उन्नाव कांड: योगी सरकार ने दिया 25 लाख रुपये का मुआवजा, सीबीआई ने ‘डेढ़ घंटे’ की पूछताछ
उत्तर प्रदेश में उन्नाव बलात्कार और सड़क हादसे को लेकर चल रहे सियासी बवाल पर कल गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट सख्त नजर आया. सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव दुष्कर्म और एक्सीडेंट से जुड़े सभी केस लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर करने के आदेश दे दिए हैं.

वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही प्रदेश सरकार ने पीड़ित परिवार को 25 लाख रुपये की मुआवजा राशि जारी की और लखनऊ के डीएम ने पीड़िता की मां के नाम से चेक भेजा. डीएम देवेंद्र पांडेय ने बताया कि पीड़िता की मां के नाम से 25 लाख रुपये का चेक लखनऊ के डीएम को भेजा है. क्योंकि इस समय पीड़िता का लखनऊ के ट्रामा सेंटर में उपचार चल रहा है. इसलिए उनकी मां और परिवार के लोग वहीं मौजूद हैं.
वहीं हादसे की जांच कर रही सीबीआई भी कोर्ट के आदेश के बाद पूरी तरह से जुट गई है और गुरुवार शाम को टीम केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर पहुंची. केजीएमयू में करीब दो घंटे रही जांच टीम ने वहां क्रिटिकल केयर यूनिट (सीसीयू) में जाकर पहले पीड़िता और उसके वकील के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. इसके बाद टीम ने ट्रॉमा मेडिसिन विभाग के एक वार्ड में पीड़िता की मां और वकील के परिजनों को बुलाकर उनके बयान दर्ज किए.
बतादें कि दुष्कर्म पीड़िता ने 12 जुलाई को सख्त कार्यवाही करवाने के लिए चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी थी. लेकिन सुनवाई नहीं हुई और फिर 28 जुलाई को पीड़िता परिवार के साथ कार से उन्नाव से रायबरेली जा रही थी तभी उसका एक्सीडेंट हो गया था और हादसे में पीड़िता की मौसी और चाची की मौत हो गई थी. पीड़िता वेंटिलेटर पर है. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता के उसी ख़त पर गुरुवार को सुनवाई की है.
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन जजों की पीठ ने सीबाआई के जिम्मेदार अधिकारी संयुक्त निदेशक संपत मीणा से पीड़िता के पिता की हिरासत में हुई मौत पर सख्त सवाल पूछे. फिर पीड़िता का स्वास्थ्य कैसा है पूछा और पूछा कि क्या उसे दिल्ली स्थानांतरित किया जा सकता है. उसके बाद अदालत ने पीड़िता और उसके वकील की मेडिकल रिपोर्ट मांगी. फिर एम्स से पूछा है कि क्या पीड़िता और उसके वकील को एयरलिफ्ट करके दिल्ली लाया जा सकता है?
कोर्ट ने सीबीआई सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि इस हादसे की जांच के लिए आपको कितना वक्त चाहिए. जिसपर सॉलिसिटर जनरल ने एक महीने का वक्त मांगा तभी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सख़्त होते हुए कहा कि एक महीना नहीं बल्कि 7 दिन में जांच कीजिए साथ ही कहा है कि अगर पीड़िता एयरलिफ्ट करने की हालत में है, तो उसे दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया जाए.
उसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने सख़्त आदेश दिया कि मामले की रोजाना सुनवाई करते हुए 45 दिनों के अंदर ट्रायल पूरा करें. और ये भी कहा कि हमने पीड़िता को अंतरिम मुआवजा देने का विचार किया है. हम यूपी सरकार को पीड़िता को मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश देते हैं. साथ ही पीड़ित और उसके परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराई जाए.