स्वास्थ्य के मामले में ‘बिहार’ के साथ ‘UP’ भी फिसड्डी, नीति आयोग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य को लेकर एक बड़ी ख़बर सामने आ रही है. नीति आयोग की रिपोर्ट से एक बड़ा खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य के मोर्चे पर बिहार और यूपी दोनों फिसड्डी साबित हुई हैं. उत्तराखंड और ओडिशा पहले से और ज्यादा फिसड्डी हो गई हैं.

niti ayog Revealed report acute encephalitis syndrome in bihar
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नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 21 बड़े राज्यों की सूची में बिहार 21वें स्थान पर, उत्तर प्रदेश 20वें, उत्तराखंड 19वें स्थान पर और ओडिशा 18वें स्थान पर बना हुआ है. लेकिन आयोग की रिपोर्ट को कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ सिंह ने ख़ारिज कर दिया उन्होंने कहा कि ये 2017 की रिपोर्ट है जिसमें नीति आयोग ने रिपोर्ट पेश की थी. उस समय मेरी सरकार बनी थी, 4 साल हो गए हैं थोड़ा समय लगेगा स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठीक हो जाएंगी, साफ सफाई सबसे खास माना जाता है.

बतादें इस समय बिहार में स्वास्थ्य को लेकर भयंकर समस्या है. बिहार के मुजफ्फरपुर में इन दिनों इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) नाम की बीमारी बच्चों पर कहर बनकर टूट पड़ी है. बीते एक महीने में एईएस से अबतक 170 बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में मरने वाले मासूमों की संख्या 128 हो गई है. और केजरीवाल अस्पताल में 20 लोगों की मौत हुई है. इस बीमारी से अबतक 500 से ज्यादा बच्चे प्रभावित हुए हैं.

उधर बिहार के मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) सूर्यकांत तिवारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए हैं. दरअसल एक लापरवाही का मामला सामने आया था. जो बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण मरने वाले बच्चों से संबंधित है. उसी को देखते हुए ये आदेश दिया गया है.

वहीं सरकार ने भी कदम उठाने शुरू कर दिए हैं. इस बीमारी से निपटने के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बीते शुक्रवार को बिहार के सभी 17 भाजपा सांसदों द्वारा अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए 25-25 लाख रुपये दान करने की घोषणा की थी. इस राशि से उन क्षेत्रों के सदर अस्पतालों में पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) का निर्माण किया जाएगा.