ये हैं चन्द्रबाबू, देखा था प्रधानमंत्री बनने का सपना, अब कहीं के नहीं रहे, बस एक गलती से-

आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चन्द्रबाबू नायडू जो अब पूर्व मुख्यमंत्री हो गये हैं. दरअसल 17वीं लोकसभा और आन्ध्र प्रदेश के विधानसभा का मैच उन्होने ऐसा खेला कि वे अपना भी विकेट नहीं बचा पाये और आल आउट हो गये.

tdp chandrababu naidu loss assembly and loksabha election
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चन्द्रबाबू नायडू के नाम आन्ध्र प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का कीर्तिमान हासिल है. वर्तमान में वे आन्ध्र प्रदेश विधान सभा में सदन के नेता हैं. नायडू देश के पहले ऐसे नेता थे जो कॉरपोरेट प्रबंधन की शैली में सरकार चलाया करते थे. वे सूचना-तकनीक का बेहतरीन इस्तेमाल करते थे. नायडू दूरदर्शी मुख्यमंत्री कहे जाते थे.

उन्होंने ही एक दृष्टिपत्र जारी किया था जिससे हैदराबाद को सूचना-तकनीक क्षेत्र के मुख्य केंद्र के रूप में विकसित किया गया था. साथ ही इसी सूचना-तकनीक के बलबूते 2020 तक आंध्र प्रदेश को पूरी तरह बदला हुआ, देश का अग्रणी राज्य बनाए जाने की तैयारी शुरू की गई थी.

अपनी शैली और दूरदर्शिता की वजह से चंद्रबाबू नायडू सिर्फ आंध्र प्रदेश में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी खूब लोकप्रिय रहे हैं. मगर 17वीं लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से उनकी मानों जिन्दगी ही पलट गई है.

दरअसल चन्द्रबाबू नायडू ने प्रधानमंत्री बनने का सपना देखा और उसे सच करने निकल पड़े. अकेले कहां ये सपना पूरा कर पाते इसलिए उन्होंने सोचा क्यों ना सबको मिलाया जाये और बीजेपी की सरकार गिरा दी जाये. फिर क्या था नायडू सारे मुददे और अपनी जनता को भूल कर निकल पड़े प्रधानमंत्री बनने. सबसे पहले कांग्रेस के पास गये और बीजेपी के खिलाफ मिलकर लड़ने को कहा.

नायडू उत्तर प्रदेश भी आये और यहां वे अखिलेश और मायावती से मुलाकात की और बीजेपी के खिलाफ सबको साथ में आने को कहा और दोनों को तैयार भी कर लिया. फिर नायडू दिल्ली पहुँचे और वहां सबसे सज्जन पुरूष अरविन्द केजरीवाल से मिले उनको भी अपने साथ लपेट लिया. अच्छा एक बात और खास रही की नायडू जिससे भी मिलते थे तो ऐसा लगता था कि जैसे दो देशों के प्रधानमंत्री मिल रहे हों.

सबका साथ लेकर जब नायडू अपने घर लौटे तो जनता ने भी सोचा कि यार ये तो अच्छे भले थे तो ये विरोधियों के पास क्यों गये. यानि हम पर इनको भरोसा ही नहीं है. बस फिर शुरू हुआ मतदान और जनता ने अपना फैसला ईवीएम में बन्द कर दिया. 23 मई को सुबह 8 बजे जैसे ही ईवीएम खुली तो मोदी कि बड़ी-बड़ी लहरें उठने लगीं. और देखते ही देखते मोदी की सुनामी आ गई और उसी में पूरा विपक्ष डूब गया.

आन्ध्र प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों में से नायडू की पार्टी सिर्फ 3 सीट ही जीत सके. जबकि 22 सीटें वाईएसआर कांग्रेस को गई हैं. लोक सभा के साथ-साथ आंध्र विधानसभा चुनाव के नतीजे भी घोषित हुए. वहां 175 विधानसभा सीटों में से नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) को सिर्फ 23 पर जीत हासिल हुई.

जबकि 151 सीटों के बहुमत के साथ नायडू के धुर विरोधी वाईएसआर (युवजन श्रमिक रायतू) कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी सरकार बना रहे हैं. वहीं सियासी जानकारों की मानें तो टीडीपी की इस गति के लिए सबसे ज्यादा अगर कोई जिम्मेदार है तो वे खुद चंद्रबाबू नायडू हैं.