ख़ून से नहाई 200 बीघा ज़मीन का 1955 से शुरू हुआ था विवाद, रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, 3 लोग सस्पेंड
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में 10 लोगों का नरसंहार हुआ जिसने सभी के दिल दहला दिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे में इस मामले की जाँच कर रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद एक के बाद एक कई खुलासे हुए हैं.

कमिश्नर ADG वाराणसी ने मुख्यमंत्री योगी को जांच रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट के अनुसार तहसील-थाने स्तर से बड़ी लापरवाही हुई थी. सीओ से लेकर थाना प्रभारी तक इसके जिम्मेदार हैं. तहसील अफसरों को इस मामले में सख़्ती दिखानी चाहिए थी. मगर किसी ने कुछ नहीं किया. रिपोर्ट में पिछले साल की भी एक घटना का ज़िक्र है. जो इसी इस जमीन को लेकर हुआ था. तब उस जमीन पर फसल काटने को लेकर विवाद हुआ था. समय रहते अगर समाधान हुआ होता तो इतनी बड़ी घटना ना होती. लेकिन किसी अफसर ने इस मामले को सुलझाने की कोशिश नहीं की बस टालते रहे और इतनी बड़ी घटना हो गई.
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट देखने के बाद मुख्यमंत्री योगी पुलिस-प्रशासन से नाराज हो गए हैं और रिपोर्ट के आधार पर अफसरों पर एक्शन भी होगा. 10 लोगों की हत्या में कई अफसर जिम्मेदार हैं. जिम्मेदार अफसर बर्खास्त किए जाएंगे.
आज शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस घटना की नींव 1955 में ही पड़ गई थी, जब कांग्रेस की सरकार थी. सोनभद्र के विवाद के लिए 1955 और 1989 की कांग्रेस सरकार दोषी है. मैंने खुद डीजीपी को निर्देश दिया कि वो व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करें. इस जमीन पर काफी समय से विवाद था. इस मामले में लापरवाही के चलते सीओ, एसडीएम, इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया है.
1955 में क्या हुआ था ऐसा-
इस विवाद में मारे गए दस आदिवासियों के वकील नित्यानंद द्विवेदी ने पूरा इतिहास बताया है कि कैसे क्या हुआ. वकील ने बताया कि आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा ने 1955 में वन विभाग की जमीन को ग्राम समाज बनाकर आदर्श कोआपरेटिव सोसाइटी को ट्रांसफर करवा दी थी. तब सोसायटी के अध्यक्ष भानु प्रसाद के दामाद थे. फिर इसी सोसाइटी ने 200 बीघा जमीन को 1989 में प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा और बेटी विनीता शर्मा के नाम गलत तरीके से ट्रांसफर करवा दी थी. तब इस जमीन पर वनवासी समुदाय के लोग खेती बाड़ी करते थे. और बाद में एआरओ (चकबन्दी अधिकारी) ने बिना सुनवाई के ही 2017 में आशा मिश्रा और बेटी विनीता शर्मा से इस जमीन को ग्राम प्रधाम यज्ञदत्त के नाम करवा दी. जो इस पूरे नरसंहार का दोषी है.
इस तरह से आदिवासियों के अधिकार को छीन लिया गया. वकील नित्यानंद द्विवेदी ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. जो 1955 से ही शुरू था. आदिवासियों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई पर प्रशासन ने प्रधान के पक्ष में फैसला सुना दिया था. आदिवासी कमिश्नर के यहां अपील लेकर जाने कि तैयारी में थे मगर इससे पहले कब्जे को लेकर ग्राम प्रधान ने आ कर इस घटना को अंजाम दे दिया.
बतादें कि ये घटना सोनभद्र जिले के घोरावल कोतवाली क्षेत्र के मूर्तिया गांव की है. जहाँ जमीन को लेकर दो पक्षों में विवाद हुआ. धीरे धीरे बवाल बढ़ा तो लोगों ने असलहे से फायरिंग करनी शुरू कर दी और कुछ लोग गड़ासा से आपस में एक दूसरे को कांटने लगे और फिर ये बवाल खूनी हिंसा में बदल गया. इस दौरान वारदात में 10 लोगों की मौत गई. जिसमें 20 लोग घायल हुए.
ग्राम प्रधान जमीन पर कब्जा करने के लिए पूरी तैयारी से आया था. ट्रैक्टर पर सवार सैकड़ों लोगों के हाथों में लाठी-डंडे, गड़ासा था. वहीं बोलेरो में सवार लोगों के पास आठ से अधिक राइफलें थीं. मगर जब गांव वालों ने ग्राम प्रधान का विरोध किया तो ग्राम प्रधान ने मारपीट शुरू कर दी. बस इतने में ही बोलेरो पर सवार हमलावरों ने आधे घंटे तक आठ राइफल से लगभग 26 राउंड गोली चलाकर कुछ ही देर में दस लोगों को ढ़ेर कर दिया.
वहीं पुलिस ने 28 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. एडीजी बृजभूषण ने बताया कि अब तक मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोर्तिया समेत 25 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं और दो बंदूकें बरामद हुई हैं. छह ट्रैक्टर भी कब्जे में लिए गए हैं. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें रवाना कर दी गई हैं.