2019 जीतने के लिए BJP का महाधमाका हर महीने खाते में मिलेंगे ढाई हजार रूपए ? ये है शर्त
- सभी गरीबों को ढाई हजार रूपए खाते में मिलेंगे ?
- बीजेपी सरकार ने बनाया 2019 जीतने का प्लान
- अंतरिम बजट में हो सकता है ऐलान
- इस योजना का ट्रायल भारत में चल रहा है
- मध्य प्रदेश के कुछ गांवों में दिए जा रहे हैं रूपए
- 2019 में हर महीने सबके खाते में आएंगे 2500 रूपए
- UBI यानी यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्लान हर महीने देगा ढाई हजार रूपए
- पूरी जानकारी के लिए नीचे पढ़ते जाइये
तीन राज्यों में हार के बाद मोदी सरकार आपके अकाउंट में पैसे पहुचाने का प्लान बना रही है. मोदी सरकार ऐसा काम करने वाली है जो देश के किसानों, गरीबों और बेरोजगारों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार ऐसे लोगों के लिए एक यूनिवर्सल बेसिक इनकम सुरक्षित करने का प्लान बना रही है. अगर ये प्लान मोदी सरकार लॉन्च करती है तो ये गेमचेंजर साबित हो सकता है.
यूनिवर्सल बेसिक इनकम अब तक दुनिया के कई देशों में लागू किया गया है. लेकिन भारत जैसे बड़े देश में इस स्कीम को क्या लागू किया जा सकता है. आर्थिक मोर्चे पर नोटबंदी और GST जैसे बड़े फ़ैसले लेनेवाली मोदी सरकार क्या यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लागू करने का जोखिम उठा सकती है.
क्या सरकार के पास इसे लागू करने के लिए इतना बड़ी मैनेजरियल स्कील और स्त्रोत मौजूद हैं. कहा जा रहा है कि मोदी सरकार अगर यूबीआई को लागू करती है तो इसके लिए जनधन खाता, आधार कार्ड और मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जाएगा. लेकिन ये इतना भी आसान नहीं होने वाला.
दूसरा सवाल ये है कि चुनाव के ऐन पहले यूबीआई जैसी बड़ी स्कीम को लागू करने की सरकार सोच क्यों रही है. दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव में किसानों की बीजेपी के प्रति नाराजगी ने मोदी सरकार को चौकन्ना कर दिया था कि 15 लाख खाते में देने का जुमला अब पुराना हो गया है.
लिहाजा बीजेपी ये मानकर कतई नहीं चले कि किसान उसे 2019 में भी गद्दी सौंप देंगे. दूसरी तरफ हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों में बीजेपी की हार. इस हार में भी मोदी सरकार के कई एजेंडा को विपक्ष ने चुनौती दी जैसे नोटबंदी और जीएसटी.
कांग्रेस जनता को ये बता पाने में कामयाब दिखती है कि बीजेपी के इन दो फ़ैसलों से कोई फायदा नहीं हुआ. यानी मोदी सरकार का आर्थिक एजेंडा औंधे मुंह गिर गया है. ना तो किसानों को राहत मिल पा रही है ना ही बेरोजगारों को रोजगार मिल पा रहा है.
मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती उसका यही वोट बैंक है. किसान और युवा. और यही दोनों उनके हाथ से निकल ना जाए. इसीलिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम लाने की तैयारी है. अगर मोदी सरकार ये योजना ले आत है तो इसका चुनावी फ़ायदा उसे मिल सकता है.
सरकार शायद मान रही है कि यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लागू करने से सरकारी खजाने पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा. और इस दांव से 2019 में चुनावी जीत की गारंटी भी मिल जाएगी.
मोदी सरकार का ये गेमचेंजर प्लान क्या है ?
मोदी सरकार देश के दस करोड़ लोगों को यूनिवर्सल बेसिक इनकम का फायदा देने का मन बना रही है. इसके दायरे में बेरोजगारों के अलावा ऐसे लोग आएंगे, जिसकी आमदनी नहीं के बराबर है, इसमें छोटे किसान भी शामिल हैं.
गरीबों की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी हो सके. इसके लिये सरकार उनके बैंक खातों में हर महीने एक तय रकम डालने की योजना बना रही है. इस योजना को सही तरीके से लागू करने के लिए सरकार जनधन खाता, आधार और मोबाइल नंबर को जरिया बनाएगी.
