एक महीने बाद बुलंदशहर हिंसा का मुख्य आरोपी योगेश राज गिरफ्तार, 12 अब भी हैं फ़रार
आखिरकार बुलंदशहर में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी योगेश राज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. योगी सरकार को उसे पकड़ने में ठीक एक महीने लग गए. 3 दिसंबर को गौ हत्या के शक में बुलंदशहर में हिंसा भड़की थी. जिसमें एक इंस्पेक्टर सुबोध और एक युवक सुमित की हत्या कर दी गई थी.

ख़बरी ने दी जानकारी
योगेश हिंसा के बाद से ही फरार चल रहा था. और वो अपने साथियों के साथ संपर्क में भी था लेकिन पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लग पाई. देर रात पुलिस को की ख़बरी ने जानकारी दे दी कि योगेश बुलंदशहर के खुर्जा में आने वाला है. बस पुलिस ने जाल बिछा कर उसको दबोच लिया. बीबीनगर थानाध्यक्ष पुलिस फोर्स ने खुर्जा बुलंदशहर बाईपास पर स्थित ब्रह्मानंद कॉलेज के टी-प्वाइंट से रात करीब 11.30 बजे योगेश राज को गिरफ्तार किया.
दो आरोपियों ने किया सरेंडर
पुलिस योगेश से पूछताछ करने में लगी हुई है. योगेश पर ये आरोप लगा है कि 3 दिसंबर के दिन गोकशी की बात उसी ने फैलाई और सैकड़ों लोगों की भीड़ जुटा ली. जिसके बाद बढ़ती भीड़ ने एक बड़ी हिंसा का रूप ले लिया. जिसमें इंस्पेक्टर सुबोध और सुमित नाम के स्थानीय शख्स की मौत हो गई. योगेश की गिरफ़्तारी के पहले ही दो नामजद आरोपियों ने बुधवार को सीजेएम की अदालत में सरेंडर कर दिया था. कोर्ट ने दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया है.
12 आरोपी चल रहे हैं फ़रार
इस बवाल में अब तक 32 आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है. मगर एक महीने से पुलिस छानबीन कर रही लेकिन 12 नामजद आरोपी अब भी फरार चल रहे हैं. एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि मामले में फरार चल रहे आरोपियों की धरपकड़ के लिए पुलिस लगातार सक्रिय है. जल्द ही अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
क्यों भड़की हिंसा ?
यूपी में बुलंदशहर के स्याना गांव में गौ हत्या के शक में हिन्दु संगठन और ग्रामीणों के बीच बहस हुई, थोड़ी ही देर में वहां कई लोग पहुंच गये और देखते ही देखते भीड़ एक बड़ी हिंसा में तब्दील हो गई. कई हिन्दु संगठन भी उसमें शामिल हो गये. सभी सड़कें जाम कर दी गर्इं. गुस्साए ग्रामीणों ने पास के चिंगरावठी चौकी के बाहर जाम लगा दिया. और चौकी के अन्दर भी तोड़ फोड़ की. पास खड़े वाहनों को भी भीड़ ने आग के हवाले कर दिया. बवाल इतना बढ़ गया की पत्थर, लाठी और गोलियां भी चलने लगीं.
इंस्पेक्टर और सुमित की मौत
चौकी पर हुए बवाल के बारे में जैसे ही इंस्पेक्टर सुबोध को पता चला तो वे तुरन्त वहां पहुंचे और बवाल को शांत कराने का प्रयास करने लगे. लेकिन आक्रोशित लोगों ने इंस्पेक्टर को ही मौत के घाट उतार दिया. उसी बवाल में चौकी के सामने बस स्टैंड पर अपने दोस्त को छोड़ने आये सुमित को भी गोली लग गई और अस्पताल पहुँचते पहुँचते उसकी भी मौत हो गई. बवाल के बाद पुलिस ने गोकशी के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था. अन्य आरोपियों की धरपकड़ के लिए भाजपा, बजरंग दल और अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के पदाधिकारियों के घरों पर दबिश दी गई.
योगी ने इंस्पेक्टर के परिवार को दी भारी मदद
मृतक इंस्पेक्टर सुबोध के परिजनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से 5 कालिदास स्थित आवास पर मुलाकात की थी. योगी ने संवेदना जताते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया था. उन्होंने कहा कि दोषियों को बख़्शा नहीं जाएगा. सख्त कार्यवाही की जायेगी. योगी ने उनके परिवार को असाधारण पेंशन, एक सदस्य को नौकरी और इंस्पेक्टर सुबोध के नाम पर जैथरा कुरावली सड़क का नाम रखने का आश्वासन दिया. इसके साथ ही उनके बकाया होम लोन करीब 30 लाख का भुगतान भी सरकार करेगी. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी 50 लाख की राहत धनराशि देने की घोषणा कर चुके हैं. इसके साथ ही डीजीपी ने भी मृतक इंस्पेक्टर सुबोध के बच्चे की सिविल सर्विस की कोचिंग में मदद का भरोसा दिया.
खुले ख़त में पूर्व नौकरशाहों की मांग-
इसी हिंसा को लेकर कार्यवाही में देरी के चलते पूर्व नौकरशाहों ने योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. योगी सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए करीब 83 रिटायर्ड नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस्तीफा देने को कहा है.
- रिटायर्ड नौकरशाहों का साफ़ कहना है कि योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर में भड़की हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया.
- योगी आदित्यनाथ सिर्फ गोकशी केस पर ही ध्यान देते आ रहे हैं उसके अलावा उनको कुछ नहीं दिख रहा है.
- एक पुलिस वाले की भीड़ द्वारा हत्या किया जाना बहुत दर्दनाक है, इससे राज्य की कानून व्यवस्था पर कई तरह के सवाल खड़े होते हैं.
- इलाहाबाद हाई कोर्ट को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए.
- हिंसा से जुड़े सभी पहलू की जाँच होनी चाहिए.
- बुलंदशहर हिंसा को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है.
योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगने वालों 83 रिटायर्ड नौकरशाहों में पूर्व अफसर बृजेश कुमार, अदिति मेहता, सुनील मित्रा जैसे बड़े अफसर शामिल हैं. हिंसा को लेकर अब तक 32 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
ड्राइवर ने बताई दर्दनाक घटना
एक न्यूज़ चैनल को पुलिस ड्राइवर ने घटना की जानकारी देते हुए बताया की जब मैं इंस्पेक्टर सुबोध को अस्पताल ले जाने लगा तो भीड़ ने हम लोगों को दौड़ा लिया और कहने लागे मारो इन सबको मारो फिर हम लोगों पर हमला कर दिया. किसी तरह हमलोग दिवार फांद कर अपनी जान बचा पाए. ड्राइवर ने बताया भीड़ में कुछ लोग फायरिंग भी कर रहे थे. जिससे गोली लगने से कोतवाल सुबोध और एक युवक सुमित की मौत हो गई.