बाबर की मौत के पीछे का सच ? मिठाई नहीं ये सच्चाई देखिए. (Truth behind Babur’s death )

बाबर एक मुसलमान लड़का था..कहते हैं (Truth behind Babur’s death ) बाबर बीजेपी की जीत पर जश्न मना रहा था..मिठाई बांट रह था..उसके कुछ दिन बाद..उसे पीट पीटकर मार दिया गया..क्यों..क्योंकि वो मसलमान था..और उसे बीजेपी की जीत पर मिठाई नहीं बांटनी चाहिए थी..मीडिया में न्यूज चैनलों में ये बताया दिखाया जा रहा है..क्या सच सिर्फ यही है..क्या इतनी ही सच्चाई है..या इसके आगे भी कोई कहनी है..नमस्कार मैं प्रज्ञा मिश्रा..आज मैं आपको बाबार की हत्या के पीछे का असली सच दिखाने जा रही हूं..तो ध्यान से देखिए. (Truth behind Babur’s death )

.दोस्तों नफरत की आग में जलने वाले कार्यकर्ताओं को..पार्टियों में बंटे हुए समाज को मैं आज एक तस्वीर दिखाती हूं..ये तस्वीर आज की ही है..जिन पार्टियों के कार्यकर्ता एक दूसरे को देखना पसंद नहीं करते.. (Truth behind Babur’s death ) एक दूसरे को देखकर खून का घूंट पीकर रह जाते हैं..उनको खास तौर पर ये तस्वीर देखनी चाहिए..ये लखनऊ की विधानसभा है.. तस्वीर में दिखाई दे रहे ये दोनों लोग एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं..लेकिन दोनों के बीच के प्रेम को देखिए..तस्वीर में कहीं से नहीं लग रहा है कि..कल तक यही एक दूसरे को चिलम जीवी..दंगेश और ना जाने क्या क्या कह रहे थे..और आज देखिए..कहीं से नहीं लग रहा है कल तक ये नेता दूसरे को क्या क्या बोल रहे थे..क्या क्या कह रहे थे.. (Truth behind Babur’s death )

मैं गारंटी के साथ कह सकती हूं..जिस तरह से विधासभा में सभी पार्टियों के विधायक इक्ट्ठा होकर शान से शपथ ले रहे थे..एक दूसरे से कब के बिछड़े हुए दोस्तों की तरह मिल रहे थे..वैसे अगर पार्टियों के कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर दिया जाए (Truth behind Babur’s death ) तो एक दूसरे को नोच खाएंगे..नरसंहार हो जाएंगे..यही अंतर होता है..नेता और कार्यकर्ता होने में..कार्यकर्ता किसी के भी साथ दिल से जुड़ता है..और नेता दिमाग से..तो कहने का मतलब ये है कि अकबर हो बाबर हो..या बबलू हो सब वोट के लिए और सपोर्ट के लिए स्वतंत्र हैं..बाबर बीजेपी को वोट नहीं दे सकता…और वोट देकर अपनी पार्टी की जीत का जश्न नहीं मना सकता ये कौन सी किताब में लिखा है.. (Truth behind Babur’s death )

दोस्तों मीडिया ये बता रही है कि बाबार ने जीत का जश्न मनाया मीठाई बांटी उसके बाद खुन्नस खाए लोगों ने उसे मार दिया..लेकिन बीजेपी को 10 मार्च को जीती थी..बाबर को छात से 20 मार्च को फेंका गया और उसकी मौत 26 मार्च को हुआ..देखिए सच कड़वा होता है और अब वो सच सुनिए जो कोई नहीं बता रहा है..कुशीनगर में एक जगह पड़ती है रामकोला..रामकोला में एक गांव है कटगरही..बाबर के भाई चंदे आलम ने बताया..कि जब 10 मार्च को चुनाव के नतीजे आए, (Truth behind Babur’s death ) तो भाजपा के जीतने की खुशी में बाबर आलम ने गांव में मिठाई बंटवाई. इस वजह से उसके पड़ोसी नाराज थे. तनाव तब से चल रहा था…लेकिन बात बढ़ गई 20 मार्च को. जब अपनी दुकान से लौटने के बाद बाबर ने जय श्रीराम का नारा लगाए..इसके बाद पट्टीदार गुस्सा गए. हमला कर दिया. ये भी पता चला कि पुरुषों के साथ महिलाएं भी बाबर को पिटाई कर रही थीं.. (Truth behind Babur’s death )

बाबर की पत्नी फातिमा का कहना है कि जान बचाने के लिए बाबर छत पर चढ़ गया. लेकिन पड़ोसी वहां भी पहुंच गए और बाबर को वहां से नीचे फेंक दिया..बाबर हमले में घायल हुआ औरउसके बाद उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, वहां से लखनऊ भेज दिया गया. लखनऊ में इलाज के दौरान बाबर की मौत हो गई..अभी तक आई जानकारी के मुताबिक,अजीमुल्लाह, आरिफ, ताहिद, परवेज ने बाबर पर हमला किया था..पहले पुलिस ने मामला बिल्कुल हल्के में लिया..जब पता चला कि बाबर बीजेपी सपोर्टर था तब कार्वाई तेज हुई..बाबर की आंतिम यात्रा को बीजेपी विधायक ने कंधा दिया..मुख्यमंत्री योगी जी तक ने संज्ञान ले लिया (Truth behind Babur’s death )

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है

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