पौष पूर्णिमा: दूसरा बड़ा ‘शाही स्नान’ पर्व, लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी, जानिए इसका महत्व

आज पौष पूर्णिमा है और प्रयागराज कुंभ में दूसरा बड़ा शाही स्नान पर्व है. स्नान, दान और जप-तप की पौष पूर्णिमा का व्रत-पूजन रविवार से ही शुरू हो चुका है, मगर स्नान-दान आज सोमवार को ही करना पुण्यकारी है माना जाता है. इसलिए शाही स्नान के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आज आस्था की डुबकी लगाई.

paush purnima seccond kumbh snan start in prayagraj
paush purnima seccond kumbh snan

संगम पर स्नान करने के लिए लोग कल रात से ही प्रयागराज में पहुंचे थे. और आज तड़के सुबह ही पौष पूर्णिमा में लोगों ने नदी में डुबकी लगानी शुरू कर दी थी. और 12 बजे तक लगभग 40 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई. कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि भीड़ बढ़ती ही जा रही है. उम्मीद है कि शाम तक 60 लाख लोग त्रिवेणी स्नान करेंगे.

आज ही के दिन से संगम में शाही स्नान के साथ-साथ त्याग-तपस्या का प्रतीक कल्पवास भी आरंभ हो रहा है. जिसमें देशभर के गृहस्थ संगम तीरे टेंट में रहकर माहभर भजन-कीर्तन करना शुरू करेंगे. मोक्ष की आस में संतों के सानिध्य में समय व्यतीत करेंगे. सुख-सुविधाओं का त्याग करके दिन में एक बार भोजन व तीन बार गंगा स्नान करके तपस्वी का जीवन व्यतीत करेंगे. कल्पवासी स्नान और दान कर पुण्य कमाते हैं.

इसके लिए कल रात से ही वाहनों पर गृहस्थी के सामान के साथ तुलसी के पौधे, कांसा लेकर बड़ी तादाद में कल्पवासी और श्रद्धालु कुंभनगर के शिविरों में पहुंच रहे हैं. जगह-जगह यज्ञ, जप, ध्यान और वेद मंत्रों के साथ हवन, पूजन का सिलसिला तेज हो गया है.

आज संगम तट पर 35 देश के नागरिक गाजे-बाजे और जयकारे लगाते हुए घाट पर पहुंचे और हर-हर गंगे बोलते हुए पुण्य की डुबकी लगाई. बतादें तीसरा शाही स्नाना मौनी अमावस्या 4 फरवरी 2019 को होगा. पौष पूर्णिमा से ही माघ माह भी आरंभ हो जाएगा, जो कि 19 फरवरी तक रहेगा.

दीन-दुनिया से अमूमन दूर तप-साधना में लीन रहने वाले नागा साधुओं का जीवन एक आम आदमी के मुकाबले कितना कठिन होता है, इस मेले में पहुंचने पर अनुभव होता है. कुंभ में जब शंकराचार्य की सेना अपने आराध्य संग डुबकी लगाने पहुंचती है तो कुंभ मेले की रौनक बढ़ जाती है. दुनिया के सबसे बड़े कुंभ मेले जैसा धार्मिक-आध्यात्मिक अनुभव शायद ही कहीं मिले.

कुंभ की खास बातें
  1. 45 वर्ग किमी में कुंभ मेला
  2. 600 रसोईघर
  3. 48 मिल्क बूथ
  4. 200 एटीएम
  5. 4 हजार हॉट स्पॉट
  6. 1.20 लाख बायो टॉयलेट
  7. 800 स्पेशल ट्रेनें चलाईं
  8. 300 किमी रोड बनी
  9. 40 हजार एलईडी
  10. 5 लाख गाड़ियों के लिए पार्किंग एरिया
प्रमुख स्नान

प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर हर व्यक्ति अपने समस्त पापों को धो डालता है. स्वयं को और अपने पूर्वजों को पुनर्जन्म के चक्र से अवमुक्त कर देता है. फिर मोक्ष को प्राप्त हो जाता है.

पहला स्नान: मकर संक्रांति 15 जनवरी (माघ मास का प्रथम दिन, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है)

दूसरा स्नान: पौष पूर्णिमा-21 जनवरी, इस दिन पूर्ण चन्द्र निकलता है. और इसी दिन से कुम्भ मेला की अनौपचारिक शुरूआत कर दी जाती है.

तीसरा स्नान: मौनी अमावस्या-4 फरवरी, इस दिन ग्रहों की स्थिति पवित्र नदी में स्नान करने वालों के लिए सर्वाधिक अनुकूल होती है.

चौथा स्नान: बसंत पंचमी-10 फरवरी, विद्या की देवी सरस्वती का दिवस ऋतु परिवर्तन का संकेत माना जाता है.

पांचवा स्नान: माघी पूर्णिमा-19 फरवरी, ये दिन गुरू बृहस्पति की पूजा से जुड़ा होता है.

छठां स्नान: महाशिवरात्रि-4 मार्च, ये अन्तिम स्नान है. तो भगवान शंकर से जुड़ा है. यहाँ आने वाला हर श्रद्धालु शिवरात्रि के व्रत और संगम स्नान से वंचित नहीं होना चाहता. मानना है की देवलोक के देवता भी इस दिन का इंतजार करते हैं.

team ultachasmauc

We are team pragya mishra..we are team ulta chasma uc..we are known for telling true news in an entertaining manner..we do public reporting..pragya mishra ji is public reporter..