वॉटर कैनन सैल्यूट के साथ हुआ राफेल का गृह प्रवेश, देश ने मनाया जश्न, दुश्मनों के छूटे पसीने
फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके 5 राफेल जैसे ही भारत की सीमा में प्रवेश हुए ये नज़ारा देख पूरे देश का सीना चौड़ा हो गया देश भर में खुशियां मनाईं गईं. 5 राफेल विमान दोपहर करीब 3.15 बजे अपनी गरज के साथ अंबाला एयरबेस पर उतरे.

पांचों बाहुबली राफेल एक ही एयरस्ट्रिप पर एक के बाद एक उतरे. इसके बाद इन्हें वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया. विमान के देश की धरती पर उतरते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत का श्लोक ट्वीट किया, उन्होंने लिखा ‘‘राष्ट्ररक्षा के समान पुण्य नहीं, राष्ट्ररक्षा के समान व्रत नहीं और राष्ट्ररक्षा के समान यज्ञ नहीं। राफेल का स्वागत है।’’
राफेल की अगवानी वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल आरकेएस भदाैरिया समेत वेस्टर्न एयर कमांड के कई अधिकारियों ने की. अत्याधुनिक तकनीकी और क्षमताओं से लैस ये विमान भारतीय वायु सेना की ताकत में महत्वपूर्ण इजाफा करेंगे. इसे लेकर रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि सटीक वार, बेजोड़ ताकत और बहुउद्देशीय भूमिका के लिए दुनिया भर में चर्चित राफेल विमानों से वायु सेना की क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी होगी. खासकर, पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से सामना करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होगी.
जैसे ही अंबाला एयरफोर्स को राफेल के आने की सूचना मिली तो करीब ढाई बजे एयर पेट्रोलिंग शुरू कर दी गई. इतना ही नहीं आर्मी और एयरफोर्स की अलग-अलग टुकड़ियां भी हरकत में आ गई थीं. इससे पहले पूरे एरिया पर आर्मी और एयरफोर्स की सेना के साथ इंटेलिजेंस की निगरानी रही. सेना नगर से आर्मी एरिया में प्रवेश को वर्जित कर दिया गया.
27 जुलाई को 7 भारतीय पायलट्स ने विमान लेकर उड़ान भरी थी और 7000 किमी का सफर तय कर भारत पहुंचे हैं. इन पायलट्स में 17 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह, कमांडर एमके सिंह, ग्रुप कैप्टन आर कटारिया, विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी, विंग कमांडर मनीष सिंह, विंग कमांडर सिद्धू और विंग कमांडर अरुण कुमार शामिल हैं.
22 साल बाद भारत को 5 नए फाइटर प्लेन मिले हैं। इससे पहले 1997 में भारत को रूस से सुखोई मिले थे. अब जानिए राफेल की खासियत-
- राफेल सिंथेटिक अपरचर रडार (SAR) भी है, जो आसानी से जाम नहीं हो सकता.
- इसमें लगा स्पेक्ट्रा लंबी दूरी के टारगेट को भी पहचान सकता है.
- किसी भी खतरे की आशंका की स्थिति में इसमें लगा रडार वॉर्निंग रिसीवर, लेजर वॉर्निंग और मिसाइल एप्रोच वॉर्निंग अलर्ट हो जाता है और रडार को जाम करने से बचाता है.
- राफेल का रडार सिस्टम 100 किमी के दायरे में भी टारगेट को डिटेक्ट कर लेता है.
- राफेल में आधुनिक हथियार भी हैं. जैसे- इसमें 125 राउंड के साथ 30 एमएम की कैनन है.
- ये एक बार में साढ़े 9 हजार किलो का सामान ले जा सकता है.
- राफेल डीएच (टू-सीटर) और राफेल ईएच (सिंगल सीटर), दोनों ही ट्विन इंजन, डेल्टा-विंग, सेमी स्टील्थ कैपेबिलिटीज के साथ चौथी जनरेशन का फाइटर है.
- ये विमान न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है.
- इस फाइटर जेट को रडार क्रॉस-सेक्शन और इन्फ्रा-रेड सिग्नेचर के साथ डिजाइन किया गया है.
- इसमें ग्लास कॉकपिट है.
- इसमें एक कम्प्यूटर सिस्टम भी है, जो पायलट को कमांड और कंट्रोल करने में मदद करता है.
- इसमें ताकतवर एम 88 इंजन लगा हुआ है.
- राफेल में एक एडवांस्ड एवियोनिक्स सूट भी है. इसमें लगा रडार, इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन सिस्टम और सेल्फ प्रोटेक्शन इक्विपमेंट की लागत पूरे विमान की कुल कीमत का 30% है.
- इस जेट में आरबीई 2 एए एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार लगा है, जो लो-ऑब्जर्वेशन टारगेट को पहचानने में मदद करता है.
इसी के साथ ही राफेल फाइटर जेट को और ज्यादा पावरफुल बनाया जा रहा है. वायुसेना इसे हैमर मिसाइल से लैस करवा रही है. इसके लिए इमरजेंसी ऑर्डर भी कर दिए गए थे और वायुसेना की जरूरत को देखते हुए फ्रांस के अधिकारियों ने किसी और के लिए तैयार किए गए स्टॉक में से भारत को हैमर देने का फैसला किया था. हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्सटेंडेड रेंज) मीडियम रेंज मिसाइल है, जिसे फ्रांस की वायुसेना और नेवी के लिए बनाया गया था. ये आसमान से जमीन पर वार करती है. हैमर लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में भी मजबूत से मजबूत शेल्टर और बंकरों को तबाह कर सकती है.