निजी शिक्षण संस्थाओं में एससी-एसटी को नहीं मिलेगा निशुल्क प्रवेश, फर्जीवाड़े पर योगी सरकार का बड़ा फैसला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के लिए एक बड़ा फैसला ले लिया है. इस फैसले के बाद एससी-एसटी लोगों को अब निजी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क प्रवेश नहीं मिलेगा.

योगी सरकार के इस नए नियम से निजी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेने वाले इन वर्गों के 2-3 लाख विद्यार्थी प्रभावित होंगे. अब ये छात्र निजी शिक्षण संस्थानों में फीस देकर एडमिशन लेंगे. फिर बाद में शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि सरकार उनके खातों में भेजेगी. सरकार ने निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था खत्म करने का बड़ा फैसला शुल्क भरपाई योजना में गड़बड़ियों की शिकायतों को देखते हुए किया है.
हालांकि सरकारी और सहायता प्राप्त सरकारी संस्थानों में एससी-एसटी वर्ग के सभी छात्रों को निशुल्क प्रवेश मिलेगा. उसमें कोई बदलाव नहीं है. भले ही ये संख्या कुल सीटों के 40 प्रतिशत से ज्यादा क्यों न हो. दरअसल पिछले कई सालों में ऐसे मामले सामने आए हैं. जिनमें शिक्षण संस्थानों ने शुल्क भरपाई की राशि हड़पने के लिए अपने यहां एससी-एसटी के फर्जी छात्र दिखा दिए. इन शिक्षण संस्थानों में सीटें एससी-एसटी छात्रों से ही भरी दिखाई गईं. जबकि व्यावहारिक रूप से ये बिलकुल भी संभव नहीं था.
फिर जब इसकी जाँच हुई तो कई संस्थानों की 50 फीसदी तक छात्र फर्जी मिले थे. इस फर्जीवाड़े में स्थानीय सरकारी अधिकारियों की भी मिलीभगत सामने आई है. बतादें कि वर्ष 2002-03 में केंद्र सरकार ने सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी शिक्षण संस्थानों में अनुसूचित जाति और जनजाति के शत-प्रतिशत छात्रों को निशुल्क प्रवेश की व्यवस्था लागू की थी.
उसके बाद वर्ष 2014-15 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने एससी/एसटी छात्रों के निशुल्क प्रवेश के लिए सीटों की संख्या 40 प्रतिशत निर्धारित कर दी थी. यानी, अपनी कुल सीट संख्या की 40 प्रतिशत सीटों पर एससी-एसटी छात्रों को निशुल्क प्रवेश दिया जा सकता था.