सुप्रीम कोर्ट पहुंचा योगी सरकार का 68,500 सहायक शिक्षक भर्ती घोटाला, माँगा जवाब
योगी सरकार की पहली बड़ी भर्ती प्रकिया गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है. गलत तरीके से की गई भर्तियां रद्द भी हो सकती हैं. अब ये मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच चुका है. और न्यायालय ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है.

मामला पिछले साल का है. योगी सरकार में सहायक अध्यापक भर्ती में धांधली की गई थी. जिसके बाद करीब दर्जनों अभ्यर्थियों ने कोर्ट में इसकी सीबीआई जाँच करने की याचिका लगाई थी. जिसपर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सुनवाई करते हुए 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा की सीबीआई जांच का आदेश दे दिया था. साथ ही सीबीआइ निदेशक को छह महीने में जांच पूरी करने के भी निर्देश भी दिए गए थे.
मामला तब सामने आया जब सही सवाल पर अंक न देने या कम अंक देने की शिकायत पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जब परीक्षार्थी सोनिका देवी की कॉपी दोबारा चेक करवाई तभी बड़े अफसरों की पोल खुल गई और दो अफसरों को इसका परिणाम भुगतना पड़ा. कोर्ट के आदेश पर प्रदेश सरकार ने तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी डॉ.सुत्ता सिंह और रजिस्ट्रार जीवेंद्र सिंह ऐरी को निलंबित कर दिया.
लेकिन फरवरी 2019 में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की अपील पर उच्च न्यायालय की डिविजन बेंच ने इस मामले पर सीबीआई जांच करने पर रोक लगा दी थी. जिससे अभ्यर्थी फिर नाराज़ हो गए और उन्होंने अदालत में याचिका दायर करके सीबीआई जांच को बरकरार रखने की मांग की है. तभी आज मंगलवार को मामले की जांच सीबीआई से कराने वाली अर्जी पर न्यायालय ने यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है.
दरअसल धांधली इस तरह हुई थी कि 23 अभ्यर्थियों को परीक्षा परिणाम की दूसरी लिस्ट में योग्य घोषित किया गया, जबकि वे पहली लिस्ट में फेल थे. और वहीं 24 अभ्यर्थियों को योग्य होते हुए भी आयोग्य घोषित किया गया था. इसलिए सभी अभ्यर्थियों ने याचिका लगाई और एक नवंबर को हाईकोर्ट ने पूरे मामले की सीबीआई जांच के आदेश दे दिए थे.