अयोध्या की राजकुमारी कैसे बनी कोरिया की महारानी, 2 हजार साल पुराना इतिहास हुआ ताज़ा
Ulta Chasma Uc : दक्षिण कोरिया के साथ अयोध्या का सदियों पुराना भावनात्मक रिश्ता रहा है. इतिहास में इसके संकेत मिलते हैं कि राम की नगरी अयोध्या की एक रानी दक्षिण कोरिया की महारानी बनी और लगभग 2 हजार साल पहले उसने वहां राज किया. रानी का नाम सुरीरत्ना था. ख़ास बात यह है की दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जुंग सुक भारत दौरे पर हैं. और आज छह नवंबर को अयोध्या में आयोजित ‘दीपोत्सव’ में भाग ले रहीं हैं.

कार्यक्रम में किम जुंग सुक मुख्य अतिथि होंगी. कार्यक्रम की अगुआई यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे. किम जोंग सुक सोमवार शाम राजधानी लखनऊ पहुंचीं. अमौसी एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका स्वागत किया. इसके साथ ही किम जोंग सुक के सम्मान में योगी आदित्यनाथ ने अपने आवास पर रात्रिभोज दिया. मुख्यमंत्री ने किमजोंग-सुक व कोरिया से आए अन्य अतिथियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया.

रात्रि भोज में राज्यपाल राम नाईक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ.दिनेश शर्मा, सरकार के वरिष्ठ मंत्री, अधिकारी और किम के साथ आये प्रतिनिधिमंडल के लोग शामिल थे. वे रात में यहां होटल ताज विवांता में रुकीं. मंगलवार को दीपोत्सव में भाग लेने के लिए सड़क मार्ग से ही अयोध्या जायेंगीं. अगले दिन बुधवार को किम यहीं से सियोल (दक्षिण कोरिया की राजधानी) जाएंगी. किम जुंग सुक के खास मेहमान होने से अयोध्या और कोरिया का करीब 2000 वर्ष पुराना रिश्ता ताजा हो जाएगा. इस यात्रा के दौरान किम जोंग-सूक प्राचीन कोरियाई राज्य कारक के संस्थापक राजा किम सू-रो की भारतीय पत्नी, महारानी हौ के स्मारक पर भी जाएंगी. महारानी हौ का स्मारक अयोध्या में सरयू नदी के किनारे पर स्थित है.
अयोध्या की राजकुमारी’ सुरीरत्ना का इतिहास
अयोध्या की राजकुमारी’ सुरीरत्ना नी हु ह्वांग ओक-अयुता भारत से दक्षिण कोरिया के ग्योंगसांग प्रांत के किमहये शहर गई थीं. रिसर्चरों के मुताबिक सुरीरत्ना 48 ईसा पूर्व कोरिया पहुची थीं. वहां के तत्कालीन राजा किम-सुरो ने कोरिया पहुंचने पर उनका स्वागत किया. दोनों ने शादी की और आगे चल कर कारक वंश की स्थापना की.

आज कोरिया में कारक गोत्र के तक़रीबन 60 लाख लोग ख़ुद को राजा किम सू-रो और अयोध्या की राजकुमारी के वंश का बताते हैं. दक्षिण कोरिया में राजकुमारी की जो कब्र है, उसके बारे में कहा जाता है कि इसपर लगा पत्थर अयोध्या से ही गया था. कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फ़रवरी-मार्च के दौरान इस राजकुमारी की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता रहा है.

कोरियाई मेहमानों ने सरयू नदी के किनारे पर संत तुलसीघाट के क़रीब अपनी राजकुमारी की याद में एक छोटा पार्क भी बनवाया था. जहाँ कारक राजवंश का स्मारक आज भी मौजूद है.
Web Title : south korea first lady kim jung sook
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