2019 के चुनाव के लिये गेमचेंजर कही जा रही यूनिवर्सल बेसिक स्कीम से क्या सरकारी खजाने का दम नहीं उखड़ेगा. जवाब में कहा जा रहा है कि अभी केंद्र सरकार साढ़े नौ सौ योजनाएं चलाती है. जिसमें देश की जीडीपी की करीब पांच फीसदी रकम खर्च होती है.
जीडीपी की तीन फीसदी रकम राशन, रसोई गैस और यूरिया-उर्वरक पर सरकारी सब्सिडी देने में जाती है. जबकि यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना को लागू करने के लिये देश की जीडीपी की महज चार फीसदी रकम खर्च होगी
यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना लागू कर सरकारी सब्सिडी भी खत्म की जाएगी. जिससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने की जगह घटेगा. यही नहीं यूनिवर्सल बेसिक इनकम सीधे बैंक खातों में डालने से भ्रष्टाचार और अफसरों की मनमानी पर भी लगाम लगेगी और जरूरतमंदों को वक्त पर रकम मिलेगी
मोदी सरकार इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर देश के कुछ जिलों में लागू करेगी और फिर इस वादे के साथ चुनाव में उतरेगी कि दोबारा सत्ता में आने पर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा.
कहते हैं मोदी सरकार पिछले दो साल से इस स्कीम पर काम कर रही थी. मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के 8 गांवों में इसे आजमाया गया. महिला पुरुषों को 500 रुपये और बच्चों को 150 रुपये के हिसाब से हर महीने दिया गया. गरीबी हटाने के लिहाज से इसके नतीजों को यूनीसेफ ने भी ठीक बताया.
इसी के बाद 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार ने UBI योजना की चर्चा की. और दावा किया कि इसके लागू होने से देश में गरीबी आधा फीसदी तक कम हो सकती है. सरकार ने इस स्कीम के लिए तेलंगाना और झारखंड के सफल प्रयोग से सबक लिया है.
दोनों राज्यों में किसानों को फसल की बुआई से पहले 4 हजार रुपए की रकम दी जाती है. साल में दो फसल की खेती पर 8 हजार रुपए खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं.
माना जा रहा है वित्तमंत्री यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना का एलान अंतरिम बजट के दौरान करेंगे, जिससे मोदी सरकार के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने में भी आसानी होगी…
यूनिवर्सल बेसिक इनकम लागू होने की सूरत में क्या होगी. बीजेपी इस दम पर लोकसभा में कितने सींटे बढ़ा पाएंगी. ये सब तो फिलहाल हवा में हैं. भारत में इसको लेकर प्रयोग होते रहे हैं..लेकिन ये योजना पूरी तरह लागू नहीं हुई…लेकिन अब सूत्रों की मानें तो शुरू में यूनिवर्सल बेसिक स्कीम के तहत हर महीने. ढाई हजार रुपए तक की रकम . जरूरतमंदों को खाते में डालने पर मंथन चल रहा है..
सूत्रों की मानें तो यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लागू करने पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए तक खर्च हो सकते हैं. ऐसे में सरकार की नजर इतनी बड़ी रकम के इंतजाम पर होगी. क्योंकि खजाने पर इतना बड़ा बोझ डालना सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है.
देश में 60 करोड़ से ज्यादा लोग खेती और इससे जुड़े क्षेत्र से रोजगार हासिल करते हैं. बीजेपी की नज़र इन्ही लोगों पर है. 2014 के आम चुनाव में इस वर्ग ने बीजेपी को सत्ता भी दिलाई थी लेकिन 2018 के 5 राज्यों के विधानसभाओं के चुनाव नतीजे ये बता रहे हैं कि ये क्लास अब परेशान है.
मोदी का हर साल दो करोड़ लोगों को रोज़गार देने का वादा सिर्फ सियासी जुमला भर बनकर रह गया. जिसे पूरा करने के ख्वाब कागज पर तो दिखाए जा सकते हैं. ज़मीन पर इसे अमली-जामा नहीं पहनाया जा सकता. ऐसे में यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी पॉपुलर स्कीम मोदी सरकार की वापसी कराने में मददगार साबित हो सकती है.