चुनाव खत्म राशन खत्म मुर्गी पाली है तो भी राशन नहीं मिलेगा..

दुनिया एक बाजार है और दुनिया के बाजार में जिसकी जितनी हैसियत या उपयोगिता होती है…उसे उतने दाम में खरीदा या बेचा जाता है..इस बाजार में.कोई नमक में बिक सकता है..कोई राशन (Election is over, Ration is over) में बिक सकता है..कोई शराब में बिक सकता है..कोई कम पैसे से मैनेज हो सकता है..कोई ज्यादा पैसे से मैनज होता है..कोई पद से मैनेज होता है..बाजार और राजनीति दोनों का उसूल तो यही है..है कि नहीं है..तो फिर अब जब राशन (Election is over, Ration is over) बंद हो रहा है तो इतनी चिल्लम चिल्ली क्यों है..चुनाव से पहले सबसे बड़ा मुद्दा था राशन..राशन पर वोट मांगे भी गए और वोट दिए भी गए..सरकार गर्व से कहती थी कि हम 80 करोड़ लोगों को फ्री राशन देकर पाल रहे हैं..कोई आपको फ्री में क्यों खिलाएगा बुद्धि लगाईये.. मोदी जी ने तो चुनाव में नमक का कर्ज अदा करने की भी बात कह दी थी..
महीने में दो बार राशन (Election is over, Ration is over) मिलता है..चुनाव के बाद अब कहा जा रहा है कि जिन लोगों के नाम पर जमीन है..जिनका पक्का मकान है.. जिनके पास भैंस है..जिनके घरों में बिजली है..ट्रैक्टर ट्रॉली है..जो मुर्गी पालता है..गाए पालता है..सरकार की तरफ से कोई पेंशन लेता है..जीवन चलाने के लिए किसी भी तरह का कोई रोजगार करता है..और 2 लाख रूपए साल के कमाता है उसको सरकारी फ्री वाला राशन नहीं मिलेगा..
इस फ्री राशन इलिजिबिलिटि टेस्ट में पास होना असंभव है…सरकार की इन शर्तों पर वही खरा उतर पाएगा..जो केवल नाम के लिए जिंदा हो..अगर आपके पास आजीविका के लिए कोई भी साधन है तो आप फ्री राशन के लिए पात्र नहीं हैं..गांवों में कोई विधवा पेंशन लेता होगा..कोई वृद्धा वस्था पेशन लेता होगा..लेकिन अगर कोई किसी भी तरह का कोई भी सरकारी पैसा ले रहा है तो उसे सरकारी राशन नहीं मिलेगा..
यानी फ्री वाला सरकारी राशन लेने के लिए अब आपको प्रोगैतिहासिक मानव बनना पड़ेगा..जो लोग प्रोगैतिहासित क्या होता है नहीं जानते उनको क्या कहें उनसे राशन तो क्या सांस लेने का भी अधिकार नहीं है..सरकार कहती है हमने हर घर बिजली पहुंचा दी..अगर हर घर बिजली पहुंचा दी है..तो फिर बिजली जलाने वालों की पेट की आग बुझाने के लिए अब सरकार तैयार नहीं है..अब आपको राशन कार्ड (Election is over, Ration is over) सरेंडर करना पड़ेगा..सरकार ने चेतावनी दे दी है..अगर आपका पक्का घर पाया गया..और पक्का घर होने के बावजूद राशन लेते पाए गए..तो जितना राशन आपने लिया है तो उसकी वसूली बाजार भाव से की जाएगी..चावल 32 रूपए में गेहूं 24 रूपए किलो के भाव से वसूला जाएगा..
ऐसा नहीं है कि पक्के घर वाले लोग अचानक से अमीर हो गए हैं..गाय पालने वाले अचानक लखपति हो गए..मुर्गी पालने वालों की मुर्गिंयां अचानक सोने के अंडे देने लगीं..जिनके नाम जमीन है..उनकी जमीनों ने सोना उगलना शुरू कर दिया है..सब कुछ वैसा ही है जैसा पहले था..लेकिन बदला सिर्फ इतना है कि पहले चुनाव था अब चुनाव नहीं है..सरकार सब जानती है..अपने मतलब के लिए अपने फायदे के लिए सरकारें इस तरह की चालें तलती हैं..दोस्तों भारतीय वोटर राशन (Election is over, Ration is over) मात्र से बिक सकता है..इसलिए सरकार ने उनकी कीमत राशन से लगाई..सरकार को दोष मत दीजिए अपनी हैसियत बढ़ाईये बिकाना ही है तो..राशन पर क्यों बिकिए सामने वाले को आपकी ठीक कीमत लगाने दीजिए..
यहां पर एकतरफा बात नहीं होती है..दोनों तरफ की पूरी बात जानने का आपका अधिकार है..अब तक आपको दो तरह का राशन मिल रहा होगा…एक कम दाम वाला..दूसरा बिल्कुल फ्री..ये दो तरह का राशन महीने में दो बार मिलता है..सरकार ने ऐसा नहीं कहा है कि केवल कोरोना के समय से राशन कार्ड (Election is over, Ration is over) बनवाने वालों को ही राशन कार्ड सरेंडर करना है..सरकार ने बिल्कुल साफ और क्लियर कहा है कि जिन लोगों के पास पक्का घर..बिजली..कमाई का साधन..जमीन..चार पहिया वगैरह है वो राशन कार्ड सरेंडर कर दें..वर्ना बाजार भाव से वसूली की जाएगी..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.