एमएसपी (MSP) के नाम पर किसान लूटे जा रहे हैं : संपादकीय व्यंग्य

PRAGYA KA PANNA
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उत्तर प्रदेश के एक किसान ने मंडी के भीतर अपनी फसल पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी..क्यों लगा दी..क्योंकि व्यवस्था ही ऐसी दी गई है कि या तो आग लगा दे या फिर औने पौने दाम पर अपनी फसल बहा दे..आज मैं आपको बताऊंगी कैसे किसानों के लिए घोषित की गई सरकारी एमएसपी (MSP) में कैसे लूट लीला चलती है..कैसे घोटाले का महासागर में किसानों को मथा जाता है..कैसे सरकारी किसानों को लूटते हैं…

किसान जिस फसल को 4-6 महीने बच्चे की तरह पालता पोसता है..उसको बेचने के टाइम अगर मंडी में तेल छिड़ककर आग लगानी पड़ जाए तो..वो किसान किस दुख किस तकलीफ किस फस्ट्रेशन से गुजर रहा होगा..वो देश के सो कॉल्ड सिस्टम से किस कदर हार चुका होगा…ये वही समझ सकता है जिसने कभी किसानी की होगी..या किसान का बेटा होगा..सरकारें पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त भारत का गाना गाते नहीं थकतीं..माइक सामने देखते ही राम राज का रिकॉर्डेट टेप बज उठता है..

मोदी जी योगी जी तारीफ करते हैं और योगी जी मोदी जी के कर कमलों के आगे बढ़ ही नहीं पाते..मैं जानती हूं कि किसानों की बात करना सरकार विरोधी होना ही है..लेकिन अगर मैं भी सही के लिए आवाज नहीं उठाऊंगी तो पेशे से बेईमानी होगी..दोस्तों आप बताईये अगर किसान का धान एमएसपी (MSP) पर खरीद लिया गया होता तो क्यों किसान अपने हाथों से अपनी फसल में आग लगा देता..दोस्तों किसान बिरादरी में एक उसूल है..खलिहान में आग लगाने को इस धरती का सबसे बड़ा पाप समझा जाता है..फसल में आग लगाना गौहत्या समान है..

अपनी ही फसल (MSP) को आग लगाते किसान का ये वीडियो लखीमपुर खीरी का है..हां वही मोदी जी के मंत्री अजय मिश्रा वाला लखीमपुर खीरी..हां वही लखीमपुर खीरी जहां किसानों को जीप के नीचे रौंद दिया गया..हां वही लखीमपुर खीरी जहां रहने वाले अपने मंत्री का इस्तीफा मोदी जी आज तक नहीं ले पाए..उसी लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी में किसान समोध सिंह 14 दिन से अपना धान बेचने के लिए मंडी में पड़े थे..धान बेचने के लिए भटक रहे थे..कोई धान खरीदने को तैयार नहीं था..उसके बाद हारकर सुबोध सिंह ने अपने धान पर 100 रूपए लीटर वाला पेट्रोल छिड़क दिया और आग लगा दी..

दोस्तों इस बार धान का एमएसपी (MSP) 1940 रूपए प्रति कुंतल तय कया गया है..सरकारी लेवी वाले सीधे इस दाम पर किसानों से धान खरीदते नहीं हैं..किसानों से सीधे धान ना खरीदकर दलालों से व्यापारियों से धान खरीदने का बहुत बड़ा रैकेट यूपी में चल रहा है..होता ये है कि सरकार ने किसानों से कहा है कि भईया हम तुम्हारा धान 1940 रूपए प्रति कुंतल में खरीदेंगे..किसान ने कहा वाह क्या बात है..चलो ये रहा धान खरीदो..

अब सरकारी एमएसपी (MSP) पर धान की खरीदर करने वाला सरकारी अधिकारी कहता है..ऐसा करो कल आना आज हमारे पास बोरे नहीं..फिर कहता है आज हमारे पास पल्लेदार नहीं है..कभी कहता है तुम्हारा धान खरीदने लायक ही नहीं है..ये सब होते होते 8-10 दिन बीच जाते हैं..सरकारी अधिकारी किसान के सब्र का बांध टूटने का इंतजार करता है..और व्यापारी थक चुके किसान पर तुरंत जाल डाल देता है..किसान के सामने दो ही रास्ते होते हैं या तो कम कीमत पर फसल बेच दे या तो..घर वापस ले जाए..

फिर क्या यही तो सरकाी अधिकारी चाहता था..देखिए सरकारी अधिकारी किसान से खरीदेगा तो पूरे 1940 का भाव देना पड़ेगा..लेकिन अगर किसान व्यापारी को बेच देगा..तो कम दाम पर बेचेगा..मान लीजिए 1940 का धान 12 सौ में बेच दिया..फिर व्यापारी से सरकारी अधिकारी ने 1500 में खरीद लिया..तो अधिकारी ने साढ़े चार सौ रूपए प्रति कुंतल सीधे घपला कर लिया..इतनी तेजी से शेयर बाजार में नोट नहीं कमाए जाते जितनी तेजी से एमएसपी (MSP) के खेल में सराकरी अधिकारी कमाते हैं..

और इसीलिए किसानों की फसल एमएसपी (MSP) पर खरीदने के लिए सरकारी अधिकारी इतने बहाने बनाते हैं..जितने दामाद अपनी ससुराल में नहीं बनाता होगा…और मैं प्रज्ञा मिश्रा डंके की चोट पर कहती हूं कि ये एक ऐसा रैकेट है..ऐसा घोटाला है..जो सबकी आंख के नीचे होता है..लेकिन सब आंख मूंदकर बैठे रहते हैं..

मेरे घर में किसानी होती है..तो मुझे ये मालूम है..कई बार मेरा खुद का धान गेहूं खरीदने में लेवी वाले आनाकानी करते हैं..लेकिन जब उनको पता चल जाता है कि ये किसका अनाज है तो राइट टाइम हो जाते हैं..चलिए मुझे पत्रकार होने का लाभ मिल जाता है लेकिन यूपी और देश के लाखों किसान 6 महीना फसल उगाने के बाद 15-20 दिन तो फसल (MSP) बेचने के जुगाड़ में काट देते हैं..नए जमाने के भारत में भी अपनी सरकार का घोषित किया हुआ दाम लेने में अपने देश के किसानों को छींकें आ जाती हैं..

अगर योगी जी मोदी जी इस खेल का डेमो देखना चाहें तो मेरे साथ अपना मुंह छिपाकर चलें..मैं इस रैकेट का भांडा फोड़ दूंगी..डंके की चोट पर कह रही हूं..सैकड़ों एसडीएम लेवल के अधिकारियों को नौकरी छोड़नी पड़ जाएगी..

Disclamer- उपर्योक्त लेख लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार द्वारा लिखा गया है. लेख में सुचनाओं के साथ उनके निजी विचारों का भी मिश्रण है. सूचना वरिष्ठ पत्रकार के द्वारा लिखी गई है. जिसको ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है. लेक में विचार और विचारधारा लेखक की अपनी है. लेख का मक्सद किसी व्यक्ति धर्म जाति संप्रदाय या दल को ठेस पहुंचाने का नहीं है. लेख में प्रस्तुत राय और नजरिया लेखक का अपना है.

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