थैंक्स कहना मैं जिंदा वापस लौट पाया.. (Narendra Modi ) PM की सुरक्षा का बारीक विश्लेषण: संपादकीय व्यंग्य

मैं जिदा वापस लौट पाया.. (Narendra Modi) नाम से निर्देशकों को फिल्म बनानी चाहिए..मैं जिंदा लौट पाया नाम से किताबें लिखी जानी चाहिए..टाइगर जिंदा है के बाद..मैं जिंदा लौट पाया नाम से उसका तीसरा पार्ट जल्दी ही बना देना चाहिए..इससे पहले की वोटिंग की तारीखें आ जाएं..लेखक कई और कहानियां लिखकर तैयार कर दे..उससे पहले इस कहानी पर पर फिल्म बना लेनी चाहिए…जैसे ही मैं जिंदा वापस लौट पाया..नाम का जुमला हवाओं में तैरना शुरु हुआ..वैसे मैं जिदा लौट पाया को बीजेपी ने इवेंट बना दिया..
प्रधानमंत्री(Narendra Modi)की सुरक्षा के लिए बीजेपी देशभर में ऐसे पूजा पाठ करने लगी..ऐसा माहौल बनाने लगी जैसे..कोई अनहोनी घटित हो गई हो..इस इवेंट में सबसे उव्वल उन बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री रहे..जिनके राज्यों में चुनाव हैं..मैं उस वक्त बनारस में थी..काशी कॉरिडोर का जायजा लेने गई थी..अचानक से हलचल हुई पता चला योगी जी आ रहे हैं..पता किया तो पता चला कि मोदी जी की लंबी उम्र के लिए बाबा विश्वनाथ की पूजा अर्चना करने आ रहे हैं…लंबी उम्र कहते ही ऐसा लगता है जैसे मोदी जी किसी भयानक संकट में फंसे हुए हों..विपक्ष इसे भावात्मक लहर पैदा करने की कोशिश कहता है..लेकिन मैं पर्सनली इससे इत्तफाक नहीं रखती.
.क्योंकि मेरा मानना है कि अगर देश के प्रधानमंत्री (Narendra Modi) पंजाब से जिंदा वापस लौट आने की बात कह रहे हैं तो ये नौटंकी नहीं हो सकती..प्रधानमंत्री जब भी जो भी कहते हैं..बहुत ही जिम्मेदारी से कहते हैं..वो टाइमिंग का ध्यान रखकर बात करके प्रधानमंत्री नहीं हैं..मैं जिंदा वापस लौट पाया..ये बहुत बड़ा शब्द है..ये तब इस्तेमाल किया जाता है जब कोई गोलियों की बौछार के बीच से बचकर निकल आया हो..हमारे देश में ये शब्द तब इस्तेमाल किया जाता है जब को मौत के मुंह में फंसा हो.पुल का रास्ता आगे से ब्लॉक था..
प्रदर्शन कारी प्रदर्शन कर रहे थे..मोदी जी जाम में फंसे रहे..फिर वापस लौट आए..इसे जिंदा वापस लौटना नहीं कहते..इसे वापस लौट आना कहते हैं..लेकिन प्रधानमंत्री (Narendra Modi) का रास्ता प्रदर्शनकारियों ने रोक लिया ये छोटी बात भी नहीं है..लेकिन अगर कहीं कोई छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं..तो कोई ना सरकारी खामी तो होगी ही..अगर किसान कर रहे थे..तो कोई ना कोई सरकारी सरकारी नाकामी जरूर होगी..सरकारें जनता की बातें आराम से सुन लें तो भारत देश में किसी को प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी..खैर मैं प्रदर्शनों में नहीं उलझूंगी..वर्ना लकनऊ की विधानसभा पर लोग प्रदर्शन होते हैं..रोज रास्ता बंद रहता है..ऐसे में मुझे रोज लिखना पड़ेगा कि मैं जिंदा वापस लौट पाई..
