असली मुज़रिम नहीं मिला तो मासूम से ही ज़ुर्म कुबुलवाने लगी लखनऊ पुलिस, किया ये हाल
लखनऊ पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है. लखनऊ के तेलीबाग पुलिस चौकी इंचार्ज और तीन सिपाहियों ने मिलकर एक किशोर को चोरी कुबुलवाने के लिए तीन घंटे तक बंधक बनाकर डंडों से पीटा और अपने बूट से उसके पैर कुचल डाले.

बच्चे को मार खाता देख कर उसकी मां भी तड़प उठी और पुलिसवालों के पैर पकड़कर बेटे की जान की भीख मांगने लगी. मगर पुलिसवालों ने एक न सुनी और धमकाते हुए कहा कि बेटे से कह दो कि चोरी कुबूल कर ले, नहीं तो जेल में डाल देंगे. दरअसल मामला ये है कि पीजीआई थानाक्षेत्र की वृंदावन कॉलोनी के सेक्टर-5 निवासी राम कुमार का बेटा मनीष उर्फ छोटू ई-रिक्शा चलाता है.
मनीष ने बताया कि वो तेलीबाग के खरिका निवासी अमरेश गौतम का ई-रिक्शा चलाता था. 24 जून को ई-रिक्शा चोरी हो गया. इसके बाद अमरेश ने तेलीबाग पुलिस चौकी में इसकी शिकायत की थी. और फिर इस शिकायत पर बृहस्पतिवार शाम को तीन सिपाही रामकुमार के घर पहुंचे और मनीष को उठा ले गए. मनीष ने बताया कि तीनों सिपाही और चौकी प्रभारी ने उसे चौकी के अंदर बंधक बना कर चोरी कुबूलने का दबाव बनाने लगे. और जब उसने विरोध किया तो उसे डंडे से पीटने लगे. फिर बाद में फर्श पर लिटाकर बूट से कुचलना शुरू कर दिया.
इस पूरी घटना के बाद पीड़ित किशोर अपने मां-पिता के साथ शुक्रवार शाम वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के कैंप कार्यालय में पहुंचा. इसकी भनक लगते ही एएसपी उत्तरी और सीओ कैंट हरकत में आ गईं. आनन-फानन किशोर को सिविल अस्पताल ले जाया गया. और उसका इलाज करवाया गया. पुलिस ने कहा कि जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं इस पूरे मामले में एसएसपी कलानिधि नैथानी चुप्पी साधे रहे हैं.
अब बताइये जहां मुख्यमंत्री और डीजीपी रोजाना ये ज्ञान बाटते रहते हैं की पुलिस लोगों के प्रति अपना रवैया ठीक करे मगर पुलिस है की सुधरने का नाम ही नहीं ले रही है. पुलिस जो चाहती है वो कर सकती है. कभी किसी व्यापारी पर पिस्तौल तान सकती है. कभी किसी से भी जुर्म कुबुलवा कर मासूम को फंसा सकती है.
पुलिस की ऐसी ही हरकतें कई सवाल खड़े करती हैं. अगर ऐसा कर सकती है पुलिस तो जो एनकाउंटर होते हैं वो भी गलत हो सकते हैं. क्या पता किसी मासूम को ही अपराधी बता कर गोली मार दी हो. और रिकॉर्ड में अपराधी दिखा दिया हो. ऐसे भी सवाल अब लोगों के मन में उठने लगे हैं.