तीन तलाक़ बिल पेश होते ही ओवैसी ने बोला हमला, कहा- आपको मुस्लिम महिलाओं से मोहब्बत है

लोकसभा में आज शुक्रवार को तीसरी बार तीन तलाक विधेयक पेश किया गया है. केंद्रीय कानून और विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से विधेयक को संसद में पेश करने की अनुमति मांगी. लेकिन इसपर बवाल हो गया.

parliament session triple talaq bill shashi tharoor and owaisi comment
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17वीं लोकसभा के पहले सत्र का आज पांचवां दिन है. तीन तलाक विधेयक के पेश होते ही वोटिंग कराई गई. जिसके बाद इस बिल को 186 मत मिले हैं. और विरोध में 74 वोट पड़े. रविशंकर ने सदन से अपील किया कि आज 70 साल तक ऐसा कानून क्यों नहीं बना. आज भी मुस्लिम महिलाओं के साथ ऐसा हो रहा है. 229 मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आये है, इसीलिए इसे पास किया जाए.

उन्होंने कहा कि शायरा बानो के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने माना की ट्रिपल तलाक़ मनमाना है. आर्टिकल 15(3) कहता है कि महिला और बच्चों के लिए कोई भी कानून बनाया जा सकता है. हम संसद हैं कानून बनाना हमारा काम है. अदालत का काम है कानून को इन्टरप्रेट करना. संसद को अदालत मत बनाइये.

पिछले साल दिसंबर में लोकसभा में बिल पास हुआ था. लेकिन राज्यसभा में बिल पेंडिंग था. और अभी मई के आखिर में लोकसभा भंग होने के चलते बिल खत्म हो गया. इसलिए हम नया बिल लेकर आए हैं. नए बिल में सुधार के लिए बदलाव किया है. जनता ने हमें कानून बनाने के लिए चुना है. भारत का अपना एक संविधान है. हम किसी भी महिला को तलाक, तलाक, तलाक बोलकर उसके अधिकारों से वंचित नहीं कर सकते हैं.

तिरवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने विरोध जताते हुए सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि ये बिल केवल मुस्लिम महिलाओं पर क्यों केंद्रित है. मुस्लिम महिलाओं की दशा सुधारने के लिए इस विधेयक में ऐसा कुछ नहीं है. बिल में प्रक्रियात्मक सुरक्षा नहीं है और इसका दुरुपयोग किया जा सकता है इस बिल को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए.

ओवैसी ने विरोध जताते हुए कहा कि ये Article 14 और 15 का उल्लंघन है. अगर कोई गैर मुस्लिम पति होगा तो उसे 1 साल की सज़ा, और मुस्लिम को 3 साल की सज़ा ? अगर 3 साल जेल में पति चला जाएगा तो गुजारा भत्ता कौन देगा ? आपको (सरकार को) मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है, केरल की हिन्दू महिलाओं से क्यो नहीं ?

इस बिल के मुताबिक आरोपी को पुलिस जमानत नहीं दे सकेगी. लेकिन मजिस्ट्रेट पीड़ित पत्नी का पक्ष सुनने के बाद सही वजहों के आधार पर जमानत दे सकते हैं. मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच सुलह कराकर शादी बरकरार रखने का भी अधिकार होगा. मुकदमे का फैसला होने तक बच्चा मां के संरक्षण में ही रहेगा. आरोपी को उसका भी गुजारा देना होगा. तीन तलाक का अपराध सिर्फ तभी संज्ञेय होगा जब पीड़ित पत्नी या उसके परिवार मतलब मायके या ससुराल के सदस्य एफआईआर दर्ज कराएं.

रविशंकर प्रसाद ने कहा, ये बहुत तकलीफ की बात है कि कांग्रेस ने तीन तलाक विधेयक का विरोध किया है. ओवैसी तीन तलाक का विरोध करे समझ आता है लेकिन आज पूरी कांग्रेस विरोध कर रही है क्यों? आज कांग्रेस ओवैसी की तरफ खड़ी है. कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी जी हैं इसके बावजूद पार्टी महिला विरोधी रवैया अपना रही है.