मुस्लिम बच्चा (Muslim Baccha) मंदिर में गया तो बुला ली पुलिस..यती ने अती कर दी है : संपादकीय व्यंग्य

ये बाबा ना तो सेना का आदमी है..ना तो ये जज है..ना तो ये रॉ में है..ना तो ये सिक्योरिटी फोर्सेज का आदमी है..ना तो ये कैंट एरिया में रहता है..लेकिन इस दुर्बुद्धि कुबुद्धि ढपोरशंख बाबा के मंदिर में एक मुस्लिम बच्चा (Muslim Baccha) गलती से भीतर चला जाता है..तो ये ढोंगी बाबा उस बच्चे को पकड़कर पुलिस के हवाले कर देता है..भगवान ना किसी दलित को मंदिर आने से रोकते हैं ना मुस्लिम को ना सिख को ना ईसाई को..लेकिन धर्म के इन ठेकेदारों ने…इन सौदागरों ने..इन जैसे धर्म के आढ़तियों ने अपनी दुकान चलान के लिए समाज में विष घोल दिया है..
मैं चाहती हूं कि भारत वर्ष के लोग ये वीडियो देखें..संतों की संस्थाएं इस वीडियो को देखें और हमारे विशाल हिंदू धर्म को बदनाम करने वाले..हमारी परंपराओं हमारे मूल्यों को उपहास का केंद्र बनाने वाले इस बाबा पर क्या कार्रवाई की जा सकती है उसका निर्णय लें..गाजियाबाद के डासना का ये इस यति बाबा के मंदिर में इससे पहले भी एक मुस्लिम बच्चे (Muslim Baccha) की पानी पीने पर पीटा जा चुका है..
सुना था पानी पिलाना पुण्य का काम होता है..हमारे धर्म में प्यासों को पानी पिलाने के लिए प्याऊ लगाए जाते हैं..बड़े मंगल को जगह जगह लोग पानी पिलाते हैं..लेकिन पानी पीने पर ही ये बाबा मुस्लिम बच्चों को पिटावाता है..इसके दिमाग में कितनी नफरत भरी होगी इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता..इस बाबा के और कारनामें आगे बताएंगे लेकिन इसकी बातें सुनिए और इसकी मानसिकता पर मिनट भर मौन रहकर इसकी मर चुकी संवेदना को श्रद्धांजलि दीजिए..
सुना आपने..हद तो तब हो गई जब पुलिस को सफाई देनी पड़ी..पुलिस ने सफाई दी कि मंदिर के बगल में अस्पताल है बच्चे (Muslim Baccha) की अम्मी बगल के अस्पताल में इलाज के लिए आई थीं..बच्चा अस्पताल के बाहर था..मंदिर में बहुत से लोग भीतर जा रहे थे..बच्चा गलती से भीड़ के साथ मंदिर में चला गया..पुलिस ने बच्चे के बयान पर बगल के अस्पताल में बच्चे के घरवालों को खोजा और बच्चे की बताई गई बात से मिलान किया तो पुलिस ने पाया बच्चा भटककर मंदिर में आ गया था..बच्चा सच बोल रहा है..समझ ऱहे हैं..आप मुस्लिम बच्चा मंदिर के भीतर चला गया तो जांच हुई..
पुलिस को सफाई देनी पड़ी..कि आदरणीय बाबा जी मुस्लिम बालक (Muslim Baccha) आपकी रेकी के लिए मंदिर में नहीं आया था..बच्चा गलती से मंदिर के भीतर चला गया था..ये समय का फेर है साथियों वर्ना होना तो ये चाहिए था कि समाज को बांटने वाले इस बाबा के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए थी..
भारत के संविधान में सबको सभी धर्मों का आदर करने..सभी धर्मों को मानने की स्वतंत्रता है..मुस्लिम व्यक्ति नवरात्र के व्रत नहीं रख सकता या फिर हिंदू रोजा नहीं रख सकता ये कहीं नहीं लिखा है..धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यही है कि कोई किसी को जबरन रोक नहीं सकता..पुलिस को तो कहना चाहिए था..सनकी बाबा पहले तो ये मंदिर पर लगा बोर्ड हटाकर किनारे करो कि मंदिर में मुस्लिमों का प्रवेश वर्जित है..लेकिन पुलिस की ये कहने की हिम्मत नहीं है..
पुलिस ने बाबा को सफाई दे दी है कि मुस्लिम बालक (Muslim Baccha) गलती से मंदिर में घुस गया था..आपने औषधि केंद्र देखे होंगे..जन सुविधा केंद्र देखा होगा..आपने राशन वितरण केंद्र देखा होगा..विद्युत केंद्र देखा होगा लेकिन नफरत केंद्र नहीं देखा होगा..इस बोर्ड को देख लीजिए ये नफरत का केंद्र है..गाजियाबाद में घृणा का केंद्र है..ये बाबा वही है जो हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम को जेहादी कहा चुका है..
ये कुबुद्धि वही है जिसने हमारे देश की आदरणीय मेहनती..संघर्षों के आगे बढ़ी बीजेपी महिला नेताओं को आगे बढ़ने के लिए पुरुष नेताओं के साथ सोने वाला बयान दिया था..
ऐसे बाबाओं (Muslim Baccha) के बारे में बात करके मैं अपना समय खराब नहीं करना चाहती..लेकिन फिर ये सोचकर समय खराब कर देती हूं..कि हो सकता है समाज ऐसे बाबाओं से मेरा वीडियो देखकर ही सावधान हो जाए..हो सकता है मेरे एक वीडियो से आधे प्रतिशत समाज में ही सही..अन्याय का प्रतिकार करने की भावना जाग्रत हो
जाए..संत..बाबा..मौलवी..धर्म गुरू..ये सब मोह माया..लोभ लालच से ऊपर उठकर समाज को सही मार्ग दिखाने वाले सद्पुरुष होते हैं..गुरू होते हैं..भटके हुओं को रास्ता दिखाते हैं..लेकिन धन्धेबाज..मानसिक तौर पर दिवालिया हो चुके ऐसे नफरती यती जैसे बाबाओं से समाज का कोई भला नहीं होने वाला..चलती हूं राम राम दुआ सलाम..
Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.