गिरफ़्तार हुईं प्रियंका, सोनभद्र में पीड़ित परिवारों से मिलने जा रही थीं, कहा- मिलकर ही जाऊंगी
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में हुए जमीन विवाद को लेकर नरसंहार के बाद प्रियंका गांधी शुक्रवार को पीडि़तों का हाल जानने वाराणसी पहुंचीं थीं. वाराणसी ट्रामा सेंटर से प्रियंका का काफिला सोनभद्र के लिए रवाना हुआ.

मगर जैसे ही मिर्जापुर के रास्ते पर प्रियंका का काफिला पहुंचा वैसे ही नारायणपुर के पास उनको रोक कर तुरंत वहीं गिरफ़्तार कर लिया गया है. इसके बाद प्रियंका मिर्जापुर की नरायणपुर पुलिस चौकी के सामने सड़क पर धरने पर बैठ गई हैं. सोनभद्र जिलाधिकारी ने उनको धारा 144 का हवाला दिया है. वहीं प्रियंका को हिरासत में लिए जाने की जानकारी होने के बाद पूर्वांचल में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है.
धरने पर बैठी प्रियंका ने कहा मैं सोनभद्र जरूर जाऊंगी और जमीन विवाद को लेकर गोलीबारी में मारे गए 10 लोगों के परिजनों से मुलाकात करुंगी. वहीं चुनार किले गेस्ट हाउस में मिर्जापुर के डीएम और एसपी प्रियंका गांधी से बातचीत कर रहे हैं. हालाँकि इससे पहले प्रियंका ट्रामा सेंटर पहुँच कर चश्मदीद गवाह रामकुमार से घटना की जानकारी ली और घायलों का हालचाल पूछा. घायलों से मिलकर उनको हर संभव मदद का आश्वासन दिया.
प्रियंका के धरने पर बैठने से सभी कांग्रेसियों का वहां जवावड़ा लगने लगा फिर कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए दोपहर 12 बजे एसडीएम चुनार की गाड़ी पर हिरासत में लेकर प्रियंका गांधी को धरना स्थल से हटाया गया. हिरासत में लेने के बाद उनको मीरजापुर जिला प्रशासन ने चुनार किला स्थित डाक बंगले में भेज दिया है.
डाक बंगले पहुँचने के बाद भी प्रियंका ने कहा कि मेरी गिरफ्तारी का कोई भी कागज प्रशासन नहीं दिखा रहा है. राज्य में कानून व्सवस्था की स्थिति ठीक नहीं है. अधिकार मांग रहे लोगों पर हमला किया गया, गाेली चलाई गई. परिजनों से मुझे मिलने नहीं दिया जा रहा है. मुझे गिरफ्तार कर चुनार किला लाया गया है. यहां से चाहे मुझे कहीं भी ले जाया जाय परन्तु मैं पीड़ितों से मिले बिना नहीं जाऊंगी.
बतादें बुधवार को उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में 10 लोगों का नरसंहार हुआ जिसने सभी के दिल दहला दिए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 24 घंटे में इस मामले की जाँच कर रिपोर्ट मांगी थी. जिसके बाद एक के बाद एक कई खुलासे हुए हैं.
आज शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ये घटना दुर्भाग्यपूर्ण है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस घटना की नींव 1955 में ही पड़ गई थी, जब कांग्रेस की सरकार थी. सोनभद्र के विवाद के लिए 1955 और 1989 की कांग्रेस सरकार दोषी है. मैंने खुद डीजीपी को निर्देश दिया कि वो व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करें. इस जमीन पर काफी समय से विवाद था. इस मामले में लापरवाही के चलते सीओ, एसडीएम, इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया गया है.
वहीं पुलिस ने 28 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है. एडीजी बृजभूषण ने बताया कि अब तक मुख्य आरोपी ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोर्तिया समेत 25 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं और दो बंदूकें बरामद हुई हैं. छह ट्रैक्टर भी कब्जे में लिए गए हैं. अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पांच टीमें रवाना कर दी गई हैं.