यूपी में ठेले पर शर्म : संपादकीय व्यंग्य (Shame on the Cart in UP)

ये बलिया के बाबा हैं..एंबुलेंस नहीं मिली तो अपनी पत्नी को ठेला गाड़ी (Shame on the Cart in UP) से खींचते हुए अस्पताल लेकर गए..अस्पताल में पत्नी की मौत हो गई तो लाश घर भिजवाने के लिए अस्पताल ने 11 सौ रूपए ले लिए..पत्नी की लाश घर तक खींचकर नहीं लानी पड़ी..आप इसे ही कहानी की हैप्पी एंडिंग मान सकते हैं…ठेला गाड़ी को दोबारा घर तक खींचकर कौन लाया..दवाई में क्या खर्च आया वो सब छोड़ दीजिए वो बताने का कोई फायदा भी नहीं है..
ये तस्वीर देखकर चाहे तो यूपी की सरकार अपराध बोध से भर सकती है..और चाहे तो यूपी में सब चलता है सोचकर चलती बन सकती है..या फिर पत्रकार लोग तिल का ताड़ बनाया ही करते हैं ये सोचकर किसी और मुद्दे पर फोकस कर सकती है..कश्मीर जैसी कोई और फाइल खोज सकती है..लोगों से ये ठेला गाड़ी (Shame on the Cart in UP) देखने के बजाए..फिर से थियेटर में कश्मीर पर बनी फिल्म देखने को बोल सकती है..
मेरा क्या है यूपी के लोगों की दुख तकलीफों की बातें मैं आपको बताती रहूंगी..अपनी बीमार बीवी को ठेले (Shame on the Cart in UP) में लिटाकर अस्पताल की दिशा में खींचते ये दादा को देखकर मुझे बहुत ज्यादा दुख नहीं हो रहा है…क्योंकि मुझे ये देखने की आदत हो गई है..मैंने अस्पतालों में इन बदहालियों के लिए धरने दिए हैं लड़ी हूं भिड़ी हूं..सरकार ने कुछ सुना है..कुछ नहीं भी सुना है..आप ठेले पर ही मत खोए रहिए..बलिया के ठेले से लखनऊ के केजीएमयू यानी किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज की लाइन की तरफ देखिए..
बीमार पत्नी अगर ठेले (Shame on the Cart in UP) में पड़ी है..तो आपके स्वास्थ्य मंत्री भी घर पर नहीं पड़े हैं..लाइन में खड़े हैं..मरीजों को अस्पताल में क्या परेशानियां होती हैं..उसका उनुभव लाइन में लगकर कर रहे हैं..कमीयां खूबियां सबका अनुभव किया..यूपी के लोगों को उम्मीद है कि हो सकता है कि स्थितियां सुधरें क्योंकि जिन लोगों ने यूपी के स्वास्थ्य सिस्टम को भोगा है उनसे मैं ज्यादा कुछ कहना नहीं चाहती..और जिन लोगों का पाला ऊपर वाले की दुआ से यूपी के बड़े सरकारी अस्पतालों से नहीं पड़ा है..दुआ करती हूं कि उनको कभी अस्पताल का वार्ड देखना नसीब ना हो..
अपनी पत्नी को हाथ गाड़ी (Shame on the Cart in UP) में खींचते बाबा की जो तस्वीर मैंने आपको पहले दिखाई थी..अभी तक वही यूपी के स्वास्थय सिस्टम की असली तस्वीर है..मंत्री जी ने जांच के आदेश दिए..इस तस्वीर में भला कौन क्या जांचेगा..इस तस्वीर ऐसा क्या है जो अल्ट्रासाउंड..एमआरआई ..या एक्सरे जांच के बाद ही पता चलेगा..साफ दिखाई दे रहा है..बुजुर्ग आदमी हाथ गाड़ी खींच रहा है..उसकी बीमार पत्नी उसमें पड़ी हुई है..लेकिन स्वास्थय मंत्री हो..स्वास्थ्य का सिस्टम हो या फिर डॉक्टर सबको दिखाई चाहे जितना दे..
लेकिन जांच जरूरी है..खैर लाइन में खड़े यूपी के स्वास्थ मंत्री की तस्वीर हमें थोड़ी उम्मीद देती है..कि मंत्री जी अगर इतनी फिक्र कर रहे हैं..तो बिमार यूपी के दिन एक ना एक दिन फिर सकते हैं..हम उम्मीद ही सकते हैं..क्योंकि यूपी के स्वास्थ्य सिस्टम को दवा की नहीं दुआ की ही जरूरत है..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.