रिपोर्ट लीक:- मोदी सरकार में बड़ी संख्या में लोग हुए बेरोज़गार, नहीं मिली नौकरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की थी जो देश के लिए बहुत बड़ा फैसला था. जिसके बाद से देश में जैसे हाहाकार मच गया था. सभी विपक्षी पार्टियां बीजेपी पर आरोप लगा रहीं थीं की मोदी ने नोटबंदी करके देश में बेरोज़गारी पैदा कर दी है. सभी कारोबारियों के कामकाज ठप हो गए हैं.

जिसके बाद देश में बेरोज़गारी को लेकर नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) ने सर्वे किया था. ये सर्वे नोटबंदी के बाद 2017-18 में किया गया. जिसकी रिपोर्ट लीक हो गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1% के स्तर पर पहुंच गई है. 2017-18 में बेरोजगारी दर ग्रामीण क्षेत्रों में 5.3% और शहरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7.8% रही. इनमें नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13% से 27% थी. वहीँ अगर देखा जाये तो 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2% थी. यानी ये साफ़ है की मोदी सरकार में सबसे ज्यादा लोग बेरोज़गार हुए और नौकरी भी नहीं दी गई.
बेरोजगारी के आंकड़े लीक होने के बाद उसपर विवाद बढ़ा और उसी विवाद के चलते राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) के कार्यकारी चेयरमैन और सदस्य ने बीते सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. साथ ही उन्होंने आरोप भी लगाया कि आयोग से मंजूरी मिलने के बाद भी मोदी सरकार ने सर्वे अटका रखा है. और रोजगार पर एनएससी के आंकड़े जारी नहीं करने के विरोध में उन्होंने इस्तीफा दिया है.
अब सरकार के खिलाफ कोई मुद्दा हो तो भला विपक्ष क्यों पीछे रह जाये. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक अखबार की रिपोर्ट शेयर करते हुए ट्वीट किया, ”हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया गया था. 5 साल बाद रोजगार से जुड़ी रिपोर्ट लीक हुई, इसमें राष्ट्रीय आपदा का पता चला. बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई. #हाउ इज द जॉब्स”
NoMo Jobs!
The Fuhrer promised us 2 Cr jobs a year. 5 years later, his leaked job creation report card reveals a National Disaster.
Unemployment is at its highest in 45 yrs.
6.5 Cr youth are jobless in 2017-18 alone.
Time for NoMo2Go. #HowsTheJobs pic.twitter.com/nbX4iYmsiZ
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 31, 2019
लेकिन कल गुरुवार को नीति आयोग ने लीक हुए इन आंकड़ों को अपुष्ट बताते हुए सिरे से नकार दिया. आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने जानकारी देते हुए बताय कि अभी रिपोर्ट तैयार की जा रही है. ये आंकड़े सरकार ने जारी नहीं किए हैं. रिपोर्ट के तैयार होते ही केंद्र सरकार इन आंकड़ों को सार्वजनिक करेगी. अब डाटा जुटाने की प्रक्रिया पहले से अलग है. जुलाई 2017 से जुलाई 2018 तक की रिपोर्ट तैयार है. लेकिन वर्ष 2018 के सितम्बर से लेकर दिसंबर तक के डाटा अभी संग्रहित किये गए हैं. अभी उनका विश्लेषण होगा फिर फ़ाइनल रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसलिए इसे अंतिम नहीं माना जाए.
मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री कांत ने रोजगार के आंकड़ों की जानकारी देते हुये कहा कि मार्च 2018 तक एक वर्ष 78 लाख रोजगार सृजित हुये हैं. हालांकि गुणवत्ता वाले रोजगार के अवसर कम सृजित हो रहे रहे हैं. ओला और उबर जैसे प्लेटफार्म का उल्लेख करते हुये कहा कि सिर्फ परिवहन क्षेत्र में पिछले चार वर्ष में रोजगाार में भारी बढोतरी हुयी है. दोनों प्लेटफार्म से करीब 32 लाख से अधिक लोग जुड़े हुये हैं.