प्रयागराज में लॉ यूनिवर्सिटी और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का शिलान्यास, न्यायपालिका में बढ़े महिलाओं की भागीदारी : राष्ट्रपति
President Ramnath Kovind In Prayagraj : प्रयागराज में हाईकोर्ट के निकट बने पोलो ग्राउंड पर हवाई मार्ग से पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने स्वागत किया. पोलो ग्राउंड पहुंची प्रयागराज की महापौर अभिलाषा गुप्ता ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) को शहर की चाभी सौंप स्वागत किया.
पोलो ग्राउंड से इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) के लिए आकर्षक मंच तैयार किया गया था. मंच पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) , सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, सुप्रीम कोर्ट के जज न्यायमूर्ति विनीत सरन, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और इलाहाबाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी मौजूद रहें.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) , मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ की. राष्ट्रपति ने वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद भूषण शरण के तैल चित्र का अनावरण किया.
हाईकोर्ट में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय से नई पीढ़ी को शिक्षा के साथ शोध के लिए नए आयाम देगा. प्रयागराज में धर्म, न्याय और शिक्षा का का भी संगम है.
सीएम ने कहा कि प्रयागराज का उच्च न्यायालय एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है. न्यायालय में मल्टीलेवल पार्किंग जो बन रहा है ये केवल मल्टीलेवल पार्किंग नहीं. इसमें 4000 वाहनों की सुविधा के साथ-साथ 2,500 अधिवक्ताओं के लिए चैंबर की सुविधा दी गई हैं.
राष्ट्रपति ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मुझे इलाहाबाद हाई कोर्ट में उ.प्र.राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय,मल्टीलेवल पार्किंग व एडवोकेट चैम्बर का शिलान्यास करके प्रसन्नता हो रही हैं. न्यायाधीशों की संख्या की दृष्टि से इलाहाबाद हाईकोर्ट सबसे बड़ा कोर्ट है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की परंपरा, मदन मोहन, मोतीलाल, कैलाशनाथ काटजू आदि ने इसी परिसर से भारत इतिहास के गौरवशाली इतिहास लिखे.
उच्चतम न्यायालय में 33 में चार महिलाएं जो सबसे अधिक है. महिलाओं में न्याय की प्रकृति अधिक होती है. उनमें सबको न्याय देने में क्षमता होती है. न्यायपूर्ण समाज की स्थापना तभी संभव होगी जब महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी.
आज भारत में 12 प्रतिशत से भी कम महिला जजों की संख्या है. राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाओं की संख्या को बढ़ाना होगा.. इस हाईकोर्ट में महिलाओं की संख्या अधिवक्ता, अधिकारी और न्यायाधीश के रूप में बढ़ेगी हम ऐसी आशा करते हैं.
राष्ट्रपति ने कहा कि सामान्यता लोग न्यायपालिका से मदद लेने से हिचकिताते हैं. सभी को न्याय मिले. सभी को समझ में आने वाली भाषा में निर्णय हो. महिलाओं और दबे कुचले लोगों को न्याय मिले। सभी नागरिकों का मूलभूत अधिका है कि न्याय उनकी पकड़ में हो. लोगों में न्यायपालिका के प्रति उत्साह बढ़ाना चाहिए.साथ ही लंबे समय से पड़े लंबित मामलों का निस्तारण किया जाना चाहिए.
जजों की संख्या बढ़नी चाहिए. उत्तर प्रदेश सरकार हाइकोर्ट को सभी जरूरी चीजें मुहैया करायेगी. और राज्य सरकारों के सहयोग से हाईकोर्ट आगे बढ़ेगा. इलाहाबाद हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण भूमिका अधिक है.विधि विश्वविद्यालय के लिए प्रयागराज ही सर्वोत्तम स्थान चुना गया हैं.
उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में विश्वस्तरीय विधि व्यवस्था हमारे राष्ट्र और समाज में एक है. कक्षा 12 के बाद ही विधि में छात्र हिस्सा लेते हैं. स्कूल स्तर से ही कानून के क्षेत्र में कैरियर बनाते हैं. विधि शिक्षण के सभी संस्थानों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए. व्यवस्था के निर्मित हो जाने के बाद सुधार की प्रक्रिया जटिल हो जाती है. यहां श्रेष्ठतम व्यवस्था की जाएगी। छात्राओं और शिक्षिकाओं पर जोर दिया जाना चाहिए. विश्व की श्रेष्ठतम पद्धतियों का अनुसरण इस विश्वविद्यालय में किया जाना चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि आज ही के दिन 128 वर्ष पहले शिकागो में स्वामी विवेकानंद ने भारत के गौरवशाली परंपरा का गुणगान किया था. स्वामी जी ने हर प्रकार के उत्पीड़न का विरोध किया था. उन्होने सहिष्णुता का संदेश पूरी मानवता तक पहुंचाया था. 11 सितंबर को जो कीर्तिमान स्वामी जी ने स्थापित किया था उसका अनुसरण युवा करेंगे.
राष्ट्रपति ने झलवा में बनाए जाने वाले राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी। हाईकोर्ट परिसर में आयोजित कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना भी शामिल हुए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रमन्ना ने इस दौरान कहा, ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट का इतिहास 150 साल पुराना है. 1975 में जस्टिस जे लाल सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्वाचन को रद्द करने का फैसला सुनाया था.