25 साल की ‘दुश्मनी’ ख़त्म कर ‘सपा-बसपा’ ने साथ में की ‘प्रेस कॉन्फ्रेंस’
कौन जीतेगा ? सपा-बसपा गठबंधन Vs बीजेपी-सीबीआई गठबंधन ?
25 बाद एक मंच पर आई सपा-बसपा
जिस बीजेपी से हाथ मिलाने के बाद समाजवादी पार्टी और बीएसपी एक दूसरे की कट्टर दुश्मन हो गई थीं. उसी बीजेपी की वजह से 25 साल बाद सपा और बीएसपी ने एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करके एक साथ आने की पहली तस्वीर दुनिया को दिखा दी है.
Ulta Chasma Uc : सपा सरकार में हुए अवैध खनन को लेकर सीबीआइ ने यूपी और दिल्ली समेत कई ठिकानों पर छपे मारे हैं. अब सीबीआइ जांच के घेरे में अखिलेश यादव भी आ गए हैं. उनसे भी अवैध खनन को लेकर पूछताछ हो सकती है. मगर अखिलेश पर सवाल खड़े होने से मायावती की बीएसपी पार्टी ने उनका समर्थन किया है.

सियासत में बवाल
एक आईएएस अफसर के घर छापेमारी क्या हुई, पूरी यूपी की सियासत में बवाल आ गया. अवैध खनन मामले में आईएएस बी चंद्रकला का नाम आने और उनके घर पर सीबीआई की छापेमारी के बाद जांच की आंच पूर्व सीएम अखिलेश यादव तक पहुंचने के बाद राजनीतिक घमासान मच गया है. खनन घोटाले में नाम घसीटे जाने पर अखिलेश यादव पहले ही इसे बदले की कार्रवाई करार दे चुके हैं तो अब बीएसपी भी समाजवादी पार्टी के सुर में सुर मिलाती दिख रही है.
दोनों के निशाने पर मोदी सरकार
दिल्ली में एसपी और बीएसपी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी सरकार को घेरा. किसी एक मुद्दे पर एक साथ एक ही मंच पर अरसे बाद एसपी-बीएसपी नजर आई. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को यूपी में महागठबंधन की पहली आधिकारिक प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा जा रहा है जिसमें दोनों के निशाने पर मोदी सरकार थी. समाजवादी पार्टी के महासचिव रामगोपाल यादव ने कहा कि यूपी में एसपी और बीएसपी के महागठबंधन से सरकार घबरा गई है और सीबीआई रूपी तोता के साथ गठबंधन कर लिया है.
बीएसपी के महासचिव ने कहा
रामगोपाल यादव के बयान से इत्तेफाक रखते हुए बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने भी कहा कि महागठबंधन से मोदी सरकार बौखला गई है और अखिलेश यादव को जान-बूझकर फंसाने की साजिश रची जा रही है. सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि अभी एसपी-बीएसपी में महागठबंधन को लेकर मुलाकात से ही बीजेपी इतनी डर गई है, न जाने आगे क्या होगा.
बीजेपी निशाना बना रही है
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व सीएम अखिलेश यादव खुद कह चुके हैं कि अवैध खनन मामले में बीजेपी, सीबीआई का सहारा लेकर सियासी बदला ले रही है. अखिलेश ने कहा कि यूपी में महागठबंधन न हो पाए, इसके लिए बीजेपी निशाना बना रही है. इसे क्या महज इत्तेफाक माना जा सकता है कि जहां एक तरफ एसपी-बीएसपी गठबंधन को लेकर बात चली और 37-37 सीटों पर चुनाव लड़ना तय हुआ तो दूसरी तरफ अवैध खनन घोटाले में कार्रवाई शुरू हो गई. हमीरपुर की डीएम रह चुकीं बी चंद्रकला के घर पर छापेमारी तो हुई ही, अखिलेश यादव के करीबी विधायक रमेश मिश्रा और उनके भाई दिनेश कुमार को भी आरोपी बना दिया गया.
कब अलग हुए थे सपा-बसपा ?
यूं तो समाजवादी पार्टी और बीएसपी में गेस्ट हाउस कांड के बाद से ही तल्खियां थीं लेकिन यूपी में बीजेपी को रोकने के लिए अब दोनों दल दूरियां खत्म करते हुए एक साथ आ रहे हैं. यूपी में हुए उपचुनाव में भी एसपी के लिए बीएसपी ने मदद की थी. और अब मिशन 2019 के लिए एसपी-बीएसपी का गठबंधन होना तय हो चुका है. 1995 में यूपी में मुलायम सिंह यादव की अगुवाई वाली समाजवादी पार्टी की सरकार बीएसपी के समर्थन से चल रही थी. लेकिन बाद में मायावती और बीजेपी के पास गठबंधन को लेकर बातचीत चलने लगी. इसकी भनक मिलने पर समाजवादी पार्टी के लोगों ने लखनऊ के गेस्ट हाउस में बवाल कर दिया जहां मायावती मौजूद थीं. गेस्ट हाउस कांड के बाद बीएसपी और एसपी का रिश्ता टूट गया था जो अब 24 साल बाद फिर से परवान चढ़ने लगा है.
बीजेपी वाले भगवान से भी नहीं डर रहे
बीएसपी नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने भी बीजेपी पर तंज कस्ते हुए कहा कि मुद्दों से भटकाने के लिए बीजेपी सीबीआइ का दुरुपयोग कर रही है. बीजेपी सपा-बसपा के गठबंधन से इतना हताशा हो गई है की आलम ये है कि अब बीजेपी वाले भगवान के नाम पर लोगों को बांट रहे हैं. हनुमान जी को कई जातियों में बाँट दिया. और उसके बाद राम जी की जाति भी बदल डाली. बीजेपी वाले भगवान से भी नहीं डर रहे हैं. अब आज इन लोगों ने सीबीआइ जैसी संस्था को भी धरासायी कर दिया है.
बीजेपी हमारे गठबंधन से परेशान है
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं उसे देख बीजेपी की घबराहट बढ़ती जा रही है. और विपक्ष के नेताओं को बदनाम करने के अभियान में जुट गई है. बीजेपी साजिश और फरेब के सहारे लोगों को भ्रमित करने में लगी है. बीजेपी ने पांच हजार करोड़ रुपये सिर्फ प्रचार करने में ही खर्च कर दिए हैं. क्युकी बीजेपी भी समझ रही है कि इस चुनाव में उसका सफाया होना तय है. बीजेपी हमारे गठबंधन की खबरों से बुरी तरह परेशान है.
सपा-बसपा ने बनाई थी सरकार
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी 24 साल की पुरानी दुश्मनी ख़त्म करने के बाद साथ आ रहे हैं. मायावती समाजवादी पार्टी के साथ सियासी पारी खेलने जा रही हैं. इसमें मायावती की सियासी जरूरत भी है और दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश से उन्हें वैसी अदावत भी नहीं जैसी उनके पिता मुलायम के साथ थी. सपा और बसपा ने मिलकर 1993 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन करके चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में दोनों को 177 सीटें मिली थी. और सपा-बसपा ने दूसरों के गठबंधन से बहुमत का आंकड़ा पाकर सरकार बनाई थी.
Web Title : Who will win SP-BSP alliance Vs BJP-CBI alliance
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