अब सावित्री बाई फुले को सिर्फ अखिलेश ही दे सकते हैं शरण, ऐसा क्यों ?
सावित्री बाई फुले जो कुछ दिनों पहले बीजेपी से बहराइच की सांसद थी. कल बृहस्पतिवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव से मिलीं. सावित्री को लगता है की बीजेपी ने उन्हें अनदेखा कर दिया शायद अखिलेश कुछ साथ दे दें. इसी बात को लेकर वो अखिलेश के पास मिलने पहुंची.

अखिलेश यादव से मिलकर सावित्री ने प्रदेश के हालात पर चर्चा की. सावित्री ने बीजेपी सरकार के दलित व पिछड़ा विरोधी कदमों की जानकारी दी. इसके साथ ही उन्होंने बहराइच लोकसभा सीट को लेकर भी चर्चा की. फुले का मन है की इसी सीट से वे चुनाव लड़ें. हालांकि मुलाकात के बाद संसद सावित्री ने कहा कि वे गठबंधन को मजबूत करने में लगी हैं. टिकट जैसी कोई बात नहीं है.
पिछले साल 6 दिसम्बर को बीजेपी से इस्तीफा देने के बाद सावित्री बाई फुले कई बार अखिलेश से मुलाकात कर चुकी हैं. पिछले दिनों सावित्री बाई फुले ने कहा था कि वह बीजेपी को हराने के लिए किसी हद तक भी जा सकती है. योगी आदित्यनाथ पर तंज कसते हुए सांसद ने कहा था कि योगी का दलित प्रेम सिर्फ दिखावा है अगर उन्हें दलितों से प्रेम है तो दलितों को गले लगाएं, दलितों का सम्मान करें.
संभावना है कि जल्द ही वह लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे सकती हैं. अब सावित्री की आस सिर्फ अखिलेश से ही है. बीजेपी से तो बगावत कर ही चुकीं हैं. और बसपा भी सावित्री को टिकट नहीं देगी. इसलिए सपा ही अब आखिरी मौका है.
सावित्री बाई ने हाल ही में एक जनसभा में कहा था कि बीजेपी सरकार की ये रणनीति बहुजन समाज किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं करेगी. वहां उन्होंने ये भी कहा था की बहुजन समाज के लोगों को बाबा साहब डा.भीमराव आंबेडकर व भगवान गौतम बुद्ध जैसे महापुरुषों के बनाए गए संविधान के प्रति एकजुट होकर लड़ना लड़ना पड़ेगा.
सावित्री अपनी एक सभा में ये भी कह चुकी हैं की अयोध्या में राम मंदिर नहीं बुद्ध जी का मंदिर होना चाहिए, और ऐसा तभी होगा जब बहुजन समाज व पिछड़ा समाज एक साथ होकर अपनी ताकत देश को दिखायेगा. सावित्री बाई ने कहा बाबा साहब डा. भीमराव अंबेडकर की वजह से ही मैं एक सांसद बन पाई हूं.