खैर मोदी जी ने जो कहा वो सामान्य शब्द नहीं नहीं..जिंदा वापस पाया..ये एक बहुत भारी शब्द है..जो मोदी जी ने प्रदर्शनकारियों के जाम में फंस जाने के बाद..रैली में ना जाने पर खर्च कर दिए..इतने भारी शब्द जाम में फंसने पर खर्च हुए..जिसने इस घटना को हल्का बना दिया..मैं फिर कहती हूं..प्रधानमंत्री (Narendra Modi) की सुरक्षा बहुत बड़ा मुद्दा है..और बहुत सीरियस इशू है..लेकिन क्या कभी आपने देखा है कि सिक्योरिटी एजेंसीज कभी इस तरह से सिक्योरिटी लैप्स पर मीडियाबाजी करती हैं..नहीं करतीं लेकिन नेता लोगों का जिस बात से फायदा होता है वो बात करने में एक पल भी नहीं सोचते..
मोदी जी (Narendra Modi) की जिंदा आ गया वाली बात से एक सहानुभूति टाइप का एहसास बिना कहे निकलता है..इवेंट की डिजाइनिंग ऐसे की गई जिससे पैनिक जैसा लगे..ऐसा दिखाने की कोशिशें की गईं कि ना जाने क्या हो जाता..ये भी हो सकता था..वो भी हो सकता था..मीडिया में जिंदा वापस लौट पाया वाली लाइन..बड़े बडे़ अक्षरो में लिखी जा रही थी…इस लाइन से ऐसा लगता है कि कोई मौत के मुंह में फंसा हुआ था..और बहुत मुश्किल से जिंदा वापस लौट पाया है..यूपी के मुख्यमंत्री 4 लाख खर्च करके..लखनऊ से बनारस पूजा करने पहुंच गए..इससे लोगों को पता चला नहीं मामला हल्का नहीं..ज्यादा सीरियस है..मोदी जी की सुरक्षा पर वाकई संकट आ गया था..
जिस अधिकारी से मोदी (Narendra Modi) ने कहा था कि अपने सीएम चन्नी को थैक्स कह देना कि मैं जिंदा वापस लौट पाया मीडिया ने उसे नहीं खोजा..क्योंकि उसे खोजना ही नहीं है..मोदी जी का चन्नी के किसी अधिकारी से जिंदा लौट पाने वाली बात और मोदी जी का रैली में ना पहुंच पाना दोनों अलग अलग बातें हैं..ऐसा नहीं है कि मोदी जी पहली बार किसी रैली में नहीं पहुंच पाए हैं..ऐसे कई उदाहरण हैं..जिसमें मोदी जी ने फोन से रैली को संबोधित किया है..रैली में करोड़ों खर्च होते हैं..जनता अपना समय खर्च करके आती है..
तो मोदी (Narendra Modi) जी फोन से लोगों को संबोधित करते हैं..ऐसा पहले भी किया गया है..मोदी जी ने ही किया है..लेकिन इस बार मोदी जी ने ऐसा नहीं किया..फोन से लोगों को संबोधित क्यों नहीं किया..क्योंकि रैली में संबोधित करने लायक भीड़ ही नहीं थी..और मोदी जी 7-8 हजार लोगों की भीड़ को संबोधित करें ऐसे बुरे दिन अभी मोदी जी के नहीं आए हैं..फोन से संबोधित ना करने का ये कारण हो सकता है..और रैली में ना जा पाने का कारण आप जानते हैं..गोदी मिडिया की तो छोड़ ही दीजिए उन्होंने हया शर्म सब बेच खाई है..वो पंजाबी भाषा और तू तड़ाक में अंतर नहीं कर पा रहे हैं..चन्नी के इस भाषण को भारत का नंबर वन न्यूज चैनल असंसदीय बताता है..
किसानों के प्रदर्शन की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) पंजाब में रैली करने नहीं जा पाए..एक पुल पर रुकी हुई मोदी जी के काफिले को दिखाया जाता है..कई एंगल से कई वीडियो टहल रहे हैं लेकिन किसी भी विडियो में ऐसा नहीं है कि कोई मोदी जी के काफिले को नुकसान पहुंचा रहा हो..वीडियो में दिख रहा है कि किसानों का प्रदर्शन चल रहा है और रोड जाम है..बीजेपी के कुछ लोग हाथों में झंडा लिए जिंदाबाद के नारे लगाते हुए भी दिखाई देते हैं जो काफिले के पास तक आ जाते हैं.
