हल्दीराम के पैकेट पर लिखी उर्दू से इतनी तकलीफ क्यों है ? संपादकीय व्यंग्य

उर्दू से इतनी ही तकलीफ है तो भारत की करेंसी को हाथ से मत छूना..ना ना बिल्कुल दूर रहना..भारतीय रेल से यात्रा भी नहीं करना..11 नंबर की सवारी का इस्तेमाल करना..हम हिदू हैं..हिंदू होकर हिंदुस्तान के भीतर नए भारत में उर्दू क्यों पढ़ें..हम हिंदुस्तान में हिंदी को ठोकर मारकर..हम अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने के लिए खीसें निपोरना हमको मंजूर है..लेकिन पैकेट के ऊपर उर्दू में काहे लिखे बे..इंग्लिश चलेगी लेकिन उर्दू नहीं..हिंदू का व्रत है (Haldiram’s Trends After TV Reporter Heckles Staff “Urdu” )

हिंदू अपने व्रत में हिदी में लिखे हुए पैकेट की चीजें ही खाएंगा..व्रत में उर्दू लिखा हुआ देख लेने भर से धर्म भ्रष्ट हो जाएगा.. हल्दीराम वाले अंग्रेजी और उर्दू में लिखे पैकेट से धर्म भ्रष्ट कराना चाहता है क्या..हल्दीराम के इस फलाहारी पैकेट के भीतर क्या क्या है वो सब ऊपर अंग्रेजी और उर्दू में लिखा है..उर्दू के इस पैकेट से तकलीफ है..लेकिन ये घोषित राष्ट्रवादी पैकिंग है इस उर्दू के तकलीफ नहीं है..

पैकेट पर उर्दू में इसलिए लिखा है क्योंकि इस पैकेट का माल दुबई से बनकर आया है..ये पैकेट पर ही लिखा है..उसके नीचे फोन नंबर लिखा है..मन करे तो फोन करके फोन पूछ लो..और हल्दीराम दुबई में अपना माल बनाने को क्यों मजबूर हुआ..ये पता करना है तो सरकार को फोन करके पूछ लो..दुबई वाले उर्दू बोलेती..उर्दू छापती..उर्दू खाती..एक बात और अगर हिंदी से उर्दू के लब्जों को निकाल दिए जाए तो कई कट्टरवादी पोंगाओं को महीनों मौन व्रत रखना पड़ जाएगा..दिन भर मुंह से हिंदी उर्दू का मिक्चर बोलते हैं और उर्दू में लिखी चार लाइनों के लिए बवाल करते हैं.. (Haldiram’s Trends After TV Reporter Heckles Staff “Urdu” )

उर्दू नहीं पढ़ पा रहे हो तो बगल में अंग्रेजी में भी लिखा है वो पढ़ लो..गरीब की वकालत करना मत क्योंकि व्रत रखने के बाद गरीब तबका..हल्दीराम में खाना खाने नहीं जाता है..और बताएं गरीब ही असली मायनों में व्रत रखता भी है..उपवास का मतलब हल्दीराम में जाकर दबाकर फलाहार खाना नहीं होता है..उपवास का मतलब गेंहूं का आंटा छोड़कर सिंघाड़े का आंटा खाना नहीं होता है..व्रत का मतलब सादा नमक छोड़कर सेंधा नमक खाना नहीं होता है उपवास का अर्थ उपवास होता है उपवास का मतलब हल्दीराम में थाल सजवाना नहीं होता है..खैर दोस्तों उर्दू अगर अंग्रेज बोलते होते तो कट्टरवादियों को उर्दू से मोहब्बत होती.उनके बच्चे भी उर्दू माध्यम में पढ़ते लेकिन उर्दू मुस्लिम कौम की भाषा है..अरब की भाषा है..इलीलिए उनको उर्दू से ऐतराज है (Haldiram’s Trends After TV Reporter Heckles Staff “Urdu” )

कितना भी ऐतराज कर लो भईया सच बड़ा कड़वा होता है..भारत के सविधान के मुताबिक भारत में मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं मे से एक उर्दू है..जो भारत के 6 राज्यों की राजभाषा के रूप मे प्रयोग होती है..जैसे जम्मू-कश्मीर, तेलांगना, उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल..आम बोलचाल बिना उर्दू के हो ही नहीं सकता..किसी पढ़े लिखे आदमी से पूछना… (Haldiram’s Trends After TV Reporter Heckles Staff “Urdu” )

दोस्तों मसला सिर्फ उर्दू का नहीं है..मसला कुछ और है..पहले मुसलमानों से तकलीफ हुई..फिर मुस्लिम दुकानों से हुई..फिर मस्जिदों से तकलीफ हुई..फिर नमाज से हुई..फिर हिजाब से हुई..फिर बुर्के से हुई.अब लेटेस्ट तकलीफ उर्दू से है.हल्दीराम वाले ने व्रत में फलाहार वाले स्नैक्स के पैकेट पर उसका विवरण उर्दू और अंग्रेजी में क्यों लिखा..उर्दू भाषा में लिखा विवरण देखकर मुस्लिमों से चिढ़ने वाले कट्टरपंथियों को ये समझ ही नहीं आ रहा है कि पहले उर्दू को खाना है या फिर पैकेट फाड़कर उसके भीतर भरे पदार्थ को खाना है..लड़ाई हल्दीराम के मालिक राजस्थान के रहने वाले अग्रवाल जी से है..हल्दीराम अग्रवाल जी का ना होकर अब्बास जी का होता तो..हल्दी राम की बत्ती गुल और बिस्तरा गोल हो चुका होता (Haldiram’s Trends After TV Reporter Heckles Staff “Urdu” )

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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