गठबंधन तो एक बहाना था, असली मक़सद तो भतीजे को लाना था…
राजनीति की भाषा आजतक कोई नहीं समझ पाया है. और न ही कोई समझ पाएगा. कौन सा नेता कब पलटी मार जाये ये कोई नहीं जानता. इसमें तो कट्टर दुश्मन भी एक हो जाते हैं. ऐसा ही यूपी की दो बड़ी और मजबूत पार्टी सपा-बसपा में हुआ. कौन किसका फ़ायदा उठा रहा है ये कोई नहीं जनता.
इन दोनों के गठबंधन के बीच एक नया चेहरा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना है. नाम है आकाश. कौन है आकाश ? आपने मायावती के आस पास एक शख्स को देखा होगा नीले कोट पैंट में उसी का नाम है आकाश. दरअसल आकाश मायावती के भाई आनन्द कुमार का बेटा है. और मायावती ने ये खुद ऐलान कर दिया है कि वो अपने भतीजे आकाश को बसपा के आंदोलन से जोडेगी.

माया के करीबी सूत्रों का कहना है कि आकाश को माया बसपा का उत्तराधिकारी के रूप में देखती हैं. और आने वाले समय में माया बसपा की कमान आकाश के हाथ में ही दे सकती हैं. इसलिए माया उसको राजनीति के दांव-पेंच सिखाने में लगी हैं.
आकाश की बात जब चर्चा में आई तो मायावती ने प्रेस कोन्फ्रेंस करके अपनी सफाई दी की आकाश राजनीति में नहीं है. मगर उसको बसपा के आंदोलन से जोडूंगी. बसपा वंसवादी पार्टी नहीं है. मेरा जन्मदिन था इसलिए आकाश मेरे साथ दिखा.
अब इसमें कुछ सूत्रों का ये भी कहना है कि ये मायावती की एक बड़ी सोची समझी चाल है. आखिर गठबंधन के वक्त ही ऐसा क्यूं ? अगर देखा जाये तो मायावती की चर्चा मीडिया में अक्सर कम ही होती है. पर अब अखिलेश से गठबंधंन करने के बाद वो रोज चर्चा में बनी हुईं हैं. एक बात और भी है कि अखिलेश के साथ गठबंधन करने से मायावती को अगर कोई फ़ायदा नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा. क्योंकि मायावती के पास एक भी लोकसभा सीट नहीं है.
2014 के लोकसभा चुनाव की स्थिति- कुल सीटें: 80
पार्टी सीटें वोट शेयर
भाजपा+ 73 42.6%
सपा 05 22.3%
बसपा 00 19.8%
कांग्रेस 02 7.5%
अब दांव पर लगा है तो सिर्फ अखिलेश का आने वाला भविष्य. मायावती को इसका पूरा फ़ायदा मिलेगा. चर्चा में भी हैं और चुनाव में अखिलेश की वजह से कुछ सीटें भी जीत लेंगी. और सबसे बड़ी बात की इसी चुनाव के चलते माया आकाश को राजनीतिक दांव-पेंच भी सिखा देंगी. आकाश हाल ही में लंदन से एमबीए कर लौटे हैं. पार्टी में बिना किसी पद के आकाश ने अपनी बुआ के साथ रहकर राजनीति का ककहरा सीखना शुरू कर दिया.