लोकसभा चुनाव को लेकर ‘राजा भैया’ ने किया बड़ा ऐलान, ‘बीजेपी’ के छूटे पसीने
“राजा भैया” के नाम से प्रसिद्ध दबंग निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह अपनी नई पार्टी के साथ यूपी में अपना झंडा गाड़ चुके हैं. अब उनकी पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा ऐलान किया है. जिससे यूपी की बड़ी पार्टियां सपा, बसपा और बीजेपी के होश उड़ गए हैं.

जनसत्ता दल का ऐलान
प्रतापगढ़ के पूर्व सांसद व एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह ने ये ऐलान कर दिया है की रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’ के नेतृत्व में नवगठित ‘जनसत्ता दल’ लोकतांत्रिक प्रदेश में तीसरा विकल्प होगी. राजा भैया की पार्टी लोकसभा चुनाव अपने बल-बूते पर लड़ेगी. किसी से कोई गठबंधन नहीं किया जायेगा. उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर राजा भैया अपने प्रत्याशी उतरेंगे.
बताया पार्टी का एजेंडा
अक्षय प्रताप ने पार्टी का एजेंडा बताते हुए कहा कि पार्टी देश के सैनिकों के सम्मान व हित के लिए संघर्ष करेगी. देश की रक्षा में जान देने वाले या ड्यूटी के समय निधन होने पर जवान को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए लड़ेगी. आश्रितों को एक करोड़ रुपये धनराशि दिए जाने पर काम करेगी. राजा भैया हमेशा निर्दलीय जनप्रिय नेता रहे हैं. राजा भैया ने पहली बार नए राजनीतिक दल का उदय किया है. हम नौजवान व किसानों के हितों के लिए संघर्ष करेंगे.
इस शर्त पर बनाये जायेंगे पदाधिकारी
पार्टी में पदाधिकारी बनाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा की पार्टी में उसी कार्यकर्ता को पदाधिकारी बनाया जाएगा, जो सर्वाधिक सदस्य बनाएगा. विपक्षी पार्टियों पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि देश को सरकारों ने कभी धर्म, कभी आरक्षण के नाम पर जनभावनाओं से खिलवाड़ किया है. राजा भैया की पार्टी के इस ऐलान से सभी पार्टियों को वोट कटने का डर सताने लगा है. अगर राजा भैया किसी से गठबंधन न करें और सभी सीटों पर चुनाव लगेंगे तो सभी पार्टियों के वोट तो कटना तय है.
सभी पार्टियों के पसीने छूट गए
राजनीति में राजा भैया की धाक और मज़बूत इरादे देख कर बीजेपी क्या सभी पार्टियों के पसीने छूट गए हैं. 30 नवम्बर को राजा भैया ने लखनऊ के रमाबाई अम्बेडकर मैदान में अपनी महारैली की थी. रैली को ‘राजा भैया रजत जयंती अभिनंदन समारोह’ का नाम दिया था. राजा भैया के समर्थन में मैदान में लाखों की भीड़ देखकर सभी राजनीतिक पार्टियों के होश उड़ गए थे.
राजा भैया का मुद्दा
दरअसल बात ये है की राजा भैया अपनी नई पार्टी बना कर पूरी तरह से राजनीति में कूद चुके हैं. राजा भैया ये भी साफ कर चुके थे कि वो सवर्णों के हक की लड़ाई लड़ेंगे. प्रमोशन में आरक्षण के लिए विरोध करेंगे. उन्होंने कहा था की जीतने के बाद हम सवर्णों को भी आरक्षण दिलाएंगे. ये तो सभी को मालूम है की सियासत में सवर्ण हमेशा लावारिस रहे हैं. बीजेपी सवर्णों को अपना कहती है. लेकिन मायावती दलित समर्थक हैं. इसी बात को राजाभैया बहुत अच्छे से समझ गए थे. इसलिए उन्होंने सवर्णों को अपना बनाने की ठान ली थी.
बीजेपी की चाल
राजा भैया समझते थे कि उनकी यही समझ उनको दिल्ली तक ले जाएगी. मंत्री बनवाएगी. लेकिन बीजेपी को इसी बात का डर था. बीजेपी किसी तरह राजा भैया की इस आंधी को रोकना चाहती थी. ताकि उसके सवर्ण वोट कहीं न जाएँ और वोट बीजेपी को ही दें. इसी को देखते हुए बीजेपी ने सही समय पर अपना सवर्ण पत्ता खोल दिया. और सवर्णों को लुभाने के लिए 10 प्रतिशत का आरक्षण दे डाला.
अब क्या करेंगे राजा भैया ?
अब देखा जाए तो राजा भैया के पास कोई मुद्दा नहीं बचा है जिससे वो जनता से वोट मांग सके. सवर्णों के अलावा राजा भैया के पास कोई वोट बैंक नहीं है. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि दलित वोट राजा भैया को चाहिए नहीं. मुस्लिम वोटों से उनके पिताजी का छत्तीस का आंकड़ा चलता रहता है. मतलब मुस्लिमों का वोट भी राजा भैया को मुश्किल से ही मिलेगा. बतादें, यूपी में लगभग 300 छोटे दल राजनीति में हाथ आजमाते हैं. और ख़ास बात ये है की शिवपाल भी अपनी नई और मजबूत पार्टी बना चुके हैं. ऐसे में राजा भैया के सामने चुनाव जीतने की चुनौती खड़ी हो गई है. और यही बीजेपी चाहती थी.