नान में कुंभ मेले में करीब 1 से 1.5 करोड़ लोग पहुंचे थे. और इस बार के कुंभ में करीब 14 से 15 करोड़ लोगों के पहुँचने का अनुमान है.
सीआईआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक 15 जनवरी से 4 मार्च तक आयोजित होने वाला कुंभ मेला, हालांकि धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है मगर इसके आयोजन से जुड़े कार्यों में छह लाख से ज्यादा कामगारों के लिए रोजगार उत्पन्न हो रहा है.
- कुंभ मेला क्षेत्र में आतिथ्य क्षेत्र में करीब ढाई लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
- एयरलाइंस और हवाई अड्डों के आसपास से करीब डेढ़ लाख लोगों को रोजी-रोटी मिलेगी.
- करीब 45,000 टूर ऑपरेटरों को भी रोजगार मिलेगा.
- इको टूरिज्म और मेडिकल टूरिज्म क्षेत्रों में भी लगभग 85,000 रोजगार के अवसर बनेंगे.
- टूर गाइड टैक्सी चालक द्विभाषिये और स्वयंसेवकों के तौर पर रोजगार के 55 हजार नए अवसर भी सृजित होंगे.
- सरकारी एजेंसियों तथा वैयक्तिक कारोबारियों की आय बढ़ेगी.
कुंभ मेले के अलावा पड़ोस के राज्यों राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी इसका फायदा जरूर होगा. वो इसलिए क्योंकि कुंभ में शामिल होने वाले पर्यटक-श्रद्धालु मेले के बाद इन राज्यों के पर्यटन स्थलों (फेमस जगह) पर भी जा सकते हैं. प्रयागराज का ये सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है.
प्रमुख स्नान
प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है. स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है. फिर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है.
पहला स्नान: मकर संक्रांति 15 जनवरी (माघ मास का प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है)
दूसरा स्नान: पौष पूर्णिमा-21 जनवरी, इस दिन पूर्ण चन्द्र निकलता है. और इसी दिन से कुम्भ मेला की अनौपचारिक शुरूआत कर दी जाती है.
तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या-4 फरवरी, इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान करने वालों के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है.
चौथा स्नान: बसंत पंचमी-10 फरवरी, विद्या की देवी सरस्वती का दिवस ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है.
पांचवा स्नान: माघी पूर्णिमा-19 फरवरी, ये दिन गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा होता है.
छठां स्नान: महाशिवरात्रि-4 मार्च, ये अन्तिम स्नान है. तो भगवान शंकर से जुड़ा है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. मानना है की देवलोक के देवता भी इस दिन का इंतजार करते हैं.