ये है मिशन चंद्रयान-2 की सबसे बड़ी ख़ास बात, भारत को हासिल होगी ये उपलब्धि

इसरो के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान- 2 ने दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भर ली है. आज से 48वें दिन पर चंद्रयान-2 चांद की सतह पर पहुंच जायेगा.

most important thing of Mission Chandrayaan-2
most important thing of Mission Chandrayaan-2

चंद्रयान-2 जब चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा तो पूरे देश के लिए वो पल उपलब्धि का जश्न मनाने वाला होगा. आईये जानते हैं भारत को इससे क्या उपलब्धि मिलेगी-

चंद्रयान-2 का वजन 3877 किलोग्राम है. और चंद्रयान-2 के 4 हिस्से हैं.
पहला- जीएसएलवी मार्क-3, जो भारत का बाहुबली रॉकेट कहा जाता है, ये पृथ्वी की कक्षा तक जाएगा
दूसरा- आर्बिटर, जो चंद्रमा की कक्षा में सालभर चक्कर लगाएगा.
तीसरा- लैंडर विक्त्रस्म, जो आॅर्बिटर से अलग होकर चांद की सतह पर उतरेगा.
चौथा- रोवर प्रज्ञान, 6 पहियों वाला ये रोबोट लैंडर से बाहर निकलेगा और 14 दिन चांद की सतह पर चलेगा.

चंद्रयान-2 में कुल 13 पेलोड हैं. आठ आर्बिटर में, तीन पेलोड लैंडर विक्रेम और दो पेलोड रोवर प्रज्ञान में हैं. पांच पेलोड भारत के, तीन यूरोप, दो अमेरिका और एक बुल्गारिया के हैं. चंद्रयान-2 की कुल लागत 978 करोड़ रुपये है.

चंद्रयान- 2 का मकसद
  • भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन करना.
  • चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना.
  • चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है.
  • चांद की जमीन में मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना.

बतादें कि लैंडर जहां उतरेगा उसी जगह पर वो जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते है या नहीं. वहां तापमान और चंद्रमा का घनत्व कितना है. और रोवर चांद के सतह की रासायनिक जांच करेगा. रोवर 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से करीब 15 से 20 दिनों तक चांद की सतह से डाटा जमा करके लैंडर के जरिए आर्बिटर तक पहुंचाता रहेगा. और फिर आर्बिटर उस डाटा को इसरो को भेजेगा.

इस मिशन पर देश की ही नहीं बल्कि दुनिया की नजर है. जैसे ही बाहुबली रॉकेट लांच हुआ पूरे देश में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठीं. भारत के लिए आज का दिन बेहद खास है. बाहुबली चंद्रयान-2 को लेकर पृथ्वी की सतह से बाहर अंतरिक्ष में पहुँच गया है.

बारिश और घने बादलों के बीच चंद्रयान-2 की उड़ान को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे. मगर लांच होने के 30 सेकेण्ड के अन्दर ही रॉकेट घने बादलों में खो गया. चंद्रयान-2 चंद्रमा पर तय तारीख 6-7 सितंबर को ही पहुंचेगा. इसे समय पर पहुंचाने का मकसद यही है कि लैंडर और रोवर तय कार्यक्रम के हिसाब से काम कर सके. समय बचाने के लिए चंद्रयान पृथ्वी का एक चक्कर कम लगाएगा. पहले 5 चक्कर लगाने थे, पर अब 4 चक्कर लगाएगा.