.एसपीजी..यानी स्पेशल प्रोटक्शन फोर्स खड़ी हुई दिखाई देती है..बीजेपी जिंदाबाद का नारा लगाते हुए लोग बीजेपी के ही थे..इसमें कोई शक शुभा नहीं है..क्योंकि बीजेपी के इस कर्मठ कार्यकर्ता को देखिए..यहां भी देखिए..और इधर भी देखिए..जब प्रधानमंत्री (Narendra Modi) का रूट इतना गुप्त होता है कि किसानों को नहीं मालूम हो सकता..तो इतना तो गुप्त होता होगा कि बीजेपी के कार्यकर्ताओं को भी नहीं मालूम होता होगा..ऐसा हम मानकर चलते हैं..लेकिन इन कार्यकर्ताओं को किसने बताया कि मोदी जी इस पुल से निकलेंगे..और झंडा लेकर चलना है..ये आरोप नहीं हैं..सवाल हैं..
पुल पर देश की टॉप क्लॉस सुरक्षा के साथ रुके हुए काफिले में खड़े मोदी जी की सुरक्षा में सेंध एक बार नहीं लगी दर्जनों बार ऐसा हुआ है कि मोदी जी (Narendra Modi) ने..माफ कीजिएगा देश के प्रधानमंत्री जी ने सुरक्षा वाले प्रोटोकॉल को ध्वस्त किया है..कभी गुजरात वाले सी प्लेन में डीजीसीए की आपत्ति के बाद भी बैठना..कभी मोदी जी बनारस की गली में कार्यकर्ता से पगड़ी पहनना..2017 में मोदी जी बनारस दौरे पर थे..लंका गेट पर कुछ लड़कियां लंका गेट पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ प्रदर्शन करने लगी थीं..पुलिस भी नहीं रोक पाई थी..बाबतपुर एयरपोर्ट जाकर मोदी जी ने कभी नहीं कहा कि योगी जी को शुक्रिया कह देना मैं जिंदा लौट आया हूं…जहां आपकी सरकार है..वहां मोदी जी प्रधानमंत्री बनकर बर्दाश्त कर लेते हैं…जहां दूसरे की सरकार होती है..वहां..जिंदा वापस लौट पाने के लिए धन्यवाद कहे जाते हैं..
अब आप ये फर्जी सवाल बिल्कुल मत करिएगा कि प्रधानमंत्री किसी पार्टी का नहीं होता प्रधानमंत्री (Narendra Modi) देश का होता है..अगर आप ये कहेंगे..तो सवाल ये भी उठता है कि तो फिर भारत देश के प्रधानमंत्री किसी पार्टी का प्रचार क्यों करते हैं..ये सबके लिए है..भारत के प्रधानमंत्रियों में पता ही नहीं लगता कब प्रचारक होते हैं कब प्रधानमंत्री बन जाते हैं..भारत में चित भी मेरी पट भी मेरी और सिक्का मेरे बाप का वाला खेल चलता है..किसी एक पार्टी की बात नहीं है..हमारे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में जो कथित चूक हुई..उसमें पंजाब पुलिस की जितनी गलती थी..उतनी ही गलती अमित शाह जी के गृह मंत्रालय की भी है..एसपीजी पहले प्रधानमत्री के रूट का जायजा लेती है..अगर एपसपीजी को लगता है कि रूट ठीक है तभी प्रधानमंत्री को जाने की इजाजतत देती है..
क्या इससे पहले एसपीजी ने सुरक्षा के लिहाज से प्रधानमंत्रियों के दौरै कैंसिल नहीं किए किए हैं..लेकिन ये एसपीजेपी का ऐसा कौन सा अधिकारी था..जिसने 140 किमी की यात्रा हमारे देश के प्रधानमंत्री (Narendra Modi) को सड़क मार्ग से करने की इजाजत दे दी..और उसका भी क्लियरेंस कुछ ही घंटों में हो गया..जिस देश में हर मौसम में उड़ान भर सकने वाला mi71 हेलीकॉप्टर उड़ान नहीं भर सका..मौसम इतना खराब था..उसी देश में उसी खराब मौसम में सड़क से प्रधानमंत्री को 140 किमी सड़क से ले जाने का फैसला ले लिया गया..140 किमी का मतलब जानते हैं आप भारत में 140 किमी तय करने में..कम से कम ढाई घंटे चाहिए. और वो भी ये फैसला वहां लिया गया जहां से पाकिस्तान का बॉर्डर 20 किमी की दूरी पर ही है..सुप्रीम कोर्ट ने एक जांच आयोग बना दिया है..जो इसकी जांच करेगा..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.