ऐसी ईमानदारी किस काम की..( Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories) RRB-NTPC परीक्षा भी गई ?: संपादकीय व्यंग्य

PRAGYA KA PANNA
PRAGYA KA PANNA

जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था..तब भी आंदोलनकारियों को ऐसे नहीं कुचला गया था..अंग्रेजी सरकार और इस सरकार में बस जलियांवाला बाग का ही फर्क रह गया है..जाति धर्म के नाम पर वोट करने वाले छात्रों को या किसी भी भारतीय को नौकरी मांगने का अधिकार नहीं है..स्वर्ग नर्क सब इसी धरती पर हैं..कहीं लेने नहीं जाना है..छात्रावासों में घुसकर इस तरह से बंदूकों के कुंदों से दरवाजे तोड़ना..उनको मारना पीटना..पहली बार देखेंगे तो ये इलाहाबाद नहीं अफगानिस्तान जैसा लगेगा…(Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories)

ये छात्र आतंकी तो नहीं हैं..डबल इंजन का दम ऐसे दिखाया जाए ये जरूरी नहीं है..आजाद भारत के इतिहास में ऐसा कलंक में डूबा हुआ दिन पहले कभी नहीं आया..सरकार अपनी अलग ढपली बजा रही है..बेरोजगार अपना अलग राग गा रहे हैं. सरकार के मंत्री सिद्धार्थनाथ कहते हैं कि 2 करोड़ नौकरियां दे दीं..योगी आदित्यनाथ कहते हैं..4 लाख नौकरियां (Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories ) दे दीं..नौकरियां बहुत हैं योग्य उम्मीदवार नहीं हैं..

अगर योग्य उम्मीदवार नहीं हैं तो ये सब कौन हैं..ये प्रदर्शन करने वाले क्या पाकिस्तान से आए हैं..क्या जामिया का हॉस्टल तो है नहीं..जिस पर पुलिस वाले कुंदे चला रहे हैं..ये धर्म की नगरी इलाहाबाद है.. प्रयागराज है..यहां एक तरफ दीवारों पर नागा शिव और साधकों के चित्र बने हैं..दूसरी तरफ छात्रों की दीवारों को पुलिस के कुंदे ठोक रहे हैं.

.दरवाजों को बूट की चोट दी जा रही है..अपने बालकों को रोजगार देने में नाकाम सरकारों की अंग्रेजों वाली दमन नीति चल रही है.देखिए किस तरह से छोटा बघाड़ा में हॉस्टल या लॉज कह लीजिए उसके भीतर ये पुलिसवाला फुर्ती से कूद कूदकर दरवाजा तोड़ रहा है..इसकी फुर्ती के हिसाब से इसका नाम आज ही रजिस्टर में परमवीर चक्र के लिए लिख लिया जाना चाहिए..जब सरकारों को लगने लगता है कि हर चीज का इलाज पुलिस की लाठी है…तब अहंकार के अंत की उलटी गिनती शुरू हो जाती है..

भारत में जो भी सरकार में आता है..उसका कानपुर काम करना बंद कर देता है…वो बहरा हो जाता है..बिना आंदोलन के सरकारों को सुनाई नहीं देता..सरकारें सेवक नहीं ब्रह्ममा बन जाती हैं..किसान बिल लाए..डेढ़ साल बहरे बने रहे..बिना आदोलन बात नहीं माने..आदोलन के बाद सरकार को बुद्धि आई और माफी मांग ली..

एनटीपीसी एग्जाम में छात्रों ने धांधली का आरोप लगाया लेकिन सब राजा हरिश्चंद्र बने रहे..छात्रों ने छोटा आंदोलन किया तो कह दिया जो छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं..उनको रेलवे पहचान लेगा और कभी नौकरी नहीं देगा..कुछ इस इस्टाइल में..

योगी जी इस बाइट का रेलवे (Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories ) एक्जाम की धांधली से कोई लेना देना नहीं है लेकिन इस्टाइल यही है..रेलवे जब ये समझ गया कि धमकी से बात नहीं बनने वाली.छात्र ईमानदारी से आड़े हुए हैं..तब रेलवे ने एनटीपीसी और श्रेणी-1 की परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं..इतने ही दूध के धुले थे..तो काहे परीक्षा स्थगित कर दी..सांच को तो आंच नहीं होती..आंदोलन कर रहे छात्रों से कहती हूं..कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना बिल्कुल जायज नहीं है..ये गलत है..ये संपत्ति हम भारत के लोगों की है..कानून अपने हाथ में ना लें..तोड़फोड़ और आगजनी करके कोई आंदोलन सफल नहीं हुआ है..देखिए जो लोग

(RRB) (Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories ) यानी रेलवे भर्ती बोर्ड ने नॉन टेक्नीकल पॉपुलर कैटेगरी यानी (NTPC) में सीबीटी-1 परीक्षा 2021 में कराई थी..इसमें लगभग सवा करोड़ से ज्यादा छात्रों ने परीक्षा दी..सीबीटी-1 परीक्षा का रिजल्ट इसी 14- 15 जनवरी को आ गया..उसके बाद छात्रों ने परीक्षा में धांधली का आरोप लगाया..प्रदर्शन किया..शुरुआत में किसी कहा गया छात्रों को भड़का दिया गया है..उनके आंदोलन में बाहरी लोग घुस आए हैं..

राजनीति हो रही है..लेकिन जब छात्र अड़े रहे तो परीक्षा स्थगित कर दी गई है..एक तो बड़ी मुश्किल से सरकारी नौकरी निकलती है..उसके बाद बड़ी मुश्किल से रिजल्ट निकल पाता है..उसके बाद धांधली का आरोप लग जाता है..मामला कोर्ट में चला जाता है या परीक्षा ( Railway Recruitment Board Non-Technical Popular Categories )स्थगित कर दी जाती हैं..फिर भी ईमानदारी और पारदर्शित का ढोल ऐसे बजाया जाता है जैसे ये राजा हरिश्चंद काल चल रहा हो.

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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