यूपी के मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में ? : संपादकीय व्यंग्य

दोस्तों यूपी में पांचवे साल के आखिरी 6 महीने में योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद से हटाकर उनकी जगह केशव प्रसाद मौर्या को मुख्यमंत्री बनाए जाने की खबरें बहुत तेज हो गई हैं..भीतर ही भीतर बगावत की आग सुलग रही है ..यहां तक कि दिल्ली से बीजपी की टीम खौलते तेल की गर्माहट जानने आई और मंत्रियों से बात करके एक रिपोर्ट बनाकर दिल्ली वापस लौट गई..
ऐसा माहौल चल रहा है कि जैसे आज मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा..कल मुख्यमंत्री बदल दिया जाएगा..दोस्तों केशव प्रसाद मौर्या मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं..और मुख्यमंत्री बनने के लिए जी जान से जोर लगाए हुए हैं..इसमें कोई शक नहीं है..कहते हैं बीजेपी केशव मौर्या को मुख्यमंत्री बना तो दे लेकिन योगी को हटाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर है..
एक तरफ केवश मौर्या का गुट है दूसरी तरफ योगी के समर्थक भी योगी को न हटना को लेकर खून से लेटर लिख रहे हैं..लड़ाई तगड़ी है..दोस्तों केशव प्रसाद मौर्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पहले दिन से बनना चाहते थे..अब भी बनना चाहते हैं..मुख्यमंत्री का पद किसे काटता है..
आखिरी 6 महीने में ही सही..कम से कम कुछ दिन बाद यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री होकर पूर्व मुख्मंत्रियों वाले ठाठ बाट तो पा जाएंगे..तो जो लोग ये कहते हैं कि बीजेपी के भीतर सब ठीक है..वो गलत कहते हैं..यूपी बीजेपी के भीतर सब ठीक ठाक करने की कोशिश की जा रही है..
देखिए यूपी सरकार की भद्द किसान आंदोलन, कोरोना और पंचायत चुनाव में बहुत बुरी तरह पिटी है..पश्चिमी यूपी में किसान बीजेपी की नाक में चना बोए हुए हैं..पंचायत चुनाव में गांव के लोगों ने बीजेपी को नकार दिया..पंचायत चुनाव को सत्ता का चुनाव माना जाता है लेकिन उसमें भी बीजेपी का सरकार में रहते हुए भी सपा से हार जाना 2022 के लिए अच्छे लक्षण नहीं हैं..दोस्तों याद कीजिए कुछ दिन पहले यूपी में उपचुनाव हुए थे..
उसमें भी बीजेपी केवल अपने विधायकों के देहांत से खाली हुई सीटें ही वापस जीत पाई थी..एक भी एक्स्ट्रा सीट नहीं जीती थी..और कोरोना में जिनके घरवाले ऑक्सीजन दवाई और अस्पतालों की कमी की वजह से मारे गए हैं क्या वो बीजेपी को वोट करेंगे..
क्या जिन बेरोजगारों की भर्तियां अटकी भटकी पड़ी हैं क्या वो 2022 में बीजेपी को वोट करेंगे..क्या कोरोना के आगे राम मंदिर को बीजेपी प्रचारित कर पाएगी..नहीं कर पाएगी क्योंकि जनता ने अस्पतालों की आवश्यकताओं का प्रेक्टिकल कर लिया है..कोरोना का मुद्दा 2022 में मंदिर से ज्यादा बड़ा होगा..कोरोना धारा 370 पर भी भारी पड़ेगा..और मुस्लिम वोट बीजेपी के साथ आएगा नहीं..बीजेपी की जीत का पूरा दारोमदार पिछड़ों पर है..
वही पिछड़े जिससे केशव प्रसाद मौर्या आते हैं..अब समझे आप पांचवे साल के आखिरी 6 महीने में मुख्यमंत्री बदलने की हवा क्यों तेज हो गई है..और अगर योगी मान जाएँ तो बीजेपी को ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं होगी..हो ना हो ये हवा बीजेपी के मास्टर माइंड ही चला रहे हैं..वर्ना माडिया की इतनी हिम्मत तो है नहीं कि वो कुछ भी लिखता रहे..
एक बात ये भी है कि यूपी में बीजेपी योगी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ी थी..मोदी के चेहरे पर लड़ी थी..हिंदुत्व के नाम पर योगी एकाएक मुख्यमंत्री बनकर सामने आ गए..जिस मुख्यमंत्री से उनकी ही पार्टी के 200 से ज्यादा विधायक नाराज हों उस मुख्यमंत्री की अपनी ही सरकार के भीतर लोकप्रियता कितनी होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं…कहते हैं अगर बीजेपी 2017 में योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़ी होती तो बीजेपी को इतनी सीटें नहीं मिलतीं..2022 में बीजेपी इसी चेहरे के सवाल से बचना चाहती है…
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