बंगाल (West Bengal Birbhum Violence) में क्यों भड़की हिंसा ? Bjp ने बताया “नरसंहार”. गांव छोड़कर भाग रहे लोग।

पश्चिम बंगाल (West Bengal Birbhum Violence) में हुई हिंसा देखते ही देखते नरसंहार में बदल गई , टीएमसी नेता की हत्या के बाद हुई हिंसा इतनी भयानक होती गई की सुनने वाले भी खौफ में आ जाएंगे। इस हिंसा में करीब एक दर्जन घरों को आग के हवाले कर दिया गया , इंसान धूं धूं कर जलने लगे, इस हिंसा में 8 लोगों मौत हो गई.
आखिर कैसे फैली हिंसा ?
पश्चिम बंगाल (West Bengal Birbhum Violence) के बीरभूम के रामपुरहाट में हुई हिंसा का कारण टीएमसी नेता की हत्या बताई जा रही है. 21 मार्च सोमवार की रात को रामपुर हाट में टीएमसी पंचायत नेता भादू शेख पर बम फेंक कर उनकी हत्या कर दी गई थी जिसके बाद देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और गुस्साई भीड़ ने एक दर्जन से ज्यादा घरों में आग लगा दी. ये हिंसा पूरी रातभर जारी रही. गांव में कई घरों का दरवाजा बंदकर आग लगा दी गई, जिसमें लोग जिंदा जल गए। पुलिस के मुताबिक आठ मरे हैं जबकि अग्निशमन विभाग 10 और आस पास के लोगों लोगों के मुताबिक 12 लोगों के मारे जाने की खबर हैं, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं लोग ऐसे जले हैं कि मरने वालों में से में कौन पुरुष हैं और कौन महिला, यह पहचानना बहुत मुश्किल है।
बीरभूम (West Bengal Birbhum Violence) में हुई इस हिंसा पर बंगाल के डीजीपी मनोज मालवीय ने कहा, यह व्यक्तिगत दुश्मनी का मामला हो सकता है. आग लगने की वजह की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा, अगर इसे टीएमसी नेता की मौत के बदले से जोड़ा जाता है, तो यह आपसी दुश्मनी की वजह से हो सकती है. यह राजनीतिक हिंसा से जुड़ा मामला नहीं है.
गाँव छोड़कर भागने को मजबूर गाँव वाले –
इस भयानक हिंसा के बाद बीरभूम (West Bengal Birbhum Violence) जिले के बागुटी गांव में चारों तरफ सन्नाटा फैला हुआ है.लोग घरों से निकलने में घबरा रहें है, यहां लोगों के मन में डर इस बात का है कि कहीं दोबारा हिंसा न बढ़ जाए. हिंसा से एक दिन पहले मारे गए भादू शेख के भाई नूर अली गांव छोड़कर जाने की तयारी कर रहें है। हिंसा से पहले मारे गए टीएमसी पंचायत नेता भादू शेख के भाई नूर अली का कहना है ‘ ‘मेरे भाई को कल मार दिया गया था, एक को गिरफ्तार कर लिया गया है. मेरे परिवार में महिलाएं हैं. मैं यहां डर के साए में नहीं रह सकता ”
बीजेपी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की –
इस हिंसा पर बीजेपी ने 4 रिटायर्ड आईपीएस समेत 5 सदस्यीय कमेटी का बनाने का ऐलान किया है. बीजेपी की इस 5 सदस्यीय कमेटी में 4 सांसद और बीजेपी प्रवक्ता भारती घोष को शामिल किया गया है. यह कमेटी जल्द ही बंगाल के क्षेत्र का दौरा करेगी जहाँ हिंसा हुई हैं,और एक रिपोर्ट तैयार करेगी और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपेगी.राज्य के बीजेपी अध्यक्ष शुभेंदु अधिकारी ने कहा, पश्चिम बंगाल (West Bengal Birbhum Violence) में कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है. राज्य के विभिन्न हिस्सों में पिछले एक हफ्ते में 26 हत्याएं हो चुकी हैं. केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए और बंगाल में स्थिति को अपने नियंत्रण में लेने के लिए धारा 356 (राष्ट्रपति शासन) या आर्टिकल 355 का उपयोग करना चाहिए.
बंगाल हिंसा पर राजनीती हुई तेज़-
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने हिंसा को ‘आगजनी तांडव’ कहा उन्होंने अपना एक वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, ‘भयानक हिंसा और आगजनी की घटना से संकेत मिलता है कि राज्य हिंसा की संस्कृति और जंगलराज के हवाले है। अब तक 8 लोगों की जान जा चुकी है। इस बारे में चीफ सेक्रेटरी से मैंने रिपोर्ट तलब की है। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों के परिवारों के साथ हैं। उन्होंने ये भी कहा “रामपुरहाट में हिंसा पश्चिम बंगाल (West Bengal Birbhum Violence) में चिंताजनक स्थिति का संकेत देती है। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति चरमरा रही है। बंगाल मानवाधिकारों के उल्लंघन की प्रयोगशाला है। मैं सरकार के साथ सहयोग करना चाहता हूं बशर्ते कानूनी प्रक्रिया का पालन हो।”
इस का जवाब देते हुए सीएम ममता बनर्जी ने कहा, (West Bengal Birbhum Violence) “निष्पक्ष जांच का मार्ग प्रशस्त करने के बजाय व्यापक और अनावश्यक बयान देना बेहद अनुचित है” उन्होंने कहा, “इस तरह के सम्मानजनक संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के लिए यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अशोभनीय है।” बनर्जी ने राज्यपाल पर निशाना साधा और कहा कि जब भाजपा शासित राज्यों में “बहुत अधिक घृणित” घटनाएं होती हैं तो वह चुप रहना पसंद करते हैं साथ ही राज्य की मुख्यमंत्री और गृह मंत्रालय का कार्यभार संभाल रही वाली ममता बनर्जी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को एक चिट्ठी लिख कर कहा कि ‘प्रशासन को निष्पक्ष जांच करने दीजिए.’
इस पत्र में बनर्जी ने लिखा, ‘यह बहुत दुख की बात है कि आपने 21 मार्च को रामपुरहाट (West Bengal Birbhum Violence) में हुई घटना जिसमें कई लोगों की जान गई, उसे राज्य की क़ानून व्यवस्था पर व्यापक और अनावश्यक टिप्पणी करने के लिए चुना.”