मोदी की सभा में क्यों भड़की भीड़, लात-घूंसों से पुलिसकर्मी को मार डाला
आज फिर एक भीड़ ने मिलकर पुलिसवाले की जान ले ली. गाजीपुर में पीएम मोदी की रैली थी. उसी के बाद प्रदर्शन कर रही भीड़ में मौजूद लोगों ने सिपाही को इतना मारा की उसकी जान ही चली गई. अब इसका ज़िम्मेदार कौन होगा. सरकार इस भीड़ में किन लोगों को सज़ा दिलाएगी. भीड़ का ऐसा जानलेवा प्रदर्शन आख़िर कब तक चलेगा.

बड़े ही दुर्भाग्य की बात है
वैसे ये सबसे अच्छा तरीका है किसी को मारने का. प्रदर्शन करो और पुलिस सख़्ती दिखाए तो उसे दौड़ा कर मार ही डालो. ऐसे ही 3 दिसंबर को बुलंदशहर में हुआ था. गौहत्या के शक में हिंसा भड़की और भीड़ ने मिलकर इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी. चलिए मान लीजिये वहां प्रशासन मौके पर मौजूद नहीं था. मगर यहाँ तो प्रधानमंत्री मोदी की रैली थी.
जहां प्रधानमंत्री मौजूद हों और चप्पे चप्पे पर पुलिस लगी हो वहां किसी की हत्या हो जाये इससे दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है. मोदी अपना भाषण दे कर निकले. उसके कुछ देर बाद आरक्षण की मांग को लेकर निषाद समाज के लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. इससे एकाएक कठवामोड़ पुल पर जाम लग गया. जाम को देखकर करीमुद्दीनपुर थाने की पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने लगे.
सिपाही सुरेश वत्स ने गवां दी जान
लेकिन उन पुलिसवालों को क्या पता था की आज उनमें से किसी एक का आख़िरी दिन है. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ना शुरू ही किया था कि तभी भीड़ उग्र हो गई और पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया. सभी पुलिसवाले अपनी जान बचा कर भागने लगे. मगर एक सिपाही सुरेश वत्स भीड़ की हिंसा में फंस गया और भीड़ ने उसे पीट-पीट कर इतना जख़्मी कर दिया की उसे अस्पताल ले जाते वक़्त ही उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद गाजीपुर के सीओ सिटी एमपी पाठक ने बताया कि मामले में 32 लोगों को नामजद किया गया है जबकि 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर लिखी गई है. मामले की तफ्तीश जारी है.
क्यों भड़के हुए थे प्रदर्शनकारी ?
सुरेश वत्स प्रतापगढ़ के लक्षीपुर-रानीपुर के रहने वाले थे और करीमुद्दीनपुर थाने में उनकी पोस्टिंग थी. इस हिंसा में कई पुलिस वाहनों और आम वाहनों में तोड़फोड़ भी की गई. कई वाहनों के शीशे टूटे. दरअसल निषाद पार्टी आरक्षण सहित अन्य मांगों को लेकर जिले में कई दिनों से प्रदर्शन कर रही थी. और पीएम मोदी की रैली में कोई रुकावट न आये इसलिए निषाद पार्टी के एक नेता को वहां की प्रशासन ने हिरासत में लिया था. इसी बाद को लेकर प्रदर्शनकारी और भड़के हुए थे.
सीएम योगी ने दिया 50 लाख का मुआवजा
सिपाही के मौत की खबर मिलते ही डीएम के बालाजी तथा एसपी यशवीर सिंह पहुंचे और मामले की छानबीन शुरू कर दी है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना को तुरंत संज्ञान में लेते हुए मृतक सिपाही के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा देने का ऐलान किया है. जिसमें 40 लाख उसकी पत्नी को और 10 लाख उसके माता पिता को दिए जायेंगे.
बुलंदशहर की घटना
मृतक इंस्पेक्टर सुबोध के ड्राइवर ने घटना की जानकारी देते हुए बताया था की जब मैं घायल इंस्पेक्टर सुबोध को अस्पताल ले जाने लगा तो भीड़ ने हम लोगों को दौड़ा लिया और कहने लागे ‘मारो इन सबको मारो’ फिर हम लोगों पर हमला कर दिया. किसी तरह हमलोग दिवार फांद कर अपनी जान बचा पाए. ड्राइवर ने बताया भीड़ में कुछ लोग फायरिंग भी कर रहे थे. जिससे गोली लगने से कोतवाल सुबोध और एक युवक सुमित की मौत हो गई.
कैसे गई सुमित की जान ?
वहीँ सुमित नाम के युवक ने भी अपनी जान दे दी. युवक उसी इलाके का रहने वाला था जहां हिंसा हुई. युवक का सपना था की वो यूपी पुलिस में सिपाही बने. पर शायद उसे ये नहीं पता था की ये सपना अधूरा ही रह जायेगा. सोमवार दोपहर सुमित का एक दोस्त अरविंद उसे शादी का कार्ड देने आया था. जिसके बाद सुमित उसे बाइक पर बिठा कर बस स्टैंड पर छोड़ने गया था. सामने ही चिंगरावठी पुलिस चौकी थी. उसी बीच हिंसा भड़की और उस युवक की जान चली गई.
2018 का सबसे बड़ा और दर्दनाक हादसा-
दशहरा के दिन अमृतसर में हुआ रेल हादसा कोई नहीं भूल सकता. जिसमें करीब 60 लोगों की ट्रेन से कट कर मौत हो गई थी. दशहरा के दिन रावण दहन का कार्यक्रम चल रहा था. रावण को आग लगाते वक़्त मंच से लोगो को पीछे हटने की अपील की गई थी जिसके कारण बहुत से लोग मैदान से हट कर रेलवे ट्रैक पर चले गए. भीड़ व पटाखों के शोर में किसी को रेलवे ट्रैक पर आती हुई ट्रैन की आवाज़ सुनाई ही नहीं दी. और जबतक लोगों ने देखा तबतक ट्रेन उन सभी को रौंदती हुई निकल गई. और उसके तुरंत बाद दूसरी ट्रेन भी गुजर गई.