भावुक हुए शिवपाल कहा पैसे नहीं हैं, झोली बनाकर फैला दिया कुर्ते का एक हिस्सा
ऐसा पहली बार हुआ है 17-18 सालों में
- पहली बार अपनी किसी रैली में शिवपाल भावुक दिखे
पहली बार शिवपाल यादव ने मंच पर झोली फैलाई
पहली बार शिवपाल यादन ने लोगों से नोट मांगे
रैली का मैनेजमेंट बेहतर तरीके से करने की कोशिश हुई
अपर्णं यादव को पहली बार लिखा हुआ भाषण मिला
शिवपाल यादव से पहली बार रैली में शेर पढ़वाया गया
शिवपाल की इस रैली में सारे नेताओं ने बीजेपी सरकार को घेरा
केवल शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को कटघरे में खड़ा किया
पहली बार अपनी रैली में शिवपाल यादव ने अपने कुर्ते को झोली बनाकर फैला दिया. पहली बार शिवपाल यादव ने वोट भी झोली फैलाकर मांगे और नोट भी मांगे. शिवपाल ने कहा उनके पास पैसे नहीं हैं. वो भावुक थे. आवाज भर्राई हुई थी. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल को पहली बार इस रूप में देखा गया.
पार्टी बनाने के बाद पहली बार शिवपाल यादव ने लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में रैली की. लेकिन रैली में शिवपाल यादव को ऐसे पहले कभी नहीं देखा गया. शिवपाल ने आजतक अपनी रैली में हमारी याद में कभी भी कविता या शेर भी नहीं कहा था. लेकिन इस बार शिवपाल ने कहा…
हम हमेशा लड़े हैं
हम लड़ेंगे अभी अंधेरों से
हमें जिद है यहां रोशनी फैलाने की
समाजवाद लाने की
लोकतंत्र लाने की
और संविधान बचाने की
शिवपाल यादव की आवाज ज्यादा बोलने की वजह से पहले से ही बैठी थी. हाव भाव से लग रहा था कि कार्यक्रम का ज्यादातर इंतजामों का जिम्मा शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव का था. मैनेजमेंट नया था साफ दिख रहा था. इवेंट अच्छा करने की कोशिश की गई थी. और कोशिश कामयाब भी हुई. ज्यादातर भाषण पहले से लिखे गए थे. जैसे अपर्णा यादव को भी कही शेर हिंद मुलायम सिंह का नारा लगाते नहीं सुना गया था लेकिन उन्होंने शिवपाल यादव जिंदाबाद और शेरे हिंद मुलायम सिंह यादव यादव जिंदाबाद के नारे लगाए.
बदली-बदली नजर आईं अपर्णं यादव
अपर्णां यादव ने इशारों इशारों में अखिलेश पर निशाना साधा. शिवपाल की जन आक्रोश रैली की खास बात ये थी कि शिवपाल यादव को छोड़कर किसी ने अखिलेश या समाजवादी पार्टी पर निशाना साधने की जुर्रत नहीं की. शायद शिवपाल ने अखिलश को घेरने का अधिकार अभी भी किसी कार्यकर्ता को नहीं दिया है. लेकिन खुद पूरी भड़ास निकाली.
शिवपाल का मैनेजमेंट नया है दिखाई दे रहा था
सारे कार्यकर्ता नए थे. समय पर म्यूजिक अप हो समय पर डाउन हो. माइक की आवाज लेवल में रहे इसका ध्यान शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव रख रहे थे. यहां तक कि मुलायम सिंह को क्या बोलना है पर्ची में लिखकर मुलायम सिंह यादव को दिया जा रहा था. मुलायम सिंह यादव एक बार एक महिला कार्यकर्ता पर नाराज भी हुए कि उनको पर्ची लिखकर क्यों दी जा रही है क्या उनको बोलना नहीं आता. हालांकि मुलायम सिंह यादव शिवपाल के मंच से गलती से अखिलेश के लिए वोट मांग रहे थे.
झोली फैलाता हूं पैसे नहीं हैं नोट और वोट दोनों दीजिए
अच्छा तो वापस रैली के हीरो शिवपाल यादव पर ही आते हैं शिवपाल ने अखिलेश के नाम अघोषित भाषण देते हुए कहा कि हमें ये मालूम नहीं था कि प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनानी पड़ेगी. मेरे पास पैसा नहीं है मैं आपसे आज नोट और वोट की अपील करता हूं. मेरी पार्टी में सबका सम्मान होगा. हम सबके सुख दुख में खड़े होंगे.
मैंने सबका आदेश माना लेकिन मुझे अपमान मिला
मैं समाजवादी पार्टी से कभी अलग नहीं होना चाहता था. नेताजी के साथ और समाजवादी पार्टी के साथ रहना चाहता था. मैंने कभी मुख्यमंत्री पद तो क्या मंत्री पद भी नहीं मांगा. नेता जी ने जो आदेश दिया उसका पालन किया. मैंने अपने परिवार में चाहे कोई छोटा हो चाहे कोई बड़ा हो उसका भी आदेश माना है. मैंने कभी कोई पद नहीं चाहा.
चुगलखोर और चापलूस अखिलेश को गलत रास्ते पर ले गए
आप लोग थे रजत जयंती के अवसर पर मैंने कोई पद नहीं मांगा. कभी मैंने सिर्फ सम्मान मांगा मैं नेताजी को बताना चाहता हूं. कि मैंने बहुत इंतजार किया नेताजी ने भी बहुत प्रयास किया. जिन चुगलखोरों की वजह से चापलूसों की वजह से जनाधार हीन लोगों की वजह से ये सब हुआ है. मैंने तो उनका भी सम्मान किया था उसके बाद भी ना आप की बात मानी गई ना मेरा सम्मान किया गया.
नेताजी की आज्ञा से पार्टी बनी ये रहे गवाह
मैंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई नेताजी की आज्ञा से बनाई. भगवती सिंह जी बैठे हैं वो भी थे राम नरेश बैठे हैं वो भी थे राम सेवक यादव भी थे. इन लोगों के सामने मैंने इजाजत ली थी. इसके बाद भी एक दिन फिर पूछा तब पार्टी बनाई.
नौजवान-मुसलमान और मंदिर
इस रैली से शिवपाल यादव ने साफ कर दिया कि वो मुसलमानों की फुल राजनीति करेंगे. अखिलेश के सबसे बड़े वोट बैंक में सबसे बड़ी सेंध लगाएंगे. शिवपाल यादव के बाकी कार्यकर्ताओं ने भी बीजेपी को कोसा शिवपाल यादव ने मोदी के 56 इंच के सीने पर सवाल किए. और कहा राम मंदिर अयोध्या में बने लेकिन बाबरी की जगह पर नहीं सरयू के किनारे बने. किसान नौजवान मुसलमान सबने मेहनत की है. सबका लखनऊ की जमीन पर स्वागत करते हैं अभिनंदन करते हैं.
वीडियो- सौजन्य bharat ek soch यूट्यूब
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