आख़िर क्यों ‘साध्वी प्रज्ञा’ इतना बवाल मचाये हुए हैं. कहाँ से शुरू हुआ विवाद ?
कौन हैं साधवी प्रज्ञा कौन सा ऐसा विवाद है जो सभी उन पर भड़के हुए हैं. आइये जानते हैं-
लड़कों की तरह बाल, भगवा कपड़े, गले में रूद्राक्ष की मालाएं, माथे पर चंदन और कुमकुम का बड़ा सा तिलक और चेहरे पर सन्यास की दमक लिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का जीवन कई तरह के उतार चढ़ाव से भरा हुआ है. प्रज्ञा विश्व हिंदू परिषद की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी की सदस्य भी रहीं हैं. साध्वी प्रज्ञा अपने तीखे तेवर और राष्ट्रवाद पर अपने भड़काऊ भाषणों के कारण कई बार अखबारों की सुर्खियों में और विवादों के घेरे में रहीं हैं.

प्रज्ञा सुर्खियों में तब आयीं जब सन् 2008 में उन पर मालेगाँव में हुए बम विस्फोंटों में आरोपी बनाया गया था और उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया फिर वहीं गिरफ्तार भी कर लिया गया. 2017 में एनआईए के एक विशेष कोर्ट ने इनपर लगी मकोका की धाराएं हटा दी, और गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) संशोधन अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. स्वास्थ्य कारणों से उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था.
फिर 2019 के प्रयागराज कुम्भ के अवसर पर उन्हें ‘भारत भक्ति अखाड़े’ का आचार्य महामण्डलेश्वर घोषित किया गया था और अब वे ‘महामण्डलेश्वर स्वामी पूर्णचेतनानन्द गिरी’ के नाम से जानी जाती हैं. वहीं लोकसभा चुनाव में भोपाल से भाजपा ने साध्वी को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. फिर क्या था विपक्ष टूट पड़ा बीजेपी पर.
मगर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जुबान भी थमने का नाम नहीं ले रही है. पिछले 5 दिनों में साध्वी प्रज्ञा लगातार 5 विवादित बयान दे चुकी हैं. उन्हें इन बयानों के कारण चुनाव आयोग दो बार नोटिस भी भेज चुका है, लेकिन साध्वी प्रज्ञा मानने को तैयार ही नहीं हैं.
अब तक के 5 विवादित बयान-
17 अप्रैल को साध्वी ने कहा कि दिग्विजय मेरे लिए चुनौती नहीं हैं. ये धर्मयुद्ध है और हम इसे जीतेंगे.
18 अप्रैल को साध्वी ने कहा कि जो गलती मैंने नहीं की उसे मैं स्वीकार भी नहीं करूंगी. मुझसे पूछा जाता था कि मैं किससे साथ बैठक करती हूं, क्या प्रशिक्षण देती हूं. मुझे लेकर गए और गैरकानूनी तरीके से 13 दिनों तक रखा. पहले ही दिन बिना कुछ पूछे पीटना शुरू कर दिया. चौड़े बेल्ट से मारा जाता था. बेल्ट इतना सख्त होता था कि एक बार में ही शरीर सूज जाता है और दूसरे बेल्ट में छिल जाता था. बेल्ट की मार से पूरा नर्वस सिस्टम सुन्न पड़ जाता था. वे दिन-रात पीटते थे.
19 अप्रैल को साध्वी ने कहा कि हेमंत करकरे ने मुझे मालेगांव ब्लास्ट मामले में झूठे आरोप में फंसाया और मेरे साथ बहुत बुरा बर्ताव किया. मैंने उससे कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा. ठीक सवा महीने तक सूतक लगा है. जिस दिन मैं गई थी उस दिन इसके सूतक लग गया था. ठीक सवा महीने में आतंकवादियों ने इसको मारा, उस दिन उसका अंत हुआ.
20 अप्रैल को साध्वी ने कहा कि राम मंदिर जरूर बनेगा. एक भव्य मंदिर बनेगा. हम मंदिर वहीं बनाएंगे. आखिरकार, हम ढांचे को ध्वस्त करने के लिए गए थे. मैंने ढांचे पर चढ़कर उसे तोड़ दिया. मुझे गर्व है कि भगवान ने मुझे यह मौका और ऐसा करने के लिए शक्ति दी, और मैंने उसे कर दिया. अब हम वहीं राम मंदिर बनाएंगे.
21 अप्रैल को साध्वी ने कहा कि हां, मैं अयोध्या गई थी. मैंने कल भी ये कहा था. मैं मना नहीं कर रही. मैंने ढांचे को तोड़ा था. मैं वहां जाकर राम मंदिर निर्माण में भी मदद करूंगी. कोई हमें ऐसा करने से नहीं रोक सकता. राम राष्ट्र हैं, राष्ट्र राम हैं.
प्रज्ञा ने आरोप लगाते हुए कहा कि शनिवार को उनके कई कार्यक्रम थे, लेकिन प्रशासन ने आयोजित करने की अनुमति नहीं दी. आज प्रचार का पहला दिन था लेकिन इसमें अड़ंगा लगाया गया. उन्होंने कहा कि जब धर्म जागता है, भगवा अपने पूर्ण तेज में और सूर्य पूर्ण आवेश में आता है तो कोई रोक नहीं सकता. ऐसे ही भगवा और हिंदू आतंकवाद कहने वाले भी बुरी तरह हारेंगे.