चुनाव परिणाम से पहले ही BSP के 48 नेताओं ने दिया ‘इस्तीफ़ा’, ये है बड़ी वजह-
बसपा सुप्रीमों मायावती ने जिन नेताओं से पार्टी को नुक्सान हुआ है उन नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. माया का पहला शिकार हुए पूर्व ऊर्जा मंत्री और बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय. बसपा ने मंगलवार को उनको पार्टी से बाहर कर दिया है.

मगर मायावती को रामवीर उपाध्याय को पार्टी से बाहर करना शायद महंगा पड़ गया. बसपा ने रामवीर उपाध्याय को निलंबित करने का पत्र जैसे ही जारी किया कि थोड़ी देर बाद रामवीर के समर्थकों ने भी पार्टी से इस्तीफा देना शुरू कर दिया. और बसपा में जैसे इस्तीफों की झड़ी लग गई. रामवीर के समर्थन में आगरा में एक के बाद एक कुल 48 नेताओं ने इस्तीफे दे दिए हैं.
इस्तीफा दे चुके 48 नेताओं में चार जिला पंचायत सदस्य सुनीता कसाना, अरुण शर्मा, रेखा तिवारी, सुभाष शर्मा उत्तर सीट के प्रत्याशी रहे ज्ञानेंद्र गौतम और कई प्रधान, पूर्व प्रधान शामिल हैं. इस्तीफा देने के बाद सभी नेता रामवीर उपाध्याय के शास्त्रीपुरम आवास पर पहुंचे, मगर वहां कोई नहीं था. फिर उनसे फोन पर संपर्क हुआ. तब उन्होंने कहा कि वे बुधवार शाम चार बजे प्रेसवार्ता करेंगे, जिसमें वे अपने निलंबन समेत कई मुद्दों पर खुलासा करेंगे.
बसपा की तरफ से जारी हुए पत्र के अनुसार, रामवीर उपाध्याय ने न केवल लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल हुए, बल्कि चेतावनी देने के बाद भी उन्होंने लोकसभा चुनाव में आगरा, फतेहपुर सीकरी, अलीगढ़ समेत कई सीटों पर पार्टी प्रत्याशी का खुलकर विरोध किया और विरोधी पार्टियों के प्रत्याशियों का समर्थन किया.
दरअसल रामवीर उपाध्याय को ये ख़ामियाजा इसलिए भुगतना पड़ा क्युकी वे लोकसभा चुनाव के दौरान कई बार बीजेपी के प्रत्याशियों की रैली में दिखाई दिए थे. और आपको तो पता ही है की विपक्ष बीजेपी से कितना बौराया है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हमेशा से बीजेपी पर तंज कसने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की सिफारिश राज्यपाल रामनाईक से की थी. और राज्यपाल ने भी देरी न करते हुए मंजूरी दे दी थी. मतलब अब राजभर बीजेपी में नहीं रहे.