ये है नमाज ना पढ़ने देने की सच्चाई राजनीति का शिकार नहीं..समझदार बनिए: संपादकीय व्यंग्य

क्या भारत देश का गुरुग्राम भरत देश के गृह मंत्रालय की दूरबीन की रेंज में आता है..या फिर नए भारत की दूरबीन सलेक्टिव लोगों को ही देखती है..दिल्ली से मात्र 42 किमी की दूरी पर गुरुग्राम है..सड़क के किनारे नमाज पढ़ते ये लोग धर्म से मुस्लिम हैं..और नागरिकता के हिसाब से भारतीय हैं..ये लोग सद्बुद्धि और शांति की दुआ पढ़ रहे हैं..क्या आपको इन लोगों की दुआओं से या इनके बैठने के तरीके से..या इनके इबादत के तरीके में कुछ ऐसा दिखाई देता है..सुनाई देता है..जिससे ये लगे कि हमारे देश को इनकी नमाज से कोई खतरा है..या समाज इनकी इबादत से गलत रास्ते पर मुड़ जाएगा..
आप वीडियो देखकर बहुत शांति से कमेंट में उत्तर दीजिएगा..आपा खोने की जरूरत नहीं है..मैं गोदी मीडिया की एंकर नहीं हूं..ना ही आग लगाना मेरा काम है..मेरे लिए कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पग पग भारत भूमि मेरी है..सभी धर्मों के लोगों को संगठिक करके रखने का मेरा कर्तव्य है..मैं ब्राह्मण कुल में जन्मी हूं..मुझे हिंदू धर्म के बारे में कोई सिखा नहीं सकता..कर्म से पत्रकार हूं इसलिए अच्छे बुरे के बीच मुझे कोई बहका नहीं सकता..न्याय की बात कहती हूं..गुरुग्राम में लोगों को ये पसंद नहीं है कि मुस्लिम लोग खुले में नमाज पढ़ें..ठीक है..रास्ते में इबादत किसी भी धर्म में नहीं करनी चाहिए..
ना जगराते होने चाहिए..ना नमाज होनी चाहिए..हम भारत वासियों में धार्मिक आस्थाएं बहुत पवित्र हैं..इसलिस सरकार को ऐसी व्यवस्था करानी चाहिए जिससे किसी श्रद्धालु को सड़क पर बैठकर ईश्वर को ना याद करना पड़े..किसी को सड़क पर बैठकर इबादत करने का शौक नहीं है..या किसी को सड़क पर जगराता करने का शौक होता है…जब सरकारें निकम्मी होती हैं..तब जनता को लगता है कि सड़क ही विकास का आखिरी पैमाना है तब देश में सड़क..क्रिकेट खेलने के लिए भी इस्तेमाल होती है..चलते के लिए भी..जानवर बांधने के लिए भी..दौड़ कराने के लिए भी..जहाज उतारने के लिए भी..प्रदर्शन करने के लिए भी..और अनाज सुखाने के लिए भी..
दोस्तों गुरुग्राम वो जगह है जहां पर युधिष्ठिर ने अपने ग्ररू द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणी दी थी..खैर वो जमाना गुरुओं का था अब गुरूघंटालों का है..जिस जगह पर मुस्लिम लोग नमाज पढ़ रहे हैं..इस जगह पर प्रशासन ने मतलब सरकार ने खुद इजाजत दी है कि इस मैदान पर नमाज पढ़ी जा सकती है..स्कूलों के पास दारू के ठेके खुल जाते हैं..किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगता..मंदिरों के पास शराब बिकती है..किसी के कान पर जूं नहीं रेंगता..10 मिनट की नमाज से किन लोगों के पेट में दर्द हो रही है और क्यों हो रही वो भी मैं आपको इसी विडियो में बताने वाली हूं..
दोस्तों सबको सम्मान देने वाले सबको साथ लेकर चलने वाले..सब धर्मों से कुछ ना कुछ सीखने वाले अपनाने वाले हिंदू धर्म से बड़ा दुनिया का कोई धर्म नहीं हो सकता..लेकिन भारत देश में हिंदू मुसलमान को लड़ाने का नेताओं के पास सुपरहिट फार्मूला है..हिंदू मुसलमान को आपस में लड़ा दो..फिर हिंदू का वोट ले लो..पांच साल तक कभी उसी हिंदू पर मंत्री के लड़के से गाड़ी चढ़वाओ..कभी उसी हिंदू पर लाठियां चलवाओ..कभी उसी हिंदू को आतंकी बताओ..
कभी उन्हीं हिंदूओं के लड़कों को बेरोजगारी की आग में जलाओ..कभी उन्हीं हिंदुओं के पेपरलीक करवाओ..जैसे ही चुनाव आए…वैसे ही हिंदुओं को मुसलमानों से डराओ..भारत देश की राजनीति में एक खासियत है..जैसे ही चुनाव आता है..वैसे ही नेता मुस्लिमों को टारगेट करना शुरू कर देता है..और दूसरी खासियत ये है कि 5 साल से मारे जा रहे पीटे जा रहे..बेरोजगारी के नीचे दबाए जा रहे हिंदू को याद आ जाता है कि उसकी सबसे बड़ी दिक्कत बेरोजगारी नहीं है..भुखमरी नहीं है..महंगाई नहीं है..मुसलमान हैं..अगर गलत कह रही हूं..तो यूपी के उप मुख्यमंत्री को सुनिए..समझ में आ जाएगा..
मुख्यमंत्री को सुन चुके हों तो..बीजेपी के सांसद को सुनिए..अयोध्या का मुद्दा बीजेपी के हाथ से फिसल चुका है इसिलए अब मथुरा के नाम से वोटों का दिया जला दिया है..नौकरी रोजगार..दवाई..पढाई..मांगना छोड़कर हिंदू को अब मथुरा में मंदिर मांगने पर लगाया जाएगा..भारत देश के उत्तर प्रदेश की यही राजनीति है..इसे ना हिंदू समझना चाहता है ना मुसलमान..दोस्तों जब तक आप सच्चाई को समझेंगे नहीं तब तक नेता बिरादरी बेरोजगारी..खुखमरी..से आपका शिकार करते रहेंगे..जागिए..विश्वगुरु आप हिंदू मुसलमान करके नहीं..पढ़के बन पाएंगे..समझदार बनिए..राजनीति का शिकार नहीं..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.