पेगासस मामले में सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने से इंकार
Supreme Court : पेगासस जासूसी विवाद मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से साफ तौर मना कर दिया गया हैं कि वह इस मामले में हलफनामा दाखिल करेगी. सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने साफ शब्दों में कहा गया हैं कि इस मामले वह खुले में बात करने को तैयार नही हैं. क्योंकि पैगासस मामले में सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ भी नही हैं.
लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से हम इस पर एफिडेविट दाखिल नहीं कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि यदि वह नया हलफनामा दायर करने के बारे में फिर से विचार करती है तो पेगासस मामले का जिक्र न्यायालय के समक्ष करे क्योंकि अंतरिम आदेश देने में दो से तीन दिन का वक्त लगता हैं सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले पर कोई बात एफिडेविट के जरिए नहीं कही जा सकती.
एफिडेविट दाखिल करना और फिर उसे सार्वजनिक किया जाना संभव नहीं है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले को अपने सुराक्षित रख लिया हैं. रमन्ना ने कहा कि अगर सरकार अतिरिक्त हलफनामा नहीं दाखिल करती है तो न्यायालय को इस मामले में अपना आदेश जारी करना होगा. लगभग डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद न्यायालय ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया.
सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि केंद्र सरकार पेगासस मामले में अतिरिक्त हलफनामा दायर नहीं करेगी… क्योंकि मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा की बात शामिल है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश मन्ना ने कहा कि अगर सरकार अतिरिक्त हलफनामा नहीं दाखिल करेगी, तो न्यायालय को इस मामले में अपना आदेश जारी करना पड़ेगा… मामले में सुप्रीम कोर्ट में करीब डेढ़ घंटे तक हुई बहस के बाद न्यायालय ने अंतरिम आदेश सुरक्षित रख लिया.
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुरक्षा और सैन्य एजेंसियों द्वारा आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है. सरकार अगर इसे सार्वजनिक करती है तो आतंकवादी या राष्ट्रविरोधी ताकतें इसका गलत फायदा उठा लेंगी. हमे आशंका है कि आतंकी गतिविधियां इसे मॉडिफाई कर ट्रैकिंग से बच जाएंगी.
तुषार मेहता ने कहा कि सरकार, निगरानी के बारे में सभी तथ्यों को एक विशेषज्ञ तकनीकी समिति के सामने रखने को तैयार है, जो कोर्ट को एक रिपोर्ट दे सकती है..न्यायधीश ने सरकार पर नाराजगी जताते हुए कहा कि मुझें सिर्फ कुछ लोगों के मोबाइल फोन्स को हैक किए जाने की चिंता है कि आखिर किस एजेंसी के पास ऐसी क्षमता है और कंपनी को इस तरह का अधिकार दिया गया था या फिर नहीं दिया गया था.
मामले में कई लोगों का कहना है कि इसके जरिए उनकी निजता के अधिकार का हनन किया गया हैं . इस पर जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ लोग ऐसा कह रहे हैं कि उनकी निजता पर हमला किया गया हैं तो वाकई में यह गंभीर ममला है. हम इस मामले मे जांच को तैयार हैं. हम इस मामले में जांच के लिए तकनीकी से जुड़े विशेषज्ञों की एक कमिटी का गठन करेंगे.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने सरकार की तरफ से पैरवी करने कोर्ट पहुंचे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार लगाते हुए कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे हैं. कोर्ट यह जानना चाहता हैं कि आखिर सरकार अब तक इस मामले में क्या कर रही थी. कोर्ट राष्ट्रीय हित के मुद्दों की तरफ नहीं जाना हैं.
क्या हैं पेगासस मामला
हाल ही में व्हाट्सएप के ज़रिये इज़रायली स्पाइवेयर पेगासस की मदद से सरकार पर विपक्ष ने खुद की जासूसी करने का आरोप लगाया था. विपक्ष का आरोप था कि केद्र की मोदी सराकार ने उनके व सरकार के खिलाफ खबर प्रकाशिक करने वाले लोगों की सरकार ने फोन टेपिंग करवाई थी. जिसके बाद विपक्ष ने सड़क से लेकर संसद तक मार्च निकाल कर सरकार से पेगासस मामले पर बहस करने की बात कही थी. लेकिन सरकार ने हर बार विपक्ष के पेगासस मामले पर बहस करने से इंकार कर दिया था.
जिसके बाद विपक्ष ने मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था सरकार के द्वारा करवाई गई जसूसी सरासर गलत हैं. पेगासस के जारिए भारतीय पत्रकार एवं मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं. वही मामले में व्हाट्सएप ने भी इस बात स्वीकारा है कि पेगासस स्पाइवेयर विकसित करने वाली कंपनी एन.एस.ओ. ग्रुप पर संयुक्त राज्य अमेरिका के संघीय न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया है.
मामले में NSO कहना है कि वह पेगासस की सेवा सिर्फ और सिर्फ केवल सरकारों और उनकी एजेंसियों को बेचने का काम करता है.पेगासस एक इजारइली स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर है, जिसे इज़रायली साइबर सुरक्षा कंपनी तैयार किया हैं. यह एक सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हैं जो लोगों के मोबाइल और कंप्यूटर से गोपनीय एवं व्यक्तिगत जानकारियाँ चोरी कर का काम करता हैं. पेगासस ऑपरेटर लोगों के लोगों के मोबइल फोन पर एक खास लिंक भेजता है.
जो मोबाइल उपोयगकर्ता की बिना अनुमति के एक बार क्लिक करने पर एक बार ही इंस्टॉल हो जाता हैं. साथ ही यह पासवर्ड द्वारा रक्षित उपकरणों को भी निशाना बना सकता है और यह मोबाइल के रोमिंग में होने पर डेटा नहीं भेजता. और व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे कम्युनिकेशन एप के संदेश स्पाइवेयर ऑपरेटर को भेज सकता है.